महाराष्ट्र में कोरोना की रफ्तार बेकाबू हो गई है और इसके पीछे वायरस के डबल म्यूटेंट वैरिएंट को वजह बताया जा रहा है. हाल में भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से जीनोम सिक्वेंसिंग डेटा सौंपा गया है, जिसमें यह खुलासा हुआ है. इस डेटा में पहली बार यह साफ हुआ है कि कैसे वायरस के अलग-अलग वैरिएंट बदल रहे हैं और नुकसान पहुंचा रहे हैं.
डबल म्यूटेशन वायरस, जिसे अब B.1.617 के रूप में वर्गीकृत किया गया है, यह 2 अप्रैल से पहले के 60 दिनों में लिए गए सैंपल में सबसे आम था. पिछले साल 5 अक्टूबर को इस वैरिएंट का पहली बार पता चला था और यह अपेक्षाकृत अस्पष्ट था. जनवरी के बाद इस वैरिएंट के केस ज्यादा तेजी से आने लगे थे. 1 अप्रैल को भारत ने वैश्विक रिपॉजिटरी GISAID को जो सैंपल भेजे, उसमें 80 फीसदी केस नए डबल म्यूटेशन वायरस के सामने आए.
डबल म्यूटेंट वैरिएंट के अलावा देश में पिछले 60 दिनों के अंदर यूके वैरिएंट, जिसे B.1.1.7 के रूप में वर्गीकृत किया गया है, उसके केस भी सामने आए हैं. स्क्रिप्स रिसर्च के वैज्ञानिकों द्वारा मूल्यांकन के अनुसार, 13 फीसदी मामले यूके वैरिएंट के सामने आए हैं. कोरोना वायरस के इन दोनों वैरिएंट ने देश की चिंता बढ़ा दी है.
खास बात है कि महाराष्ट्र के अधिकतर सैंपल में डबल म्यूटेशन वायरस की पुष्टि हुई है. कोरोना की दूसरी लहर भी महाराष्ट्र से शुरू हुई है. अब देश में आ रहे कुल नए केस में से आधे केस डबल म्यूटेशन वायरस के ही हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक अनुराग अग्रवाल का कहना है कि महाराष्ट्र के 60 से 80% सैंपल में यह वैरिएंट है.
अनुराग अग्रवाल की मानें तो महाराष्ट्र की तरह गुजरात में भी डबल म्यूटेंट वैरिएंट के मामले 60 से 80 फीसदी सामने आ रहे हैं, जबकि बाकी हिस्सों में यह 10 से 20 फीसदी है, डबल म्यूटेंट वैरिएंट दिसंबर में बमुश्किल ही सामने आ रहा था, लेकिन अब यह हर जगह सामने आ रहा है. डबल म्यूटेंट वैरिएंट के केस तेजी से बढ़ रहे हैं.
अनुराग अग्रवाल का कहना है कि B.1.617 वैरिएंट पश्चिमी महाराष्ट्र और गुजरात में मिला है, जबकि B.1.1.7 वैरिएंट उत्तरी पंजाब में मिला है. दक्षिण भारत में N440K वैरिएंट मिला है, लेकिन यह इतना नुकसानदायक साबित नहीं हुआ है, दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट बांग्लादेश में काफी आम है, जो भारत में भी पहुंच सकता है.