देश में जारी वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बड़ा दावा किया. केंद्र सरकार का कहना है कि साल 2021 में ही देश की योग्य आबादी को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा. यानी कोरोना वैक्सीनेशन का काम इसी साल पूरा होने का दावा किया गया है.
सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोविन ऐप को लेकर भी सवाल खड़े किए. वैक्सीनेशन के लिए कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन को जरूरी बताने के नियम पर अदालत ने सवाल किए और कहा कि ग्रामीण इलाकों में ऐसे में लोगों को काफी दिक्कत होगी.
अदालत ने कहा कि नियम बनाने वालों को ग्राउंड की बात सुननी चाहिए, क्योंकि वहां एक डिजिटल डिवाइड है. केंद्र को देखना चाहिए कि पूरे देश में क्या हो रहा है और उस हिसाब से बदलाव करना चाहिए.
इस साल में खत्म हो जाएगा वैक्सीनेशन: केंद्र
वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र की ओर से अदालत को सूचना दी गई कि साल 2021 में ही वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा. केंद्र के मुताबिक, फाइजर और अन्य कंपनियों के साथ वैक्सीन पर चर्चा जारी है अगर ये पूरी होती है तो टीकाकरण की रफ्तार तेज़ हो जाएगी.
आपको बता दें कि भारत में अभी तीन वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है. कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पुतनिक-वी. दो वैक्सीन भारतीय हैं, जिनका बड़े लेवल पर इस्तेमाल हो रहा है. जबकि स्पुतनिक-वी अभी काफी छोटे लेवल पर मौजूद है, लेकिन जून-जुलाई में इसकी मात्रा बढ़ सकती है. केंद्र ने जानकारी दी थी कि दिसंबर 2021 तक भारत के पास 216 करोड़ वैक्सीन की डोज़ होंगी.
ग्लोबल टेंडर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सवाल
सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कई राज्य सरकारों द्वारा वैक्सीन के लिए जारी ग्लोबल टेंडर्स पर भी सवाल खड़े किए. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या वैक्सीन के लिए केंद्र सरकार की ये नीति है. अदालत ने कहा कि क्या वैक्सीनेशन को लेकर राज्यों में स्पर्धा चलाई जा रही है, जिसपर केंद्र ने इनकार किया.
सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह 45 प्लस वालों के लिए वैक्सीन सप्लाई कर रही है, लेकिन 18 प्लस वालों के लिए ऐसा क्यों नहीं कर रही है. ये राज्य सरकारों पर क्यों छोड़ दिया गया है.
नदी में दिखे शवों पर SC की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस राव ने कहा कि कल हमने देखा कि शव नदी में तैरते हुए पाए गए थे. एमिकस क्यूरी ने कहा कि शवों को दफनाने और जलाना राज्य का विषय है, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे कई श्मशान गृह है जो काम नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि देश में इसको लेकर कुछ नहीं किया गया, गरीब अपने परिजन का अंतिम संस्कार तक नहीं सके, क्योंकि अंतिम संस्कार के अनुष्ठान बहुत महंगे थे, सरकार को अनुष्ठान की कुछ करना चाहिए, जो स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए भी है? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे नहीं पता कि यह दिखाने के लिए समाचार चैनल के खिलाफ राजद्रोह मामला दर्ज किया गया है या नहीं.