गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा बेंच ने गुरुवार को नागालैंड सरकार के एक आदेश पर स्टे लगा दिया है. राज्य सरकार द्वारा स्कूल खुलने से पहले सभी टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ को वैक्सीन लगवाने का आदेश दिया था, ऐसा ना करने पर सैलरी रोकने की बात थी. लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस आदेश पर स्टे लगा दिया है और सरकार से नियमों में बदलाव की बात कही है.
नागालैंड में कोरोना के कम होते असर के बीच स्कूल, कॉलेज खुलना शुरू हो गया है. ऐसे में राज्य सरकार ने इसके लिए गाइडलाइन्स जारी की थी. इसी गाइडलाइन्स में ज़िक्र था कि सभी स्टाफ को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी हो, या एक ही लगी हो तो हर 15 दिन में उन्हें कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा.
गाइडलाइन्स के मुताबिक, ऐसा ना होने पर कर्मचारी की सैलरी रोकी या काटी जा सकती है. इसी के बाद इन गाइडलाइन्स को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. अब हाईकोर्ट ने इस गाइडलाइन पर स्टे लगा दिया है.
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कोर्ट का कहना है कि अभी किसी के लिए भी वैक्सीनेशन को अनिवार्य नहीं कर सकते हैं. हालांकि किसी भी व्यक्ति से ऐसा करने की अपील की जा सकती है. इसी के साथ कोर्ट ने राज्य सरकार से अपनी गाइडलाइन्स में बदलाव करने की बात कही है.
आपको बता दें कि वैक्सीन की अनिवार्यता को लेकर इससे पहले मेघालय हाईकोर्ट की ओर से भी अहम टिप्पणी आ चुकी है, जहां अदालत ने किसी के लिए भी वैक्सीन अनिवार्य करना गलत बताया था. हाईकोर्ट के मुताबिक, ये किसी व्यक्ति के अधिकारों का हनन होगा. अगर स्टेट को वैक्सीन लगानी है तो व्यक्ति को उसके फायदे बताकर उसे भरोसा दिलाना होगा, लेकिन ज़बरदस्ती नहीं की जा सकती है.