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दिल्ली के सीरियल रेपिस्ट के ये 10 जहरीले खुलासे

वह सीरियल किलर और रेपिस्ट है. 30 से 35 बच्चों से यौन दुराचार और हत्या की बात वह स्वीकार कर चुका है. फिर भी अपनी हैवानियत की दास्तान वह ऐसे सुनाता है, जैसे इसने नरसंहार नहीं बल्कि छोटी-मोटी चोरी भर की हो.

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Serial rapist
Serial rapist

वह सीरियल किलर और रेपिस्ट है. 30 से 35 बच्चों से यौन दुराचार और हत्या की बात वह स्वीकार कर चुका है. फिर भी अपनी हैवानियत की दास्तान वह ऐसे सुनाता है, जैसे इसने नरसंहार नहीं बल्कि छोटी-मोटी चोरी भर की हो. इतने सारे बच्चों के कत्लेआम को बस नशे की गलती भर मानता है.

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इसके हाव-भाव, बातचीत से जरा भी नहीं लगता कि ये सामान्य नहीं है. बिल्कुल नॉर्मल दिखता है और नॉर्मल ही बात करता है . इसे निठारी की कहानी और सुरेंद कोली के आदमखोर की बात भी अच्छी तरह याद है.

पढ़िए इससे एक्सक्लूसिव बातचीत में इसने क्या क्या स्वीकारा:

1. मैंने कितने बच्चों को मारा, ठीक से याद नहीं. 30 से 35 बच्चों को मारकर उनके साथ गलत काम कर चुका हूं. जैसे-जैसे गिनती याद आती जाएगी मैं बताता जाऊंगा. क्राइम तो मैंने किया ही है. छुपाने से कोई फायदा नहीं है.

2. (खुद को इंसान मानते हो? इस सवाल पर) नहीं, मैं खुद को इंसान नहीं मानता. क्योंकि मैंने इतने सारे गलत काम किए हैं.

3. निठारी कांड के बारे में सुना था. वो बच्चों को मारकर उन्हें खा लेता था. सुनकर अजीब लगता था.

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4. 2008 में पहली बार ये काम किया. तब मैंने स्कूल छोड़ा ही था. मैं शराब पीता था और फ्लूड का नशा करता था. उसके बाद मेरा दिमाग ब्लॉक हो जाता था. फिर रात में मैं घूमने निकल जाता था. झुग्गियों के बाहर या रोड से, बच्चों को उठा लेता था. उन्हें दूर खेतों में ले जाकर गलत काम करता था.

5. जब बच्चे चिल्लाते थे तो उन्हें मारकर उनकी लाश से गलत काम करता था. मैं जानता था कि बच्चों के साथ जो कर रहा हूं, गलत हूं. पर बच्चों के रोने-चिल्लाने का मुझ पर कोई असर नहीं होता था.

6. छोटे घरों की दीवार कूदकर अंदर से कुंडी खोल देता था. फिर सोते हुए बच्चों को उठाकर ले जाता था. दो-तीन महीने छोड़कर मैं ये काम करता था. 2014 में एक केस में मेरे दो दोस्त मेरे साथ थे. बाकी सारी घटनाएं मैंने अकेले कीं. मेरे घर वालों को पता लगेगा तो सोचेंगे कि मैं या तो मर जाता या पैदा ही नहीं होता.

7. मौका मिलता तो अपनों के बच्चों के साथ भी यही करता. मजरी गांव, कंजावला, घेवरा मोड़ मुंडका के पास, नोएडा, जैन नगर, भलस्वा डेरी के पास, नरेला के पास, अपनी बुआ के यहां, अपने मामा, मौसी के यहां, अपने गांव में, फरीदाबाद में मैंने बच्चों के साथ काम किया.

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8. ढाई-तीन साल से लेकर 12-13 साल तक के बच्चों के साथ गलत काम करता था. जो बच्चा मिल गया उसी के साथ करता था. सुनसान जगह पर ले जाकर काम करता था.

9. जब मैं ये करता था तो नशा करके दिमाग बिल्कुल अलग हो जाता था. मैंने एक-दो फिल्म देखी थी, जिनमें बच्चों के साथ ऐसा ही किया जाता था. बच्चों को मारकर उनके साथ गलत काम किया जाता था फिल्म में. इसलिए मैं भी ऐसा करता था.

10. जिन बच्चों के साथ गलत काम किया, उनकी शक्ल याद है. लेकिन इलाके के हिसाब से याद नहीं. क्योंकि कई जगह पहले झुग्गियां थीं. अब वहां मकान बन गए हैं. जो कुछ मैंने किया उसकी सजा मौत होनी चाहिए. मुझे फांसी होनी चाहिए.

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