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साल 2020 अब अपने अंत की ओर है और इसी के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में कुछ पॉजिटिव खबरें आना शुरू हो गई हैं. दुनिया के कुछ देशों में कोरोना वैक्सीन देने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है, ब्रिटेन और अमेरिका इस रेस में सबसे आगे हैं. इस बीच रूस द्वारा बनाई गई स्पुतनिक-V वैक्सीन का डाटा बीते दिन सामने आया, जिसमें दावा किया गया है कि वैक्सीन का 91 फीसदी से अधिक का सफलता रेट है. ऐसे में इसको लेकर उम्मीदें तेज़ हो गई हैं, वैक्सीन को लेकर ताज़ा अपडेट क्या है, एक नज़र डालिए...
कंपनी ने साझा किया सफलता का रेट
रूस द्वारा निर्मित स्पुतनिक-V वैक्सीन दुनिया की पहली रजिस्टर्ड कोरोना वैक्सीन है. हालांकि, अभी ये इस्तेमाल में नहीं लाई गई है और प्रोडक्शन शुरू होने के पहले के अंतिम फेज़ में है. सोमवार को रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय और वैक्सीन बनाने वाले रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने ऐलान किया कि इस वैक्सीन का सफलता प्रतिशत 91.4 फीसदी है.
स्पुतनिक-V की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, प्रोडक्शन के पहले के फाइनल चरण में कुल 78 कन्फर्म कोरोना केस पर इसका ट्रायल किया गया. इनमें से 62 पर प्लेसिबो डोज़ और 16 पर वैक्सीन डोज़ दी गई. जिसका नतीजा 91.4 फीसदी सफलता के तौर पर आया.
भारत समेत इन देशों में जारी है ट्रायल
कंपनी के अनुसार, 14 दिसंबर तक स्पुतनिक-V वैक्सीन का ट्रायल करीब 26 हजार लोगों पर चल रहा है. इनमें रूस के दो दर्जन सेंटर शामिल हैं, जबकि बेलारू, वेनजुएला, UAE और अन्य देशों में क्रिटिकल ट्रायल का तीसरा फेज़ चल रहा है, भारत में इस वैक्सीन का दूसरा और तीसरा फेज़ चल रहा है.
भारत में क्या स्थिति, प्रोडक्शन का क्या होगा?
भारत में हैदराबाद की कंपनी डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज के अंतर्गत इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, जो दूसरे और तीसरे फेज़ में है. वैक्सीन के ट्रायल के साथ-साथ प्रोडक्शन को लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं. काफी वक्त पहले हैदराबाद की कंपनी डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के बीच दस करोड़ कोरोना वैक्सीन की खुराक का समझौता हुआ था.
भारतीय दवा कंपनी हेटरो और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के बीच भारत में स्पुतनिक-V की डोज बनाने का करार हुआ है, जिसके तहत भारत में हर साल करीब दस करोड़ डोज़ तैयार की जाएंगी. उम्मीद के मुताबिक, जनवरी 2021 में बड़े स्तर पर प्रोडक्शन की शुरुआत हो सकती है जिसके बाद वैक्सीन देने का काम शुरू होगा.
रूस द्वारा निर्मित इस वैक्सीन को रखने के लिए -18 डिग्री तक का तापमान चाहिए, जिसमें इसे स्टोर किया जा सकता है. रूस का कहना था कि दुनिया में बन रही अन्य वैक्सीन के मुकाबले इसका दाम कम होगा, हालांकि अभी सही दाम की पुष्टि नहीं हुई है.