देश 14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाने जा रहा है. छुआछूत के खिलाफ बाबा साहेब के संघर्षों से कौन वाकिफ नहीं है, लेकिन हैरानी की बात है कि 21 वीं सदी के भारत में भी दलितों से जातिगत भेदभाव किया जाता है और उन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता है.
छुआछूत और जातिगत भेदभाव की ये खबर एक ऐसे समय आई है जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है. कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए बनाए गए क्वारनटीन सेंटर में भी दलितों से भेदभाव किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में क्वारनटीन में रह रहे एक युवक ने दलित महिला के हाथ का बना खाना खाने से इनकार कर दिया. पुलिस ने इस शख्स के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
दलित महिला के हाथ का खाना खाने से इनकार
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पुलिस ने इस शख्स की पहचान सिराज अहमद के रूप की है. ये शख्स कुशीनगर के खड्डा थाना क्षेत्र के ग्राम भुजौली खुर्द का रहने वाला है. पुलिस ने कहा कि सिराज और चार अन्य लोग गांव में बने क्वारनटीन सेंटर में रह रहे हैं. कुशीनगर पुलिस ने कहा कि ये युवक 29 मार्च को दिल्ली से आया था और क्वारनटीन सेंटर में रह रहा था.
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10 अप्रैल की है घटना
10 अप्रैल को गांव की दलित महिला प्रधान लीलावती देवी क्वारनटीन सेंटर पर गई और पांच लोगों के लिए खाना बनाई. रिपोर्ट के मुताबिक उस दिन रसोइयां क्वारनटीन सेंटर पर मौजूद था. पीटीआई के मुताबिक सिराज अहमद ने लीलावती देवी द्वारा बनाए भोजन को खाने से इनकार कर दिया. बाद में महिला प्रधान ने घटना की जानकारी एसडीएम देशदीपक सिंह और बीडीओ रमाकांत को दी.
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रविवार को दर्ज हुई एफआईआर
लीलावती देवी ने रविवार को इस बाबत एफआईआर दर्ज कराई है. खड्डा पुलिस थाने के एसएचओ आरके यादव ने कहा कि अहमद के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.
प्रधान के घर पहुंचे बीजेपी विधायक
इस घटना के बाद रविवार को ही इलाके के विधायक विजय दुबे महिला प्रधान लीलावती देवी के घर पहुंचे और कहा कि वो अपने हाथ का बना खाना उन्हें खाने को दे. उन्होंने कहा कि छुआछूत एक सामाजिक बीमारी है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.