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फाइजर चाहती है अप्रूवल से पहले ही कोरोना वैक्सीन खरीदे भारत

फाइजर पहली कंपनी थी जिसनें भारत में अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए आवेदन किया था.लेकिन भारत में हाल ही में दो अन्य वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) का कहना है कि फाइजर की तरफ से दिसंबर में वैक्सीन के अप्रूवल के लिए आवेदन किया गया था लेकिन इसके बाद कंपनी के अधिकारी बैठकों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए.

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फाइजर चाहती है कि भारत उसकी  वैक्सीन खरीद का भरोसा दे.
फाइजर चाहती है कि भारत उसकी वैक्सीन खरीद का भरोसा दे.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फाइजर ने EUA के लिए भारत में किया था सबसे पहले आवेदन
  • सीडीएससीओ ने कर दिया था इनकार
  • फाइजर चाहती है भारत वैक्सीन खरीदने का भरोसा दे

विश्वभर में कोरोना वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो रहा है. भारत में भी दो कंपनियों की कोरोना की वैक्सीन को मंजूरी दी गई है. ऐसे में अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर चाहती है कि भारत में उसके वैक्सीन को अप्रूवल से पहले खरीदने का भरोसा दिया जाए.

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एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक फाइजर का कहना है कि कंपनी वैक्सीन अप्रूवल के लिए तभी आगे बढ़ेगी अगर भारत फाइजर कंपनी द्वारा बनाई गई वैक्सीन खरीदने का भरोसा देता है. फाइजर का कहना है कि उसकी वैक्सीन के नतीजे काफी अच्छे हैं. वैक्सीन 95 प्रतिशत प्रभावी है और वैक्सीन के कोई गंभीर दुष्परिणाम नहीं हैं.

फाइजर का कहना है कि ऐसे ही परिणाम वाली वैक्सीन जो जर्मन पार्टनर BioNTech के साथ बनाई गई है जिसे ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और कनाडा में मंजूरी दे दी गई है.

बता दें कि फाइजर पहली कंपनी थी जिसने भारत में अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए आवेदन किया था. लेकिन भारत में हाल ही में दो अन्य वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई है. भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) का कहना है कि फाइजर की तरफ से दिसंबर में वैक्सीन के अप्रूवल के लिए आवेदन किया गया था लेकिन इसके बाद कंपनी के अधिकारी बैठकों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए. सीडीएससीओ ने फाइजर की उस गुजारिश को भी खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि बिना ट्रायल के वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी जाए.

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इससे पहले फाइजर की तरफ से कहा गया था कि कई देशों में उसकी वैक्सीन प्रभावी रूप से काम कर रही है. कंपनी का कहना है कि वो गवर्मेंट सप्लाई को प्राथमिकता दे रही है. ऐसे में भारत सरकार के रुख का इंतजार है. उसके बाद कंपनी अपने रेगुलेटरी प्रक्रिया पर विचार करेगी. कंपनी ने अन्य देशों में भी ऐसा किया है.

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