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वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास, रिकॉर्ड एक साल से कम समय में आ सकती है कोरोना वैक्सीन

रिकॉर्ड एक साल से कम समय में कोरोना वैक्सीन दुनिया के सामने आ सकती है. अगर ऐसा होता है तो ये किसी कीर्तिमान से कम नहीं होगा. चिकित्सा जगत के इतिहास में आजतक इतने कम समय में कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है. वैक्सीन विकसित करना एक लंबी प्रक्रिया है, जो कॉन्सेप्ट, डिजाइन, परीक्षण, मंजूरी जैसी स्टेजों से गुजरने के बाद निर्माण की अवस्था में पहुंचती है.

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अभी वैक्सीन तैयार हुई तो बनेगा यह रिकॉर्ड (सांकेतिक फोटो)
अभी वैक्सीन तैयार हुई तो बनेगा यह रिकॉर्ड (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना वैक्सीन बना सकती है कीर्तिमान
  • इतने कम समय में कभी तैयार नहीं हुई वैक्सीन
  • वैक्सीन विकसित करना एक लंबी प्रक्रिया

रिकॉर्ड एक साल से कम समय में कोरोना वैक्सीन दुनिया के सामने आ सकती है. अगर ऐसा होता है तो ये किसी कीर्तिमान से कम नहीं होगा. चिकित्सा जगत के इतिहास में आजतक इतने कम समय में कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है. वैक्सीन विकसित करना एक लंबी प्रक्रिया है, जो कॉन्सेप्ट, डिजाइन, परीक्षण, मंजूरी जैसी स्टेजों से गुजरने के बाद निर्माण की अवस्था में पहुंचती है.

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इस काम में एक दशक या उससे ज्यादा का समय लग जाता है. लेकिन कोविड-19 महामारी की तात्कालिक जरूरत ने चिकित्सा जगत का पूरा सिस्टम बदल दिया है. एक साल से कम समय में ही वैक्सीन बनाने की प्रकिया को अंतिम चरण में पहुंचाकर वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया है.

सबसे जल्दी बनने वाली वैक्सीन

अभी तक Mumps यानी गलसुआ बीमारी का टीका ही सबसे कम समय में बनाने में सफलता मिली है.  Mumps के टीके का इंसानी ट्रायल चार साल तक चला. इसके बाद मर्क कंपनी को इस टीके का लाइसेंस  मिला.  जबकि चेचक के टीके को विकसित करने में वैज्ञानिकों को करीब 10 साल लग गए. HIV की वैक्सीन पर तीन दशकों से ज्यादा समय से काम चल रहा है. ये अभी भी क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है.

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वैक्सीन को तैयार करने में कई स्टेज शामिल होती हैं. जो रिसर्च डेवेपलमेंट से शुरू होकर अंतिम डिलीवरी तक जाती है. इसमें आबादी के बड़े हिस्से पर लंबे समय तक ट्रायल चलता है. जिसमें वैक्सीन के असर के साथ-साथ उसके दुष्परिणामों का खासतौर से अध्ययन किया जाता है. 

इसलिए रूस ने जब अगस्त में स्पुतनिक-5 वैक्सीन को मंजूरी दी तो दुनियाभर में इस वैक्सीन को शक की निगाहों से देखा गया. क्योंकि इतनी जल्दी वैक्सीन को मंजूरी मिलने का मतलब ये भी हो सकता है कि उसके दुष्परिणामों को नजर अंदाज किया गया हो. 

 

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