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Omicron की लहर में तैयारियां नाकाफी? दिल्ली-महाराष्ट्र में टेस्टिंग को लेकर हुआ ये फैसला

Omicron in Delhi and maharashtra: ओमिक्रॉन की लहर में तैयारियां नाकाफी साबित होती दिख रही हैं. इस बीच दिल्ली और महाराष्ट्र ने जरूरी ऐलान किए हैं.

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दिल्ली और महाराष्ट्र में बढ़ रहे ओमिक्रॉन के केस
दिल्ली और महाराष्ट्र में बढ़ रहे ओमिक्रॉन के केस
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली और महाराष्ट्र में बढ़ रहे ओमिक्रॉन के केस
  • टेस्टिंग पर दिल्ली और महाराष्ट्र ने बड़े फैसले लिए हैं

कोरोना का नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है. महाराष्ट्र और दिल्ली इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. दोनों प्रदेश कोरोना और इसके नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से निपटने के लिए हरसंभव तैयारी करने का दावा कर रहे हैं लेकिन फिर भी कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. महाराष्ट्र में जहां आज 25 हजार से ज्यादा केस आने की आशंका है वहीं दिल्ली में 10 हजार केस आने की बात कही गई है.

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इस बीच दिल्ली और मुंबई ने कुछ बड़े ऐलान भी किए. बढ़ते केसों की वजह से महाराष्ट्र में अब एंटीजन टेस्ट की तरफ ज्यादा ध्यान रहेगा. कहा गया है कि ज्यादा केस बढ़ने की वजह से वहां सबका RT-PCR टेस्ट करना मुमकिन नहीं है, इसलिए अब रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) होगा.

इससे पहले दिल्ली के हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने एक बड़ी बात कही थी. उन्होंने बताया कि ओमिक्रॉन है या नहीं इसकी जांच के लिए होने वाली जीनोम सिक्वेंसिंग अब मुमकिन नहीं है क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं. वह बोले कि अब सैंपल सिक्वेंसिंग हो रही है और यह पुख्ता हो गया है कि देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट आ गया है. जैन ने यह भी बताया कि अब दिल्ली रोज तीन लाख कोरोना टेस्ट करने में सक्षम है.

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बता दें कि देश में ओमिक्रॉन के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 2,135 हो चुकी है. महाराष्ट्र और दिल्ली में ओमिक्रोन के सबसे ज़्यादा 653 और 464 मामले हैं.

महाराष्ट्र में लॉकडाउन नहीं लेकिन प्रतिबंध कड़े

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि राज्य में लॉकडाउन तो नहीं लगाया जा रहा है लेकिन कड़ी पाबंदियां होंगी. मंत्री ने यह बात कोरोना संकट पर की गई मीटिंग के बाद बताई. कहा गया कि मुख्यमंत्री ठाकरे के आदेश के बाद नई कोविड गाइडलाइंस जारी की जाएंगी. मंत्री ने आज राज्य में 25 हजार कोरोना मरीज आने की संभावना जताई है. हालांकि, इसमें राहत की बात यह है कि 90 फीसदी मरीजों में लक्षण नहीं हैं और हॉस्पिटल में भर्ती होने की दर भी सिर्फ 1 फीसदी है. उन्होंने कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों को Flavipiravir और Molnupiravir लेने की सलाह दी.

(इनपुट - कमलेश)

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