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असम: कोरोना काल में नहीं पड़े भूखे सोना, गांव के युवाओं ने बनाया blessing hut

कोरोना के असर से लोगों की जिंदगी पर असर न पड़े इसलिए नातून लेइकुल यूथ क्लब ने ब्लेसिंग हट की शुरुआत की है. यहां पर लोग अपने घर का अतिरिक्त खाना, कपड़े, दूसरे जरूरी सामान, किताब, कॉपी, पेंसिल रख सकते हैं.

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गांव के युवाओं ने बनाया The Blessing hut. (फोटो-आजतक)
गांव के युवाओं ने बनाया The Blessing hut. (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • युवाओं ने बनाया The Blessing hut
  • कोरोना महामारी में मदद को बढ़े हाथ

कोरोना महामारी ने गरीबों और हाशिये पर मौजूद लोगों की जिंदगी में अभूतपूर्व चुनौतियां भर दी है. लोग कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. लाखों लोगों की नौकरी गई, हजारों लोगों को खाना नहीं मिल पा रहा है. ऐसे ही पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए असम के दिमा हसाओ जिले में कुछ युवाओं ने एक अनूठी पहल की है. 

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अपने सामाजिक जिम्मेदारियों का पालन करते हुए इन युवाओं ने यहां The Blessing hut खोला है. यानी कि वरदान देने वाली झोपड़ी. इस ब्लेसिंग हट का सिद्धांत है, आपके पास जो अतिरिक्त है वो ले जाइए और जिनके पास नहीं है वे यहां से ले जाएं. 

ये ब्लेसिंग हट जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नातून लेइकुल गांव में है. अब ये स्थान गांव की सबसे लोकप्रिय जगह बन गई है.  इस पहल को शुरू करने का विचार है कि इस संकट काल में किसी को भूखे न सोना पड़े और लोगों के सम्मान की रक्षा हो सके और उन्हें मजबूरी में खाने-पीने के लिए किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े. 
 
कोरोना के असर से लोगों की जिंदगी पर असर न पड़े इसलिए नातून लेइकुल यूथ क्लब ने ब्लेसिंग हट की शुरुआत की है. यहां पर लोग अपने घर का अतिरिक्त खाना, कपड़े, दूसरे जरूरी सामान, किताब, कॉपी, पेंसिल रख सकते हैं. जो व्यक्ति इन चीजों को नहीं खरीद सकते हैं वे इसे यहां से ले जा सकते हैं. 
 
400 की आबादी वाले इस गांव की स्थापना 1928 में हुई थी. इस गांव में कुकी जनजाति के लोग रहते हैं. 

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नातून लेइकुल यूथ क्लब के एक पदाधिकारी ने बताया कि अभी तक इसमें स्थानीय लोग ही दान दे रहे थए, लेकिन अब उन्हें जिले के दूसरे हिस्सों से फोन आ रहे हैं और लोग दान देने के लिए उत्सुकता दिखा रहे हैं. खास बात यह है कि इस जिले में अबतक कोरोना के एक भी केस नहीं आए हैं. ये यहां के लोगों की सजगता का ही नतीजा है. 

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इस ब्लेसिंग हट को शुरू करने का आइडिया कहां से आया? इसके जवाब में यूथ क्लब के सचिव लालनगम हेंगना ने बताया कि एक दिन अपने खेत से लौटने के दौरान उन्होंने केले की एक पूरा कांधी को गांव के कम्युनिटी हॉल के बाहर रख दिया और इसकी एक फोटो लेकर गांव के व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दिया. इसके साथ ही उन्होंने यह भी लिख दिया कि जिस किसी को भी इसकी जरूरत हो वो इसे मुफ्त ले जा सकता है. 

इस पहल की लोगों ने तारीफ की, और फिर विचार आया कि क्यों न इसे औपचारिक रूप से शुरू किया जाए. एक व्यक्ति ने इस प्रयास के लिए लकड़ियां दी और फिर 25 मई को ब्लेसिंग हट की औपचारिक शुरुआत हो गई. 

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इस गांव के एक युवक ने कहा कि पिछले एक सप्ताह में कई लोग आए और इस प्रयास में शामिल हुए. कई लोगों ने सब्जियां, खाना और कपड़े दान दिए. कई लोग रात के समय भी आए. इस युवक ने कहा कि हमें खुशी है कि हमारी कोशिशों से लोगों को फायदा हो रहा है. 


 

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