
देश में विकराल रूप धारण कर चुके कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, उनके विभाग अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे हैं. बढ़ते कोविड मरीजों के बिस्तरों की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने रेलवे कोचेज का सहारा लेने का निर्णय लिया था. जो अब धरातल पर उतरने लगा है. आइसोलेशन कोचेज की शुरुआत महाराष्ट्र से शुरू हो चुकी है. इस पर जानकारी देते हुए रेल मंत्री पियूष गोयल ने कहा है ''रेलवे अपने सभी संसाधनों को कोविड महामारी से लड़ने के लिए लगा रही है, महाराष्ट्र के नंदुरबार में आइसोलेशन कोच शुरू कर दिए गए हैं. जहां कोविड मरीजों को भर्ती किया जा रहा है.''
इन आइसोलेशन कोचेज में गर्मी न लगे, इसका भी ध्यान रेलवे ने बड़े अच्छे से रखा है. इसके लिए रेलवे ने हर खिड़की के बाहर कूलर लगवाए हैं. जिससे कि मरीजों के लिए आइसोलेशन में अपने दिन काटना भारी न पड़े. इसके अलावा रेलवे ने कोचेज की छतों को गर्मी से बचाने के लिए उनके ऊपर जूट के बोरी-बिस्तर लगा दिए हैं.
दिल्ली सरकार ने भी रेलवे से रिक्वेस्ट की है कि दिल्ली में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए आइसोलेशन कोचेज मुहैया करवाए जाएं. दिल्ली सरकार ने रेलवे को पत्र लिखकर रेलवे के कोचेज में 5 हजार बिस्तरों की मांग की है जिसके साथ पैरामेडिकल स्टाफ भी हो. रेलवे द्वारा तैयार किए जा रहे कोचेज में ऑक्सीजन से लेकर कोरोना में आवश्यक हर स्वास्थ्य सुविधा का ध्यान रखा जाएगा.
रेलवे केवल आइसोलेशन कोचेज पर ही काम नहीं कर रही बल्कि रेलवे का काम अब ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए भी किया जाएगा. अब रेलवे ने भी अपनी रोल ऑन रोल ऑफ स्कीम के तहत लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के क्रायोजेनिक टैंकरों के माध्यम से परिवहन की अनुमति दे दी है. अब देश के अलग-अलग हिस्सों में रेलवे के माध्यम से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को पहुंचाया जा सकेगा. रेलवे ने ये फैसला महाराष्ट्र सरकार और प्रधान सचिव की रिक्वेस्ट के बाद लिया है.