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सुपर स्प्रेडर है कोरोना का नया वैरिएंट Omicron, जानें एक मरीज कितनों को कर सकता है संक्रमित

डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा कि Omicron वैरिएंट ऑफ कंसर्न इसलिए है क्योंकि ये बहुत जल्दी लोगों के बीच फैल रहा है. इसके डबलिंग रेट की बात करें तो ये दो से तीन दिन में दोगनी तेजी से फैलता है.

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देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिकॉन का कहर (फाइल फोटो)
देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिकॉन का कहर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बेसिक कोविड प्रोटोकॉल का पालन बेहद जरूरी: डॉ. त्रेहन
  • देश में 400 से भी ज्यादा लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित हैं

देश में कोरोना के नए वैरिएंट Omicron के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. भारत में 400 से भी ज्यादा लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन कोरोना की संभावित तीसरी लहर कितनी घातक है और हर पॉजिटिव सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग क्या संभव है? इन सभी सवालों पर आज तक की टीम ने डॉक्टर नरेश त्रेहान से खास बातचीत की. 

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क्या है R-Naught फैक्टर?

डॉक्टर नरेश त्रेहान ने बताया कि किसी भी वैरिएंट का "R-naught फैक्टर" ये बताता है कि यदि ये बीमारी एक व्यक्ति को होती है तो आगे और कितने लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं. सबसे पहले जब अल्फा वैरिएंट आया तो उसका R-naught फैक्टर 2.5 था यानि वो इंफेक्टेड व्यक्ति से 2 से 3 लोगों को संक्रमित करेगा. दूसरा डेल्टा वैरिएंट था, जिसमें हर दिन करीब चार लाख मामले देखे गए. उसका R-naught फैक्टर था 6.5, यानी वो एक व्यक्ति से 6-7 लोगों को संक्रमित करेगा. अब जो नया वैरिएंट omicron आया है उसका R-naught फैक्टर इन सबसे तीन गुना ज्यादा है यानि वो एक संक्रमित व्यक्ति से 20 लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है. इसलिए इसे सुपर स्प्रेडर कहा जा रहा है.  

इसका सबसे बड़ा खतरा ये है कि ओमिक्रॉन ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीमार कर सकता है. अभी जो आंकड़े देखने को मिल रहे हैं, उसमें ये बात सामने आ रही है कि लोगों में संक्रमण तो फैल रहा है लेकिन इसका सीवियर फैक्टर लेवल कम देखने को मिल रहा है. इसके दो कारण है- पहला तो ये कि अधिकतर लोगों को वैक्सीन लग चुकी हैं और दूसरा- कई सारे लोगों में अब एंटीबॉडीज बन चुकी है. वैज्ञानिकों का ये कहना है कि लोगों ने अब इम्यूनिटी अपने आप में डेवलप कर ली है.

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वैक्सिनेटेड लोगों को भी कर रहा है संक्रमित

डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा कि Omicron वैरिएंट ऑफ कंसर्न इसलिए है क्योंकि ये बहुत जल्दी लोगों के बीच फैल रहा है. इसके डबलिंग रेट की बात करें तो ये दो से तीन दिन में दोगनी तेजी से फैलता है. सबसे खतरनाक बात ये है कि वैक्सिनेटेड लोगों और साथ ही साथ जिनकी इम्यूनिटी स्ट्रांग है, उनको भी संक्रमित कर रहा है. 

दो सबसे बड़े चैलेंज

डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा कि हमारे सामने दो बड़े चैलेंज है- पहला तो ये कि बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है और दूसरा 50% आबादी को अभी भी 2nd डोज वैक्सीन नहीं लगी है. तीसरा फैक्टर ये है कि वैक्सीन से आई हुई इम्यूनिटी अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है.

बूस्टर डोज है जरूरी

डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा कि इन्हीं सब कारणों से बूस्टर लगवाना आवश्यक है. जरूरी है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को सबसे पहले बूस्टर डोज लगाया जाए क्योंकि इन लोगों को नई जंग के लिए तैयारी करनी है. जैसे ही वैक्सीन की उपलब्धि होती है वैसे ही बूस्टर डोस देना शुरू कर देना चाहिए.

क्या हर सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग मुमकिन है?

डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि हर एक सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग किया जाना एक बहुत बड़ी चुनौती है. हर एक व्यक्ति जो विदेश से आया है, उनके सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग किया जाना बेहद जरूरी है, लेकिन जीनोम सीक्वेंसिंग में करीब 1 हफ्ते का समय लगता है इसलिए जरूरी है कि हम नई टेक्नोलॉजी डिवेलप करें. साथ ही साथ हॉट स्पॉट्स के रियल टाइम मॉनिटरिंग हो.

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नए साल के जश्न में सावधानी न भूलें

Omicron वैरिएंट के बढ़ते हुए संक्रमण से एक बात तो साफ है कि ये वैक्सीनेटेड लोगों को भी संक्रमित कर रहा है. ऐसे में आप वैक्सीन की आड़ में अपने आप को सुरक्षित नहीं समझ सकते. जाहिर सी बात है कि आने वाले नए साल के लिए कई तरह की पार्टियों का आयोजन किया जाएगा, लेकिन जरूरी है कि हम बेसिक वर्ड प्रोटोकॉल का पालन जरूर करें. जैसे हमने दूसरे लहर के दौरान एक जंग लड़ी थी, उसी तरह से तीसरी लहर के लिए हमें भी सतर्क रहना हैं. बेसिक covid प्रोटोकॉल का पालन बेहद जरूरी है.

 

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