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MP: सामने आया देश का पहला ग्रीन फंगस का मामला, 90 दिन के इलाज के बाद दिखे लक्षण

पोस्ट कोविड बीमारियों के लिहाज से अब तक ब्लैक, व्हाइट और क्रीम फंगस के मामले सामने आए थे लेकिन इंदौर में अब देश का पहला ऐसा मामला सामने आया है जिसमें मरीज 90 दिन के इलाज के बाद ग्रीन फंगस का शिकार हुआ है.

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सामने आया देश का पहला ग्रीन फंगस का मामला.
सामने आया देश का पहला ग्रीन फंगस का मामला.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इंदौर में ब्लैक फंगस के शिकार 500 से ज्यादा मरीज
  • डेढ़ महीने से अरविंदो हॉस्पिटल में चल रहा था मरीज का इलाज

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में पोस्ट कोविड बीमारियों के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. वहीं, इंदौर के सरकारी और निजी अस्पतालों में इन दिनों ब्लैक फंगस के शिकार 500 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. वहीं, हैरत की बात ये है कि इंदौर में अब ग्रीन फंगस का एक मरीज सामने आया है और ये देश का ऐसा पहला मामला है.

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दरअसल, इंदौर में कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर आतंक मचाया था जो अब बहुत हद तक शांत भी हो चुकी है. लेकिन अब इंदौर में बीमारियों के जंजाल में एक नए फंगल इंफेक्शन का मामला सामने आया है जो देश का पहला मामला है. दरअसल, पोस्ट कोविड बीमारियों के लिहाज से अब तक ब्लैक, व्हाइट और क्रीम फंगस के मामले सामने आए थे लेकिन इंदौर में अब देश का पहला ऐसा मामला सामने आया है जिसमें मरीज 90 दिन के इलाज के बाद ग्रीन फंगस का शिकार हुआ है.

स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी डॉक्टर अपूर्वा तिवारी ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को इंदौर के अरविंदो हॉस्पिटल से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है. इस रिपोर्ट में विशेषज्ञ डॉक्टर रवि डोशी ने बताया कि 34 वर्षीय विशाल श्रीधर नाम का एक शख्स पिछले डेढ़ महीने से अरविंदो हॉस्पिटल में अपना इलाज करा रहे थे. लेकिन उनके लंग्स का 90 प्रतिशत इन्वॉल्वमेंट खत्म नहीं हो रहा था जबकि उनका हर मुमकिन इलाज किया गया था.

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इसके बाद अरविंदो हॉस्पिटल में उनके लंग्स की जांच कराई गई तो पता चला कि मरीज के लंग्स में ग्रीन कलर का एक फंगस है जिसे म्युकर (Mucor)नहीं कहा जा सकता न ही उसे म्यूकर मायकोसिस कहा जा सकता है. लेकिन उसके हरे रंग के कारण उसे ग्रीन फंगस नाम दिया गया है.

डॉ. अपूर्वा ने बताया कि ये देश में पहला केस है जिसमें ग्रीन कलर का फंगस किसी इंसान के लंग्स में मिला है. वहीं, उन्होंने बताया कि निजी चार्टेड प्लेन से विशाल श्रीधर नामक मरीज को मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया है. वहीं, डॉ. रवि डोशी लगातार मुंबई के डॉक्टर्स के संपर्क में रहकर मरीज की कंडीशन पर नजर बनाए हुए हैं. 

90 दिन के इलाज के बाद दिखे लक्षण
90 दिनों के इलाज के बाद दिखे ग्रीन फंगस के लक्षण.

डॉ. अपूर्वा तिवारी ने बताया कि डॉ. दीपक कुलकर्णी से चर्चा के बाद पता चला है कि मेडिकेयर हॉस्पिटल में कला बाई नामक धार निवासी एक मरीज थी जिनको लगातार सिरदर्द की शिकायत थी. डॉक्टर ने जब उनकी जांच की तो उनके ब्रेन में बड़े आकार का एक फंगस मिला है. उसके डायमेंशन हैरान कर देने वाले हैं.

उन्होंने बताया कि डायमेंशन के आधार पर फंगस पूरे भारत में अब तक मरीजों में पाए गए फंगस से बड़ा फंगस माना जा रहा है. उन्होंने बताया कि व्हाइट फंगस नाक से नहीं जा रहा है बल्कि ब्लड के जरिए ही दिमाग में जा रहा है. हालांकि, महिला मरीज की हालत इलाज के बाद ठीक हो गई है और उन्हें डिस्चार्ज भी कर दिया गया है. अरविन्दो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर रवि डोसी का कहना है कि  ये काफी खतरनाक फंगस है. हमें इस पर ध्यान देना होगा जैसे ही लक्षण दिखे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इसे ग्रीन फंगस नाम दिया गया है.

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