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...तो अब नाइट्रोजन प्लांट से ऑक्सीजन बनाएगी सरकार, क्या है पीएम मोदी का प्लान?

पीएम मोदी ने रविवार को नाइट्रोजन प्लांट्स को ऑक्सीजन प्लांट्स में बदलने के काम की रिव्यू मीटिंग की. दरअसल, कोरोना संकट में ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए सरकार अब नाइट्रोजन के जरिए ऑक्सीजन बनाने पर काम कर रही है.

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ऐसा हुआ तो ऑक्सीजन संकट से राहत मिल सकती है. (फाइल फोटो-PTI)
ऐसा हुआ तो ऑक्सीजन संकट से राहत मिल सकती है. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नाइट्रोजन प्लांट से ऑक्सीजन बनाने का प्लान
  • अब तक 14 उद्योगों की पहचान हुई

देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बेकाबू होती जा रही है. मरीज बढ़ते जा रहे हैं. मौतें बढ़ती जा रही हैं. ज्यादातर मौतों के पीछे वजह ऑक्सीजन की कमी को माना जा रहा है. लेकिन बहुत जल्द ही इस समस्या का समाधान होने की उम्मीद है. क्योंकि सरकार अब नाइट्रोजन प्लांट के जरिए ऑक्सीजन बनाने पर काम कर रही है, ताकि ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा सके. 

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दरअसल, मोदी सरकार ऐसे नाइट्रोजन प्लांट्स की पहचान कर रही है, जिसे ऑक्सीजन प्लांट्स के रूप में बदला जा सके. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने अब तक 14 नाइट्रोजन प्लांट्स की पहचान कर ली है. 37 प्लांट्स की पहचान और होनी है. प्रधानमंत्री मोदी ने आज इसकी रिव्यू मीटिंग की.

सरकार की योजना है कि जिन नाइट्रोजन प्लांट्स को ऑक्सीजन के प्रोडक्शन के लिए तब्दील किया जाएगा, उन्हें किसी अस्पताल के आस पास ही शिफ्ट किया जा सकता है. लेकिन अगर शिफ्ट करना मुश्किल होगा, तो इसका इस्तेमाल कर ऑक्सीजन बनाई जा सकती है, जिसे सिलेंडर या टैंकरों के जरिए अस्पतालों में पहुंचाया जा सकता है.

क्या है पूरा प्लान?
मीटिंग में मौजूदा प्रेशर स्विंग एड्सॉर्प्शन (पीएसए) नाइट्रोजन प्लांट्स को ऑक्सीजन बनाने के लिए तब्दील करने की प्रोसेस पर बात की गई. मीटिंग में बताया गया कि नाइट्रोजन प्लांट्स में कार्बन मॉलिक्यूलर सीव (CMS) का उपयोग किया जाता है जबकि ऑक्सीजन बनाने के लिए जियोलाइट मॉलिक्युलर सीव (ZMS) की जरूरत होती है. इसलिए, CMS को ZMS के साथ बदलकर और कुछ अन्य बदलावों जैसे ऑक्सीजन एनालाइजर, कंट्रोल पैनल सिस्टम, फ्लो वाल्व आदि के साथ मौजूदा नाइट्रोजन प्लांट्स को ऑक्सीजन के प्रोडक्शन के लिए बदला जा सकता है.

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