एक तरफ सिविल सोसाइटीज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से अपील कर रही हैं कि वे एक 'ग्लोबल वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम' शुरू करें जिसमें वैक्सीन संबंधित टेक्नोलॉजी को शेयर किया जा सके और कंपनियों और सरकारों को वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाए. वहीं अब रूस ने दोबारा से घोषणा करते हुए कहा है कि रूस कोविड वैक्सीन के निर्माण के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और टेक्नोलॉजी सपोर्ट फ्री में शेयर करने के लिए तैयार है. रूस ने कहा है कि वो भारत, चीन समेत अन्य सहयोगी देशों को मुफ्त में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के लिए तैयार है.
हाल ही में भारत की स्वास्थ्य एजेंसी 'ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने रूस की स्पूतनिक वी कोविड वैक्सीन के भारत में उपयोग किए जाने को अनुमति दी है. इस घोषणा के बाद ही इस वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग और ग्लोबल सप्लाई की अगुआई कर रही 'रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड(RDIF) एजेंसी ने कहा है कि स्पूतनिक वी कोरोना वैक्सीन को अनुमति देने वाला भारत 60वां देश बन चुका है.
'रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड' के सीईओ ने कहा है कि ''RDIF ने भारत की बड़ी बड़ी फार्मा कंपनियों से पार्टनरशिप की है जो न केवल भारत के नागरिकों को वैक्सीन मुहैया कराएंगी बल्कि इस वैक्सीन के ग्लोबल डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी करेंगी. भारत में प्रतिवर्ष 850 मिलियन वैक्सीन डोज बनने जा रही हैं जो दुनिया के करीब 425 मिलियन लोगों के टीकाकरण के लिए पर्याप्त है.
RDIF के सीईओ किरिल दिमित्रेव (Kirill Dmitriev) ने आगे कहा ''हमारी वैक्सीन दस देशों के बीस उत्पादकों से पार्टनरशिप में है, इनमें से ग्लैंड फार्मा (Gland Pharma), हेटेरो बायोफार्मा (Hetero Biopharma,), पैनेशिया बायोटेक(Panacea Biotec), स्टेलिस बायोफार्मा( Stelis Biopharma), विरचो बायोटेक(Virchow Biotech) भारतीय कंपनियां हैं, जो RDIF के साथ वैक्सीन निर्माण का काम करेंगी. भारत में प्रति वर्ष कम से कम 50 मिलियन वैक्सीन का उत्पादन करने का प्लान है. कुछ कंपनियां पहले से ही वैक्सीन राशियन वैक्सीन के उत्पादन का काम कर रही हैं. लेकिन अगले दो से तीन महीनों में स्पूतनिक वी कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में भारी वृद्धि होने वाली है.