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कोरोना की बढ़ी रफ्तार, डिमांड में रेमडेसिविर, जानें आप तक कैसे पहुंचेगी

आइए जानते हैं कि निर्यात पर रोक से रेमडेसिविर इंजेक्शन से फ़ौरी तौर पर क्या राहत मिलने के आसार हैं? और लोगों तक इसकी पहुंच आसानी से हो, इसके लिये सरकार क्या क़दम उठा रही है?

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रेमडेसिविर इंजेक्शन की डोज
रेमडेसिविर इंजेक्शन की डोज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर लगी रोक
  • अब लोगों तक रेमडेसिविर पहुंचाने की कोशिश

कोरोना के बढ़ते केस के बीच केंद्र सरकार ने भी कल से रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर रोक लगा दी है ताकि लोगों को ये आसानी से मिल सके. आइए जानते हैं कि निर्यात पर रोक से रेमडेसिविर इंजेक्शन से फ़ौरी तौर पर क्या राहत मिलने के आसार हैं? और लोगों तक इसकी पहुंच आसानी से हो, इसके लिये सरकार क्या क़दम उठा रही है?

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सबसे पहले समझिए की रेमडेसिविर की कमी क्यों आई? देश में सात कंपनियां मिलकर हर महीने 38.80 लाख इंजेक्शन तैयार करती हैं. उत्पादन होने के बाद भी रेमडेसिविर की कमी इसलिए हुई, क्योंकि कंपनी ने इसका उत्पादन दिसंबर में घटा दिया था, क्योंकि उस वक्त रोजाना 30 हजार के आसपास मामले ही आ रहे थे और इंजेक्शन की डिमांड कम हो गई थी.

अब सवाल है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लोगों तक कैसे पहुंचेगा? यह तभी संभव है, जब केंद्र इस पर रेगुलेशन लगाएगी. अभी सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल रहा है और प्राइवेट अस्पताल बाहर से लाने के लिए कह रहे हैं, जबतक प्राइवेट अस्पतालों तक इंजेक्शन नहीं पहुंचेगा, तब तक सभी लोगों के पास नहीं पहुंचेगा.

दरअसल, कोरोना के बढ़ते मामले के बाद चाहे वह महाराष्ट्र हो या फिर गुजरात, हर राज्य को अब रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही है, क्योंकि ज्यादातर जो केस आ रहे हैं, उनका बुखार बिना रेमडेसिविर इंजेक्शन के कम नहीं हो रहा है, मरीजों को 11-11 दिनों तक तेज बुखार रहता है. इस वजह से रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड बढ़ गई थी.

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इस बीच सरकार ने इंजेक्शन बनाने वाली सभी कंपनियों से कहा है कि वो अपनी वेबसाइट पर इसके स्टॉक और डिस्ट्रीब्यूटर्स की जानकारी दें. साथ ही ड्रग इंस्पेक्टर और बाकी अधिकारियों को भी इंजेक्शन की कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल को भी कंपनियों के साथ मिलकर काम करना है.

केंद्र ने निर्यात पर लगाई रोक
रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी है. इससे राज्यों को थोड़ी राहत मिल सकती है. महाराष्ट्र सरकार ने पिछले ही दिनों कहा था कि उनको हर रोज 5 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन चाहिए, गुजरात में तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की प्रोडक्शन ही खत्म हो गई थी.

इंजेक्शन के दाम में भी कटौती
रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड को देखते हुए इसके दाम में भी कटौती की गई है. पिछले साल जैसे ही इसकी डिमांड बढ़ी, तब इसका दाम 40 हजार रुपये तक पहुंच गया था और ब्लैक मार्केटिंग की जा रही थी, लेकिन अब कंपनियों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन का दाम 2400 से घटाकर 1800 रुपये कर दिया है.

 

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