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फाइजर, बायोटेक ने शुरू किया बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल, लगाया पहला टीका

वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी फाईजर इंक और बायोनटेक एसई ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर वैक्सीन टेस्टिंग शुरू कर दी है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फाईजर और बायोनटेक एसई ने शुरू किया बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन का ट्रायल
  • मॉडर्ना ने भी शुरू किया बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन का ट्रायल

देश भर में जहां एक तरफ कोरोना की रफ़्तार बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ वैक्सीनेशन अभियान भी तेजी से चल रहा है. इस बीच वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी फाईजर इंक और बायोनटेक एसई ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर वैक्सीन टेस्टिंग शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि वैक्सीनेशन की उम्र को 2022 तक एक्स्पेंड कर दिया जाएगा. फाईजर प्रवक्ता शेरोन कैस्टिलो ने बताया कि वैक्सीनेशन के शुरुआती चरण में बुधवार को पहले वॉलंटियर को टीका लगाया गया था.    

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इससे पहले इसी हफ्ते मॉर्डना ने अमेरिका में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया. इसे KidCOVE अभियान नाम दिया गया है. इस अभियान के तहत अमेरिका और कनाडा में 6 महीने से 11 साल तक के 6750 बच्चों को ट्रायल के लिए रजिस्टर्ड किया गया है. मॉडर्ना की mRNA-1273 वैक्सीन के इस ट्रायल में इस बात का पता लगाया जा रहा है कि क्या कोरोना वायरस के संपर्क में आने पर वैक्सीन बच्चों में उससे सुरक्षा करने की क्षमता विकसित कर पाता है? ये ट्रायल अमेरिका के नेशनल एलर्जी और इंफेक्सियस डिजीज इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किया जा रहा है.
 

बच्चों पर कैसे होता है ट्रायल?
अमेरिकी न्यूज एजेंसी सीएनएन के मुताबिक दो हिस्सों में ये ट्रायल हो रहा है. पहले फेज में बच्चों पर अलग-अलग डोज का इस्तेमाल किया जाएगा. 6 महीने से 1 साल के बच्चों को 28 दिन के अंतराल पर 25, 50 और 100 माइक्रोग्राम लेवल की डोज दी जाएगी. जबकि 2 से 11 साल के बच्चों को 50 और 100 माइक्रोग्राम लेवल की दो डोज दी जाएगी 28-28 दिन के अंतराल पर. बच्चों को वैक्सीन की दो डोज देने के बाद 12 महीने तक उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जाएगी.

भारत में भी चल रही तैयारी
भारत में भी सीरम इंस्टीट्यूट अक्टूबर तक बच्चों के लिए टीका लाने की तैयारी में है. यह वैक्सीन बच्चों को उनके जन्म के एक महीने के भीतर लगाई जाएगी. साथ ही कंपनी इसी वैक्सीन को आगे एक दवा के रूप में विकसित करेगी ताकि यदि बच्चे कोरोना से संक्रमित हों तो उन्हें यह दी जा सके. भारत बायोटेक ने वयस्क आबादी पर 3 फेज का ट्रायल पूरा कर लिया है और अब कंपनी का प्लान 5 साल से 18 साल के बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल का है.

बच्चों में मिल रहे ये लक्षण
बता दें कि भारत में भी इंडियन एकेडमी फॉर पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर की रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है. इसके मुताबिक भारत में कोरोना से जुड़े MIS-C यानी Multisystem Inflammatory Syndrome in Children के 2000 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं. इसमें बुखार का असर हार्ट, लंग और ब्रेन पर होता है. इसके लक्षण हैं- आंखों का लाल होना, रैशेज, लो ब्लड प्रेशर, तेज बुखार, पेट में दर्द और सांस लेने के रास्ते में इंफेक्शन. इसीलिए कोरोना की वापस हुई लहर को देखते हुए एक्सपर्ट ज्यादा प्रभावित इलाकों में बच्चों को स्कूल जाने से बचने की सलाह दे रहे हैं.

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