छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में एक आरक्षक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. भाई ने हाई प्रोफाईल मर्डर का आरोप लगाया है. मृतक आरक्षक ने कोरोना की पहली लहर में अपने पूरे एक साल की सैलरी मुख्यमंत्री कोष में दान दे दी थी. उसके बाद से मृतक आरक्षक चर्चा में आ गया था. (जांजगीर चांपा से नरेश शर्मा की रिपोर्ट)
संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद जिले की पुलिस अधीक्षक सहित कई बड़े अधिकारियों पर हत्या का आरोप परिवार के लोग लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, अपनी मौत से पहले आरक्षक ने फेसबुक में कई पोस्ट पुलिस अधीक्षक से लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर की थी और इस मामले में उच्चाधिकारी शुरू से ही उस पर नाराज चल रहे थे.
आरक्षक की मौत के बाद सक्ती थाना प्रभारी पर हत्या में शामिल होने का संदेह जताया जा रहा है. परिवार वालों ने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. बार-बार ट्रांसफर और बर्खास्तगी की धमकी देने का भी आरोप मृतक आरक्षक के भाई ने लगाया है. अपने भाई की मौत के बाद सरकार से मिली सहायता राशि भी लौटा दी है.
जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती थाना में पदस्थ आरक्षक पुष्पराज सिंह की लाश संदिग्ध परिस्थितियों में जांजगीर के केरा रोड पर बिजली के तार से लिपटी हालत में तीन दिन पहले मिली. पुलिस ने शव मौके से हटा कर जिला हॉस्पिटल के मॉर्चुरी में रखवा दिया था. दूसरे दिन सुबह जब मृतक आरक्षक के भाई जिला हॉस्पिटल पहुंचे तब उन्होंने इसे हाई प्रोफाईल मर्डर बताया.
मृतक आरक्षक पुष्पराज सिंह के भाई जगदीप ठाकुर के शब्दों में यह एक हाई प्रोफाईल मर्डर है जिसमें विभाग के बड़े अधिकारी संलिप्त हैं. उन्होंने सक्ती थाना प्रभारी रविन्द्र अनंत पर स्पष्ट आरोप लगाया और कहा कि उनका भाई मौत से पहले सक्ती थाना प्रभारी के किसी बड़े मामले का खुलासा करने वाला था. जगदीप ठाकुर ने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
इस मामले में पुलिस ने जांच और कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. मृतक आरक्षक पुष्पराज सिंह कई दिनों से पुलिस अधीक्षक पालुर माथुर सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया में अलग-अलग मैसेज करके वायरल कर रहा था. मृतक आरक्षक पुष्पराज सिंह पुलिसकर्मियों के हितों की लड़ाई भी लड़ते थे. ये पुलिसकर्मियों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले संगठन के प्रमुख चेहरों में से एक थे.
पुष्पराज सिंह लगातार सोशल मीडिया पर भी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पोस्ट करते थे और छोटे कर्मचारियों के शोषण पर आवाज उठाते थे. उनके इस क्रांतिकारी रवैये की वजह से ही वे 6 बार निलंबित और एक बार बर्खास्त भी किये गये मगर पुनः बहाल हुए. दो दिन पहले भी उन्होंने सक्ती थाना प्रभारी पर सक्ती क्षेत्र में मोटी रकम लेकर जुआ खिलवाने का आरोप लगाया था. इस मामले मे जांच अधिकारी एसडीओपी संदीप मित्तल ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत की परिस्थितियों और आरोपों पर जांच और कार्रवाई की बात कही है.