कोई साइकिल से जा रहा है तो कोई बाइक की सवारी कर रहा है. किसी को ट्रक में आसरा मिला है और जो सबसे बेसहारा है उसके लिए उसके पैरों का ही सहारा है. किसी को 500 किलोमीटर जाना है तो किसी को हजार तो कोई तेरह सौ किलोमीटर की घरवापसी के सफर पर निकल पड़ा है. दूरी बहुत है लेकिन मजबूरी की मार उससे ज्यादा बड़ी है. लॉकडाउन में रोजगार छिन गया तो चंडीगढ़ में काम करने वाले बिहार के ये प्रवासी मजदूर टूटीफूटी साइकिल से ही निकल पड़े अपने गृह जिला मधेपुरा की ओर. सफर 1300 किलोमीटर से भी लंबा है लेकिन घर जाने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं. साइकिल वाले तो फिर भी खुशनसीब हैं. लेकिन कानपुर के हाईवे पर इन पैदल चलने वाले मजदूरों का दर्द भला कौन समझे? हालांकि यूपी में मजदूरों के पैदल चलने पर अब मनाही है लेकिन जिंदा रहने के लिए गांव लौटने के अलावा कोई चारा नहीं क्योंकि अब ना काम बचा, ना कमाई . इस वीडियो में देखें कैसे पैदल चलने को मजबूर हैं मजदूर.