scorecardresearch
 

क्या भारत में कोविड-19 के मौजूदा तेज उछाल के लिए ‘देसी’ कोरोना वायरस वैरीएंट जिम्मेदार?

कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों को ही यूके वैरीएंट पर टेस्ट किया गया. पाया गया कि दोनों वैक्सीन यूके वैरीएंट से बचाव देने में सक्षम हैं. हालांकि, प्रतिरोधक क्षमता वायरस के कुछ वैरीएंट्स से जुड़ी एक एंटीबॉडी के आधार पर काम नहीं करती. 

Advertisement
X
भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना केस (फ़ोटो- PTI)
भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना केस (फ़ोटो- PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'B.1.617' वैरीएंट अब तक आठ देशों में पाया जा चुका है
  • कोवैक्सीन और कोविशील्ड को यूके वैरीएंट के खिलाफ टेस्ट किया गया
  • महाराष्ट्र में सामने आ रहे नए केसों में 61% में देसी म्यूटेंट वैरीएंट

क्या हमने देसी वैरीएंट पर वैक्सीन्स को टेस्ट किया? 

कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों को ही यूके वैरीएंट पर टेस्ट किया गया. पाया गया कि दोनों वैक्सीन यूके वैरीएंट से बचाव देने में सक्षम हैं. हालांकि, प्रतिरोधक क्षमता वायरस के कुछ वैरीएंट्स से जुड़ी एक एंटीबॉडी के आधार पर काम नहीं करती. 

डॉ शाहिद जमील कहते हैं, इम्युनिटी या प्रतिरोधक क्षमता वायरस की मल्टीपल साइड्स से जुड़े मल्टीपल एंटीबॉडीज के आधार पर काम करती है. इम्युनिटी T-सेल्स के आधार पर भी काम करती है जो वायरस संक्रमित कोशिकाओं को हटाती हैं. संक्रमण को लेकर लोगों में एक भ्रांति यह है कि कोई भी वैक्सीन संक्रमण के खिलाफ टेस्ट नहीं की गई. सभी वैक्सीन बीमारी के खिलाफ बचाव देती हैं.”

Advertisement

ILBS हॉस्पिटल के हेड और दिल्ली सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ एस के सरीन कहते हैं- “भारतीय स्ट्रेन जो है वो दक्षिण अफ्रीकी, यूके और ब्राजीलियन स्ट्रेन का एक तरह से हाइब्रिड है. हमें सिर्फ एक या दो स्ट्रेन मिले हैं जिन्हें हम डबल म्युटेंट्स कहते हैं; ऐसे सैकड़ों हो सकते हैं. कोविशील्ड (एस्ट्राजेनेका) वैक्सीन को जब साउथ अफ्रीकी वैरीएंट पर ट्राई किया गया तो ये पानी से बेहतर नहीं थी.”

डॉ सरीन ने आगे कहा, “हम इस बात को लेकर साफ हैं कि भारत में कुछ वैरीएंट्स एक दक्षिण अफ्रीकी वैरीएंट से मार्च के महीने में कभी शुरू हुए. हमारे यहां दक्षिण अफ्रीकी वैरीएंट्स में उछाल आया हो सकता है जहां एक वैक्सीन कारगर नहीं रहती. यहां तक कि स्पूतनिक-V भी कुछ वैरीएंट्स के खिलाफ काम नहीं करती.”

भारत की दूसरी लहर में देसी म्यूटेंट की भूमिका

म्यूटेशन वायरस की प्रकृति से जुड़ा है. विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस म्यूटेशंस की जब से भारत ने सीक्वेंसिंग शुरू की है, करीब 5,000 म्यूटेंट वैरिएंट्स को खोजा जा चुका है. विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि वायरस नहीं चाहता कि लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित की हो. 

डॉ सरीन कहते हैं, “मान लीजिए कि आप पहले एक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, आपको दूसरा या तीसरा संक्रमण भी हो सकता है.” 

Advertisement

भारत में हर दिन नए कोविड-19 केसों का आंकड़ा करीब 2 लाख की संख्या को छू रहा है. अब ये वैरीएंट कई राज्यों में पाया जा रहा है. महाराष्ट्र में जो केस सामने आ रहे हैं, उनमें से 61 फीसदी ‘देसी’ म्यूटेंट वैरीएंट हैं. 

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ से भी ऐसे ही केस रिपोर्ट हो रहे हैं. 
 

डॉ जमील कहते हैं, “हर राज्य में हमने कुछ स्प्रेडर इवेंट्स को देखा. ये सवाल भी उठता है- 2020 में बिहार क्यों नहीं? क्योंकि वायरस ने इस हद तक म्युटेट नहीं किया था. यूके वैरीएंट इम्युनिटी पर आक्रमण अधिक तीव्रता से करता है. ये ट्रांसमिट भी अधिक करता है. ये पंजाब में मौजूद है. ये दिल्ली में भी तेजी से फैल रहा है.” एपिडिमियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि काफी म्युटेशन्स हो रहे हैं. लाइफकोर्स एपिडमियोलॉजी, PHFI के प्रोफेसर और हेड डॉ गिरिधर कहते हैं, “हमने इस बुलेट को पूरी तरह नहीं समझा है. विदेशी वैरीएंट्स की तुलना में हम इन घरेलू वैरीएंट्स की हद को नहीं जानते.”

क्या म्युटेशन्स वैक्सीन्स से बच निकल रहे हैं? 

भारत में ऐसी स्टडीज हो रही है जिससे पता लगाया जा सके कि क्या देसी वैरीएंट वैक्सीन्स से बच निकल रहे हैं. इन स्टडीज के नतीजे अगले दो हफ्ते में उपलब्ध हो सकते हैं. 

Advertisement

सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के निदेशक डॉ राकेश के मिश्रा कहते हैं, “वायरस का म्यूटेट करना जारी रह सकता है और इससे नए वैरीएंट्स पैदा हो सकते हैं. एक वैरीएंट जिसमें अपना वजूद बचाए रखने की कुछ ज्यादा क्षमता होती है. फिर वायरस दूसरे वायरस की जगह ले लेता है. यह सामान्य प्रक्रिया है.” 

डॉ राकेश मिश्रा के मुताबिक CCMB की ओर से इन विट्रो न्यूट्रिलाइजेशन एस्से का इस्तेमाल कर स्टडीज की जा रही है.

डॉ मिश्रा ने इंडिया टुडे को बताया, हमने लैब्स में वायरस के नए वैरीएंट्स को कल्चर करना शुरू किया है. ये कल्चर्ड वायरस जो लोग रिकवर्ड हो चुके हैं, उनसे लिए गए सीरम के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे. जिन्हें वैक्सीन के दो शॉट्स लग चुके हैं, उनके सीरम के लिए भी इस्तेमाल होंगे. इससे हमें पता चलेगा कि पहले वाले संक्रमण से पैदा हुई इम्युनिटी क्या नए वैरीएंट्स के खिलाफ भी उतनी ही कारगर है.”

क्या नए डबल म्युटेंट वैरीएंट में वैक्सीन से बचने की क्षमता है, इस सवाल के जवाब में डॉ मिश्रा ने कहा, हम नहीं जानते, शायद नहीं. लेकिन भविष्य में हम गारंटी नहीं दे सकते कि नए वैरीएंट्स इस संदर्भ में अधिक परेशानी देने वाले नहीं होंगे.”

Advertisement
ये भी पढ़ें

 

Advertisement
Advertisement