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Novavax के इमरजेंसी यूज के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ने WHO से मांगी मंजूरी, जानें इस वैक्सीन के बारे में सबकुछ

नोवावैक्स कोरोना वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के पास आवेदन भेजा है. इसके आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मांगी गई है.

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Novavax के लिए मांगी गई इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति
Novavax के लिए मांगी गई इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नोवावैक्स कोरोना वैक्सीन को सीरम ने नोवावैक्स के साथ मिलकर बनाया
  • नोवावैक्स वैक्सीन के दो टीके लगाए जाते हैं, 90 फीसदी प्रभावी

सीरम इंस्टीट्यूट की दूसरी कोरोना वैक्सीन नोवावैक्स (Novavax) भी तैयार हो गई है. सीरम इंस्टीट्यूट ने अब इसके आपातकालीन इस्तेमाल के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) से मंजूरी मांगी है. बता दें कि सीरम ने दवा कंपनी नोवावैक्स के साथ मिलकर नोवावैक्स वैक्सीन को बनाया है. सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन पहले से भारत में लगाई जा रही है. इसी वैक्सीन को यूएस, यूरोप आदि में एस्ट्राजेनिका की वैक्सीन के नाम से लगाया जा रहा है.

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नोवावैक्स ने अपने बयान में बताया है कि WHO के पास किया गया आवेदन भारत में डीसीजीआई के समक्ष कंपनी द्वारा पूर्व में किए गए नियामक प्रस्तुतीकरण पर आधारित है. नोवावैक्स के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेनले सी इर्क ने बताया है कि यह कोविड टीका प्रोटीन आधारित है.

नोवावैक्स की 21 दिन के अंतराल पर लेनी होती हैं दो खुराक

नोवावैक्स वैक्सीन में भी दो खुराक लेनी होती हैं, जिनको 21 दिनों के अंतराल पर लगवाना होता है. इस वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है. मतलब पहले से मौजूद वैक्सीनों के लिए जो कोल्ड चेन चैनल बनाया गया, इनको स्टोर करने के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

खबरों की मानें तो भारत में इसकी कीमत 1,114 रुपये प्रति खुराक तक हो सकती है. शुरुआती डेटा की बात करें तो वैक्सीन को 90 फीसदी प्रभावी और सुरक्षित बताया गया है. साइड इफेक्ट बाकी वैक्सीन जैसे हैं. टीका लगवाने के बाद सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द आदि हो सकता है.

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इसे प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन भी कहा जाता है. इसमें कोरोना स्पाइक प्रोटीन की नुकसान ना पहुंचाने वाली कॉपीज तैयार की जाती है. फिर ये प्रोटीन वायरस जैसे दिखने वाले नैनोपार्टिकल में बदल जाते हैं. वैक्सीन बनाने के लिए इसमें फिर इम्यून-बूस्टिंग कमाउंड डाला जाता है, जिसे सहायक (Adjuvant) कहा जाता है.

फिर जब तैयार टीके को लगाया जाता है तो यह इम्यून सिस्टम को एक्टिव कर देता है जो असली वायरस के आने पर उसके स्पाइक प्रोटीन को पहचान लेता है. नोवावैक्स वैक्सीन एंडीबॉडीज बनाने के साथ-साथ संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट भी करती है.

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