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राजकोट: अस्पताल कर्मियों ने कोरोना पॉजिटिव मरीज को पीटा, हुई मौत, वीडियो वायरल

कोरोना होने के कारण 8 सितंबर को सिविल अस्पताल में उपचार हेतु ले जाया गया. 9 सितंबर को उसके साथ परिवारवालों ने भी फोन पर बातचीत की थी, लेकिन उसके बाद जब भी फोन करते तो अस्पताल स्टाफ की ओर से कहा जाता कि मरीज सो गया है या फिर बात करने की स्थिति में नहीं है.

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राजकोट में कोरोना मरीज को पीटते अस्पताल कर्मी (वीडियोग्रैब)
राजकोट में कोरोना मरीज को पीटते अस्पताल कर्मी (वीडियोग्रैब)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 8 सितंबर को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया
  • 9 को आखिरी बार परिजनों से बात हुई
  • कांग्रेस ने साधा निशाना, CM के क्षेत्र में हुई यह वारदात
  • CM विजय रुपाणी का गृह नगर, चुनाव क्षेत्र है राजकोट

गुजरात के राजकोट के सिविल अस्पताल से एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिख रहा है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज को अस्पताल के स्टाफ बेहद बुरी तरह से पीट रहे हैं. इसके करीब 2 दिन बाद मरीज की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के लोग मरीज से बात तक नहीं करने देते थे. उसकी मौत के लिए अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार है. 

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अब मृतक प्रभाकर भाईदासभाई पाटिल (38 साल) के भाई ने अस्पताल प्रशासन पर उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. इस संबंध में मृतक के भाई विलास पाटिल ने कहा कि उनके भाई प्रभाकर पाटिल की 12 सितंबर को अस्पताल में मौत हो गई थी और इससे पहले उन लोगों ने बेरहमी से उन्हें खूब मारा-पीटा. वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों में खासा नाराजगी हैं. 

कोरोना पॉजिटिव शव परिजनों को सौंपा
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना की वजह से मौत होने के बावजूद अस्पताल ने शव को परिजनों को सौंप दिया. यहां तक प्रोटोकॉल के तहत शव का अग्निदाह तक नहीं किया गया.

11 दिन पहले प्रभाकर पाटिल को किडनी की तकलीफ होने से निजी अस्पताल ले जाया गया था. अस्पताल की ओर से उन्हें बताया गया कि प्रभाकर की किडनी में पानी भर गया है. उनका ऑपरेशन कर पानी निकाला गया और बाद में सांस में तकलीफ होने लगी. कोरोना टेस्ट कराने पर रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई.

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कोरोना होने के कारण गत 8 सितंबर को सिविल अस्पताल में उपचार हेतु ले जाया गया. 9 सितंबर को उसके साथ परिवारवालों ने भी फोन पर बातचीत की थी, लेकिन उसके बाद जब भी फोन करते तो अस्पताल स्टाफ की ओर से कहा जाता कि मरीज सो गया है या फिर बात करने की स्थिति में नहीं है और ऐसा कहकर बात करने नहीं देते थे.

इस दौरान एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें दो सुरक्षाकर्मी डंडे लेकर खड़े हैं और पीपीई किट पहने अस्पताल स्टाफ मरीज को जमीन पर सुलाकर उसका हाथ अपने पैरों से दबा रखा है. घुटने से लेकर पेट पर दबाव दिया जा रहा है और एक कर्मचारी बुरी तरह से डंडे मार रहा है. एक तो थप्पड़ तक मार रहा है. जबकि मरीज पानी-पानी की मांग कर रहा था.

रोगी को पागलपन का दौराः अस्पताल  

सिविल अस्पताल के जिम्मेदार अफसर ने अपना बचाव करते हुए कहा कि रोगी को पागलपन का दौरा चढ़ा था और उसे नियंत्रण में लिया गया ताकि वह दूसरों को हानि न पहुंचाए. इस वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि किसी कारण से रोगी नियंत्रण में नहीं आ रहा था. वीडियो के वायरल होने के तुरंत बाद ही प्रसाशन हरकत मे आया और स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि खुद जायजा लेने पहुंचीं.

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मृतक के परिजनों का कहना है कि शहर की एक फैक्ट्री में ऑपरेटर के तौर पर सर्विस करते थे और मानसिक तौर पर संपूर्ण स्वस्थ थे. परिजनों ने अस्पताल की लापरवाही और अमानवीय व्यवहार से उनकी मौत होने का आरोप लगाते हुए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है.


 

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