कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है. ओमिक्रॉन के पहले 100 केस 15 दिन में आए थे जबकि 100 के आंकड़े को 200 तक पहुंचने में सिर्फ 4 दिन लगे और अगले 6 दिनों में ये 600 का आंकड़ा छू चुका है.
इसी को देखते हुए सरकार 3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाने जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 15 साल से छोटे बच्चों का क्या होगा और उन्हें कोरोना के खिलाफ सुरक्षा कब मिलेगी.? ये चिंता 35 करोड़ बच्चों के माता-पिता को खाए जा रही है.
देश के हर इलाके में कोरोना को लेकर डर हवा हो चुका है लोगों की ये लापरवाही देश के छोटे-छोटे मासूम बच्चों को बहुत बड़ी मुश्किल में डाल सकती है ? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अमेरिका में ओमिक्रॉन की चपेट में आकर छोटे-छोटे बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं. न्यूयॉर्क में पीडियाट्रिक वॉर्ड्स ओमिक्रॉन से संक्रमित बच्चों से भर गए हैं.
अमेरिका में रोज 2.14 लाख से ज्यादा कोरोना के मामले आ रहे हैं लेकिन उसकी चिंता को बच्चों के संक्रमण की रफ्तार ने बढ़ा दिया है. न्यूयॉर्क में 5 से 19 दिसंबर के बीच जितने लोग अस्पताल में भर्ती हुए उसमें आधे मरीज 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह न्यूयॉर्क में सिर्फ 16% बच्चों का टीकाकरण है.
शुरुआत में माना गया कि बच्चे बिना वैक्सीन के ही कोरोना को हरा सकते हैं और उनके लक्षणों को घर पर ही ठीक किया जा सकता है शायद इसीलिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम में इनका नंबर सबसे बाद में आया. भारत में पहले 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग और हेल्थ वर्करों को टीका लगाया गया. फिर इस सीमा को घटाकर 45 साल और फिर 18 साल किया गया.
अब भारत में 15 से 18 साल की उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाने की तैयारी हो रही है लेकिन 15 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन का कवच कब मिलेगा इसका जवाब मिलना अभी बाकी है. न्यूयॉर्क में अब कोरोना का टेस्ट और वैक्सीन लगवाने वालों लोगों की भीड़ देखी जा रही है. इसमें कई बच्चे ऐसे हैं जो अपने माता-पिता के साथ रैपिड टेस्ट करवाने के लिए पहुंचे थे.
अमेरिका में लगातार कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट में बढ़ोतरी के बाद व्हाइट हाउस ने कहा है कि नया वैरिएंट बड़ी संख्या में बच्चों को संक्रमित कर रहा है. इसके कारण बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है. पिछले कुछ दिनों में न्यूयॉर्क में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या 4 गुना तक बढ़ी है.
ये भी पढ़ें: