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कोरोना वायरस: दिल्ली के आइसोलेशन वार्ड का आंखों-देखा हाल

कोरोना वायरस से संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए संदिग्ध लोगों को आइसोलेशन में रखा जा रहा है. हालांकि, लोगों के मन में आइसोलेशन वार्ड को लेकर तमाम तरह के डर कायम हैं. इंडिया टुडे की पत्रकार अनन्या भट्टाचार्य मिस्त्र से जब दिल्ली लौटीं तो उन्हें सफदरजंग हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया. जानिए उनका अनुभव.

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इंडिया टुडे की पत्रकार ने बताया आइसोलेशन वार्ड का अनुभव
इंडिया टुडे की पत्रकार ने बताया आइसोलेशन वार्ड का अनुभव

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मिस्त्र के कायरो में छुट्टियां मनाने के दौरान ही मुझे जुकाम हो गया था और नई दिल्ली की फ्लाइट में बैठने से एक दिन पहले मुझे कफ था. जब मैं नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची तो मुझे एक हेल्थ डेक्लेयरेशन फॉर्म भरने को दिया गया, जिसमें तीन सवाल पूछे गए थे-

बुखार (हां/नहीं)

कफ (हां/नहीं)

सांस लेने में दिक्कत (हां/नहीं)

मैंने कफ पर टिक किया.

मध्य-पूर्व में बहरीन से कनेक्टिंग फ्लाइट लेकर मैं सुबह 2.20 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची थी. हम थर्मल स्क्रीनिंग के लिए आगे बढ़े. जब मैंने अपना डेक्लेयरेशन फॉर्म जमा किया तो काउंटर पर मौजूद शख्स ने मुझसे पूछा कि मुझे बुखार, शरीर में दर्द, सांस लेने में तकलीफ तो नहीं हो रही है या सांस लेते वक्त क्या मुझे किसी तरह की आवाज तो सुनाई नहीं पड़ रही है. मैंने इन सारे सवालों का जवाब ना में दिया. उस दिन शायद मुझे दो बार खांसी आई थी.

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काउंटर पर बैठे शख्स ने मुझे बताया कि मैं केस ए में आती हूं और मुझे आइसोलेशन वार्ड में ले जाया जाएगा. मुझे हैज्मैट सूट दिया गया. लेकिन किट में कोई मास्क नहीं था इसलिए मैंने पुराना सूट ही पहने रखा. मेरा पासपोर्ट इमिग्रेशन भेजा गया और उसके बाद मुझे एयरपोर्ट के एक चैंबर में ले जाया गया. वहां डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मुझे दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा और कुछ ही ही देर में मुझे लेने एक एंबुलेंस आएगी.

तब तक सुबह 4 बज चुके थे और एंबुलेंस भी आ गई थी. मैं एंबुलेंस में बैठ गई और 4.30 बजे तक सफदरजंग हॉस्पिटल पहुंच गई. मुझे एक आइसोलेशन वार्ड दिखाया गया और बताया गया कि जल्द ही डॉक्टर एग्जामिन करने आएंगे.

मैं कमरे में आई और पानी की एक बॉटल व साबुन मांगा. मुझे मिनरल वॉटर और एक निरमा बार दिया गया.

मेरे वार्ड को साफ करने के बाद सैनिटाइज किया गया. मैंने डॉक्टर के बारे में पूछा तो मुझे बताया गया कि वह दूसरे फ्लोर पर एक मरीज को अटेंड कर रहे हैं. अब सुबह के 6 बज रहे थे.

मैंने पूछा कि क्या मुझे पहनने के लिए अलग से कोई कपड़े दिए जाएंगे या मैं अपने पास रखे कपड़े पहन लूं. वार्ड ब्वॉय ने कहा कि मैं अपने कपड़े ही पहन लूं. नर्सिंग सुपरवाइजर ने मुझे बताया कि कमरे में कम से कम एक्सेसरीज रखें क्योंकि बाद में उन्हें सब चीजों को जलाना पड़ेगा.

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सुबह 6.30 बजे डॉक्टर मुझे देखने आए. उन्होंने मुझसे लक्षणों के बारे में पूछा और मैंने एयरपोर्ट पर दी गई जानकारी दोहरा दी. फिर उन्होंने मुझसे सवाल किया कि क्या मैं सरकार द्वारा बनाई गई कोरोना वायरस प्रभावित किसी देश का दौरा करके आई हूं. मैंने ना में जवाब दिया. उन्होंने बताया कि टेस्टिंग के लिए मेरा सैंपल लिया जाएगा. दो या तीन दिन के भीतर रिजल्ट आ जाएगा और तब तक मुझे आइसोलेशन वार्ड में रहना होगा.

सबसे पहली बात जिसने मुझे हैरान किया, वह थी आइसोलेशन वार्ड का बेहद साफ होना. वहां गंदगी का निशान तक नहीं था. वॉशरूम और शॉवर भी बिल्कुल साफ थे. कमरे में एक बड़ी सी ग्लास विंडो थी जिससे मुझे आधी दिल्ली नजर आ रही थी. कमरे में तीन सीटर काउच, अटेंडेंट के लिए एक अतिरिक्त बेड, एक स्टूल, था. सब कुछ बहुत ज्यादा साफ था. वहां ना तो मुझे संक्रमित होने का खतरा था और ना ही मुझसे किसी को संक्रमण होता. मुझे यही सुकून चाहिए था.

कमरे के अंदर मैं रोजाना 5 से 6 लोगों से मिलती थी. सभी हैज्मैट सूट्स में होते थे. आंखों पर गॉगल्स और पैर पॉलीथीन रैपर्स में पूरी तरह कवर होते थे. ये देखना भी हैरानी भरा था कि सूट पहने हुए वे किसी भी इंसान से संपर्क में नहीं आ रहे थे. लेकिन ये दिखाता है कि हमारी सरकार इस महामारी से लड़ने के लिए कितनी तैयारी से है.

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मैं दो दिन आइसोलेशन वार्ड में रही. बुधवार सुबह को मुझे हॉस्पिटल से कॉल आया जिससे पता चला कि मेरे कोरोना वायरस के रिजल्ट निगेटिव आए हैं और मुझे डिस्चार्च किया जा रहा है.

डिस्चार्ज के फॉर्म पर जब मैं साइन कर रही थी, उस दौरान डॉक्टर ने अगले दो सप्ताह के लिए मुझे कई दिशा निर्देश दिए, जैसे- मुझे होम क्वारंटाइन में रहना होगा, मैं किसी के संपर्क में ना आऊं और ना किसी से ना मिलूं. मेरे बर्तन अलग हों और मेरे कपड़े अलग धुले जाएं. अगर मेरे शरीर में उनके बताए हुए कोई भी लक्षण नजर आए तो मैं उनसे तुरंत संपर्क करूं.

सफदरजंग का आइसोलेशन वार्ड किसी प्राइवेट फैसिलिटी से कम नहीं था. शायद बेहतर ही थी क्योंकि इस अस्पताल में देश के सबसे अच्छे डॉक्टर हैं. अगर मैं कोरोना वायरस के टेस्ट में पॉजिटिव भी आती तो इलाज के लिए इससे अच्छी जगह नहीं होती.

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