देश में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. कुछ रिपोर्ट्स में इसे सर्दियों में और बढ़ने का खतरा भी जताया गया है. केंद्र और राज्य सरकारें इस महामारी से निपटने की तमाम कोशिश कर रही हैं, लेकिन नए केस रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. कोरोना के गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का काफी इस्तेमाल हो रहा है. इसी मुद्दे पर एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ गुलेरिया ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी ने कोरोना के मृत्यु दर को कम नहीं किया है.
आईसीएमआर द्वारा किए गए सूक्ष्म अवलोकन के बाद डॉ गुलेरिया ने कहा कि यह कहने के लिए बहुत जल्दी होगा, हमें और अधिक डेटा को देखने की जरूरत है. लेकिन, आईसीएमआर के अध्ययन में बड़ी संख्या में ऐसे रोगियों को शामिल किया गया था जिन्हें प्लाज्मा दिया गया था, जबकि उनमें पहले से एंटीबॉडीज थे.
गुलेरिया ने आगे कहा कि अगर किसी मरीज के शरीर में एंटीबॉडीज पहले से ही हैं तो उसे बाहर से देने से बहुत फायदा नहीं हो सकता है. उन्होंने इस दौरान ये भी स्पष्ट किया कि प्लाज्मा थेरेपी ने कोविड-19 की मृत्यु दर को कम नहीं किया है.
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प्लाज्मा थेरेपी पर बात करते हुए एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप डुलेरिया ने आगे कहा कि प्लाज्मा कोई जादू की गोली नहीं है. हमें इसे ठीक से इस्तेमाल करना होगा जहां ये उपयोगी हो सकता हो, बजाय ये कहने के कि इससे हर किसी को फायदा हो सकता है. कोविड से हम जो सीख रहे हैं, वह यह है कि अगर सही समय पर उपचार हो तो ही फायदा हो सकता है.
अपनी बात जारी रखते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि सर्दियों के दौरान स्वाइन फ्लू के मामलों में तेजी दिखाई देती है. संभावना है कि कोरोना के मामलों में भी ऐसा ही हो. ऐसा डेटा भी है जो दिखाता है कि वायु प्रदूषण से कोविड-19 का संक्रमण काफी तेज हो सकता है. यह बात इटली और चीन में पिछले कुछ महीनों में किए गए एक अध्ययन पर आधारित है.