scorecardresearch
 

'वैक्सीन लगवाने के लिए किसी को मजबूर नहीं कर सकते', कोविड संकट के बीच SC की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीति निर्माण पर कुछ कहना उचित नहीं है लेकिन किसी को भी टीका (Vaccine) लगवाने को मजबूर नहीं किया जा सकता.

Advertisement
X
देश में अभी 12 साल से ऊपर के लोगों को कोविड टीका लग रहा है (फाइल फोटो)
देश में अभी 12 साल से ऊपर के लोगों को कोविड टीका लग रहा है (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टीका लगवाना या न लगवाना हर नागरिक का निजी फैसला है: सुप्रीम कोर्ट
  • टीकाकरण की अनिवार्यता को लेकर लगाई गई पाबंदियां हटाए राज्य सरकारें: कोर्ट

कोविड संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोरोना का टीका लगवाने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट में कोविड वैक्सीनेशन की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी. इस दौरान यह टिप्पणी की गई.

Advertisement

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नीति निर्माण पर कुछ कहना उचित नहीं है लेकिन किसी को भी टीका लगवाने को मजबूर नहीं किया जा सकता. सरकार जनहित में लोगों को जागरूक कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कोविड टीकाकरण की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये बातें कही. कोर्ट ने कहा कि नीति निर्माण पर कुछ कहना उचित नहीं है, लेकिन किसी को भी टीका लगवाने को मजबूर नहीं किया जा सकता.

टीकाकरण की अनिवार्यता को लेकर लगाई गई पाबंदियां हटाए राज्य सरकारें: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जनहित में लोगों को जागरूक कर सकती है. बीमारी की रोकथाम के लिए पाबंदियां लगा सकती है, लेकिन टीका लगवाने और किसी तरह का खास दवा लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. कुछ सरकारों ने महामारी के दौरान टीकाकरण की अनिवार्यता को लेकर जो पाबंदियां लगाई थी उन्हें फौरन हटा लेना चाहिए.

Advertisement

टीका लगवाना या न लगवाना हर नागरिक का निजी फैसला है: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार से जनता और डॉक्टरों से बात कर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने को कहा है जिसमें वैक्सीन के असर और प्रतिकूल असर का शोध सर्वेक्षण हो. केंद्र सरकार की कोविड टीकाकरण की नीति को समुचित बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि टीका लगवाना या ना लगवाना हरेक नागरिक का निजी फैसला है. किसी की भी कोई भी टीका लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

वैक्सीन नीति पर राज्य सरकारों को  सुझाव देते हुए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैक्सीन की अनिवार्यता के माध्यम से व्यक्तियों पर लगाए गए प्रतिबंधों को आनुपातिक और सही नहीं कहा जा सकता है. अब जबकि संक्रमण के फैलाव और तीव्रता के साथ संक्रमित लोगों की संख्या कम है तो सार्वजनिक क्षेत्रों में आने जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए. सरकारों ने यदि पहले से ऐसा कोई नियम या पाबंदी लगा रखी हो तो उसे वापस ले लें.

कोर्ट ने कहा कि हमारा यह सुझाव कोविड की रोकथाम के लिए तय किए गए हरेक समुचित और स्वास्थ्य अनुकूल व्यवहार और नियमों तक विस्तारित नहीं है, लेकिन यह तेजी से बदलने वाली स्थिति होती है. लिहाजा हमारा ये सुझाव केवल वर्तमान स्थिति के ही परिप्रेक्ष्य में ही है.

Advertisement

ये भी पढ़ें

 

Advertisement
Advertisement