सरकार की ओर से देश भर में खास गाइडलाइंस के मुताबिक, Covid-19 टेस्टिंग के लिए प्राइवेट लैब्स को हरी झंडी दिखाए करीब एक महीना हो गया, लेकिन प्राइवेट लैब्स के लिए लॉजिस्टिक बाधाओं और लालफीताशाही की वजह से ऐसा कर पाना अब भी टेढ़ी खीर बना हुआ है.
केंद्र सरकार को दरकिनार कर राज्य सरकारें प्राइवेट लैब्स के लिए टेस्टिंग की कीमतें निर्धारित कर रही हैं, ऐसे में प्राइवेट लैब्स जूझ रही हैं. यहां टेस्टिंग कम होने से ऑपरेटिंग लागत बढ़ जाती है.
नोएडा के रहने वाले राहुल Covid-19 टेस्ट के लिए दर-बदर भटक रहे हैं. वो कई डॉक्टर्स और अस्पतालों का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन कहीं बात नहीं बनी. राहुल को गले में सूजन, ठंड और खांसी की शिकायत है. राहुल किसी प्राइवेट लैब से टेस्ट कराना चाहते हैं, लेकिन कोई उन्हें प्रेस्क्रिप्शन देने को तैयार नहीं. राहुल को डर है कि कहीं परिवार के बाकी सदस्यों को भी संक्रमण ना हो जाए, इसलिए उन्होंने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया है.
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राहुल ने कहा, 'मैं निवेदन करता हूं कि प्राइवेट लैब्स से टेस्टिंग आसान की जानी चाहिए. मैं कई दिन से कोशिश कर रहा हूं. मैं सरकारी अस्पताल नहीं जाना चाहता. मुझे खांसी, छाती में जमाव और कोरोना के अन्य लक्षण अपने में दिखते हैं. मैंने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और अन्य अधिकारियों को फोन किया. कई डॉक्टरों ने मुझसे मिलने से मना कर दिया, उन्हें डर था कि कहीं उनका अस्पताल सील न हो जाए.'
इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी के लक्षण वाले लोगों को भी प्राइवेट लैब्स से टेस्टिंग कराने में दिक्कत आ रही हैं. हमने इस संबंध में डॉ. लाल पैथ लैब के चेयरमैन डॉ अरविंद लाल से बात की. डॉ लाल ने कहा, ऐसे केस हैं जहां मरीज प्रेस्क्रिप्शन नहीं दिखा पाते. ICMR की परिभाषा बदलनी चाहिए जिससे कि इन्फलुएंजा जैसी बीमारियों वाले मरीजों (जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं) की टेस्टिंग बढ़ाई जा सके.”
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देश भर में प्राइवेट लैब्स का टेस्टिंग औसत 16 -18 फीसदी ही है. ये स्थिति इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और RT-PCR टेस्ट के लिए किट्स के थोक में ऑर्डर दिए जाने के बावजूद है. ऊंची ऑपरेटिंग लागत और कम टेस्टिंग से कीमतों का दबाव बनता है. सुप्रीम कोर्ट के शुरुआती आदेश से भ्रम हुआ और आरंभ में इसने स्पीड-ब्रेकर का काम किया. प्राइवेट लैब्स की राह में राज्य सरकारों के रवैये से भी दिक्कत आ रही है. ICMR की ओर से प्राइवेट लैब्स के लिए टेस्ट की कीमत 4500 रुपये निर्धारित किए जाने के बावजूद राज्य सरकारें अपनी ओर से कीमतों पर कैप लगा रही हैं.
किस जगह टेस्ट की कितनी कीमत तय?
कर्नाटक- 2,500 रुपये
उत्तर प्रदेश- 2,250 रुपये
तेलंगाना में 11 प्राइवेट लैब्स को ICMR की अनुमति के बावजूद टेस्टिंग की अनुमति नहीं दी जा रही.
मुंबई में BMC प्राइवेट लैब्स में टेस्टिंग के लिए 3,500 रुपये का भुगतानन कर रहा है.
डॉ डैंग्स लैब के डॉ नवीन डैंग कहते हैं, 'जो टेस्ट की कीमत रखी गई है वो पहले ही बिना मुनाफे वाली है. हम जब सार्स का प्रकोप फैला था तब भी टेस्ट के लिए इतनी ही कीमत चार्ज करते थे. इसके अलावा भौगोलिक स्थिति की भी अड़चनें हैं. कई राज्य सरकारें ICMR की अनदेखी कर अपने आदेश जारी कर रही हैं, जिससे हमारा काम प्रभावित हो रहा है.'
डायग्नोस्टिक सेंटर्स जटिल प्रक्रियाओं और वाहनों की आवाजाही पर बाधाओं का भी हवाला देते हैं. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी ICMR की गाइडलाइंस के बावजूद प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी लैब्स से टेस्टिंग कराने के फरमान जारी कर रहे हैं.
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पैनल में शामिल प्राइवेट लैब्स का कहना है कि उन्हें देश में कहीं से भी अपने कलेक्शन सेंटर्स से सैंपल कलेक्ट करने और उन्हें टेस्टिंग सेंटर्स तक लाने की अनुमति होनी चाहिए. साथ ही उन स्थानीय चीफ मेडिकल ऑफिसर से इजाजत लेने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. राज्य सरकारों को इस संबंध में निर्देश जारी करने चाहिए.
एक तरफ कोरोना वायरस से लड़ाई में अधिक से अधिक टेस्टिंग को ही सबसे बड़ा हथियार बताया जा रहा है, वहीं प्राइवेट लैब्स को इस काम में बढ़ावा न दिया जाना, अपने आप में हैरान करने वाला है.