मुंबई में 'वैक्सीन घोटाला' सामने आया है. यहां के कांदिवली इलाके स्थित हीरानंदानी एस्टेट सोसायटी में 30 मई को सोसायटी की ओर से वैक्सीनेशन कैम्प लगाया. इसमें 390 लोगों को कोविशील्ड लगाई गई. कहानी तब शुरू हुई जब एक भी लोगों में वैक्सीन का साइड इफेक्ट नजर नहीं आया. इसके बाद से ही सवाल उठ रहे हैं कि कहीं लोगों को फर्जी वैक्सीन तो नहीं लगा दी गई? सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि क्योंकि वैक्सीन लगने के तुरंत बाद लोगों को सर्टिफिकेट भी नहीं मिला.
चौंकाने वाली बात ये भी है कि 10 दिन बाद कुछ लोगों को सर्टिफिकेट मिलने लगे लेकिन इन पर अलग-अलग अस्पतालों का नाम था. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इन अस्पतालों का कहना है कि उन्होंने सोसायटी के किसी भी सदस्य को वैक्सीन नहीं लगाई. ऐसे में अब लोगों को ये भी नहीं पता कि उन्हें वैक्सीन लगी भी या नहीं.
1260 रुपए में लगाई एक डोज
सोसायटी में रहने वाले हितेश पटेल ने बताया, "मेरे बेटे ने वैक्सीन लगवाई थी. इसके लिए हमने 1260 रुपए चुकाए. 1200 रुपए एक डोज के और 60 रुपए जीएसटी. वैक्सीन लगने के बाद हमें कोई मैसेज भी नहीं मिला. यहां तक कि वैक्सीन लगवाते वक्त फोटो खींचने की भी मनाही थी."
वैक्सीन लगने के बाद किसी को भी कोई लक्षण या साइड इफेक्ट नहीं दिखे. सोसायटी में रहने वाले ऋषभ कामदार ने कहा, "हम लोग हैरान थे क्योंकि हमें कोई भी लक्षण या साइड इफेक्ट नहीं दिखे. हम सोचने लगे कि क्या हो रहा है. क्योंकि हमें वैक्सीन का सर्टिफिकेट भी नहीं मिला था. हमें 10-15 दिन बाद सर्टिफिकेट मिला."
जिन देशों में ज्यादा वैक्सीन लगी है, क्या वहां कोरोना काबू में है?
हितेश पटेल आगे बताते हैं, "हमें नानावटी, लाइफलाइन, बीएमसी वैक्सीनेशन सेंटर जैसे अलग-अलग अस्पतालों से सर्टिफिकेट मिले." उन्होंने कहा, "ये एक बड़ा घोटाला है क्योंकि हमें पता चला है कि इसी तरह लोगों को बड़े पैमाने पर अलग-अलग जगहों पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया गया है. हम कोरोना वायरस से कैसे लड़ने जा रहे हैं? अगर यही होता रहा तो भारत कैसे कोरोना से मुक्त होगा? इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है."
सोसायटी वालों के आरोपों पर जब आजतक ने नानावटी अस्पताल, कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल और दूसरे निजी अस्पतालों से बात की तो उन्होंने सोसायटी के किसी भी सदस्य को वैक्सीन लगाने से साफ मना कर दिया. अस्पतालों ने कहा कि उन्होंने सोसायटी के किसी भी व्यक्ति को वैक्सीन नहीं लगाई है.
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बीएमसी ने 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी
आजतक ने जब इस पूरे कथित 'वैक्सीन घोटाले' का उजागर किया तो बीएमसी ने भी इस मामले की हाईलेवल जांच कराने के आदेश दे दिए. इस मामले की जांच डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर को सौंपी गई है और उनसे 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई है. अगर किसी भी तरह की कोई खामी, गड़बड़ी या अनियमितता पाई जाती है तो बीएमसी इस मामले में एफआईआर दर्ज कराएगी.
बीएमसी ने सोसायटी में रहने वाले लोगों से उनके वैक्सीन सर्टिफिकेट भी मांगे हैं. ये जांच भी की जाएगी कि ये जो सर्टिफिकेट दिए गए हैं वो सही हैं या फर्जी हैं. हालांकि, इतने दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कई लोगों को सर्टिफिकेट नहीं मिले हैं, इसकी जांच भी की जाएगी.
इस मामले में दो लोग हिरासत में
खुद को कोकिलाबेन अस्पताल का प्रतिनिधि बताने वाले एक शख्स को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया है. साथ ही संजय गुप्ता नाम के एक शख्स को भी हिरासत में लिया गया है. इस मामले में एक तीसरा आरोपी महेंद्र सिंह है जो अभी तक पुलिस की पहुंच से दूर है.