तालिबान ने अफगानिस्तान सुरक्षा बलों के 22 जवानों की हत्या कर दी है. एक वीडियो सामने आया है जिसमें अफगानिस्तान के कमांडर्स आत्मसमर्पण करते दिख रहे हैं, लेकिन तालिबान आतंकियों ने गोली मारकर इनकी हत्या कर दी. ऐसा लग रहा है कि यह फुटेज 16 जून का है, जब तालिबान और अफगान बलों के बीच लड़ाई के बाद उत्तरी फरयाब प्रांत के दावत अबाद में यह घटना हुई थी.
(फाइल फोटो-Getty Images)
सरकार ने अमेरिकी प्रशिक्षित कमांडो की एक टीम को उन इलाकों को फिर से हासिल करने के लिए भेजा था जिन पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था. लेकिन ये जवान तालिबान के लड़ाकों से घिर गए और निकलने में नाकाम रहे. इन कमांडरों में एक रिटायर्ड जनरल का बेटा भी था.
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तालिबान का कहना है कि गोला-बारूद खत्म होने के बाद कमांडोज को पकड़ लिया गया था. लेकिन चश्मदीदों और फुटेज से पता चलता है कि जवानों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. अमेरिकी सेना की वापसी के बाद इसे एक बड़े घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है.
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इस वीडियो को पिछले हफ्ते Funker530 ने जारी किया था. वीडियो में देखा जा सकता है कि अफगान सुरक्षा बलों को बंदूक की नोंक पर चौराहे पर ले जाया जा रहा है. वीडियो में सैनिक निहत्थे नजर आ रहे हैं जबकि कई आतंकी हथियार लिए हुए हैं. आतंकी बंदी बनाए गए जवानों पर चिल्ला रहे हैं और उन्हें जमीन पर घुटने टेकने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
(फोटो-वीडियो ग्रैब)
सीएनएन के मुताबिक, वीडियो में पश्तो में आवाज आ रही है. स्थानीय पश्तो भाषा में कोई बोल रहा है, 'उन्हें गोली मत मारो, उन्हें मत मारो, मैं तुमसे उनकी जान की भीख मांगता हूं.' इसके कुछ देर बाद अल्लाहू अकबर की आवाज आती है और फिर फायरिंग होती है. वीडियो में दर्जनों राउंड फायरिंग की आवाज सुनी जा सकती है. फ़ुटेज के एक दूसरे हिस्से में ज़मीन पर बिखरे शव नजर आ रहे हैं.
(फोटो-वीडियो ग्रैब)
सीएनएन ने गवाहों से बात करने का दावा किया जिन्होंने कहा कि कमांडो बख्तरबंद वाहनों में शहर में पहुंचे. तालिबान के साथ दो घंटे की जंग के बाद जवानों के पास गोला-बारूद खत्म हो गया तो उन्हें घेर लिया गया. बार-बार कॉल करने के बावजूद फंसे जवानों को कोई एयर सपोर्ट नहीं मिला. बाहर से सपोर्ट देने वाले सुरक्षा बलों को डर था कि उनके मिशन के बारे में तालिबान को पता चल गया है और उन्हें भी मार दिया जाएगा.
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नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने उस समय स्टार्स एंड स्ट्राइप्स पत्रिका को बताया, 'अन्य सुरक्षा बलों ने तालिबान के चंगुल में फंसे कमांडर्स को धोखा दिया. कमांडर्स तालिबान लड़ाकों से घिरे हुए थे.' एक चश्मदीद ने बताया कि बाद में सुरक्षा बल के इन जवानों को चौराहे पर लाया गया और उन्हें गोली मार दी गई. रेड क्रॉस ने 22 कमांडरों के शव बरामद किए जाने की पुष्टी की है. मारे गए कमांडरों में अफगान सेना के सेवानिवृत्त जनरल हाज़ीर अज़ीमी के बेटे सोहराब अज़ीमी भी थे.
Funker530 को वीडियो सुपुर्द करने वाले अज्ञात स्रोत ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फुटेज अफगान सेना को मिलेगा और उन्हें यह बात समझ में आएगी कि आत्मसमर्पण 'सुरक्षित' विकल्प नहीं है. ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें अफगान राष्ट्रीय बलों के जवानों ने तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया. उत्तर अफगानिस्तान से तो जवान जान बचाकर ताजिकिस्तान भाग गए.
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हालांकि, तालिबान का दावा है कि उसने 24 कमांडोज को बंदी बनाकर रखा हुआ है, लेकिन उसने इसका सबूत देने से मना कर दिया. यह घटना तब सामने आई है जब तालिबान अपना बदला हुआ चेहरा दिखाने की कोशिश कर रहा है. तालिबान का कहना है कि 20 साल पहले वाला तालिबान वह नहीं रहा है. वह बदल गया है और लोगों की सुरक्षा का भरोसा दे रहा है. तालिबान यह सब अफगान सरकार में हिस्सेदारी पाने के लिए कर रहा है.
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तालिबान क्षेत्रीय पड़ोसियों के साथ राजनयिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है. वह पश्चिमी देशों की सैन्य प्रतिक्रिया से भी बचने की कोशिश कर रहा है. तालिबान अफगान सरकार से लड़ने के बजाय उन चौकियों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है जहां अमेरिकी और नाटो के सैनिक तैनात थे. तालिबान ने अफगानिस्तान के 80 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने का दावा किया है.
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