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3 ओवर ने पोती पूरी जिंदगी पर कालिख

नजर मिला ना सके खुद से उस निगाह के बाद, वही है हाल हमारा जो हो गुनाह के बाद. सिर्फ तीन ओवर का गुनाह. पूरी जिंदगी पर भारी पड़ गया. सिर्फ 18 गेंदों का कलंक पूरी जिंदगी पर कालिख पोत गया.

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श्रीसंत
श्रीसंत

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नजर मिला ना सके खुद से उस निगाह के बाद, वही है हाल हमारा जो हो गुनाह के बाद. सिर्फ तीन ओवर का गुनाह. पूरी जिंदगी पर भारी पड़ गया. सिर्फ 18 गेंदों का कलंक पूरी जिंदगी पर कालिख पोत गया.

हर ने अपने हिस्से की छह-छह गेंदें बेचीं. खरीदने वाले ने तीनों ओवर सिर्फ एक करोड़ 40 लाख में खरीदे. मगर आगे उन्होंने इन तीन ओवरों को तीन सौ करोड़ में बेच दिया. जी हां. हिंदुस्तानी क्रिकेट के तीन कलंक के तीन ओवर से सट्टा बाजार ने लगभग 300 करोड़ कमाए थे, क्योंकि उन्हें इन तीन ओवरों का अंजाम पहले से पता था. पढ़िए उन तीन फिक्स ओवरों की हर गेंद को...

5 मई को जयपुर का सवाई मान सिंह स्टेडियम और पुणे बनाम राजस्थान मैच. पुणे की टीम पहले बल्लेबाजी करने वाली थी. मैच शुरू होने जा रहा था. लेकिन मैच शुरू होता उससे पहले एक बुकी राजस्थान के स्पिनर अजित चंदेलिया को फोन करता है. फोन पर दोनों की बातचीत होती है. पर दोनों को ही पता नहीं था कि ये बातचीत दिल्ली पुलिस भी सुन रही है. क्योंकि दोनों के फोन पुलिस ने अप्रैल से ही सर्विलांस पर लगा रखे थे.

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सौदा तय हो चुका था. बुकी खुद मैदान के अंदर था, क्योंकि सौदे के हिसाब से चंदेलिया को फिक्स ओवर फेंकने से पहले इशारा देना था. इशारा अपनी टी-शर्ट उठा कर. पर बहुत मुमकिन था कि चंदेलिया जब इशारा करता तो कैमरा चंदेलिया पर ना होता. इसीलिए खुद बुकी मैदान में बैठा था. ताकि ओवर शुरू होने से पहले वो चंदेलिया का इशारा अपनी आंखों से देख सके. ताकि उसके बाद उस ओवर पर सट्टे का भाव खोला जा सके।.

आगे बढ़ने से पहले समझें कि यहां एक फिक्स ओवर का मतलब क्या है? यहां सौदा चंदेलिया के एक ओवर में कम से कम 14 रन देने का है. 14 से ज्यादा रन दे दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता. पर 14 रन से कम नहीं होना चाहिए. अब सोचिए, बुकी को पता है कि चंदेलिया के ओवर में 14 रन से कम नहीं जाने. जाहिर है अब जो सट्टा लगेगा तो लगाने वाले को तो ये बात नहीं पता कि इस ओवर नें  कितने रन बनेंगे? यानी उसकी हार तय है. जबकि बुकी का मालामाल होना तय, क्योंकि उसे तो ओवर शुरू होने से पहले ही ओवर का अंजाम पता है.

खैर, सौदा हो चुका था. पूरे चालीस लाख में. एक ओवर यानी छह गेंद फेंकने और उन छह गेंदों में 14 रन देने का सौदा. मैच का पहला ओवर चंदेलिया फेंकता है. ये ओवर ठीकठाक था क्योंकि सौदा चंदेलिया के दूसरे ओवर को लेकर था.

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वो मैच का तीसरा ओवर था और चंदेलिया का दूसरा ओवर. चंदेलिया की पहली गेंद. लेगस्टंप के बाहर. पर रन एक ही बने. दूसरी गेंद, वो भी लेगस्टंप के बाहर. रॉबिन उथप्पा ने उसपर चौका जड़ दिया. तीसरी गेंद. ऑफ स्टंप पर थी शॉर्ट बॉल. आसान गेंद पर फिर चौका. चौथी गेंद गुडलेंथ थी और कुछ बेहतर. कोई रन नहीं. इसके बाद पांचवीं गेंद पर एक रन. अब तक पांच गेंद पर दस रन ही बने थे. शर्त 14 रन की है. ये बात चंदेलिया बी जानता था. लिहाजा ये फेंकी छठी गेंद. लेग साइड पर बेहद खराब गेंद. फिंच ने बड़ी आसानी से उसपर चौका मार दिया. शर्त पूरी हो गई. चंदेलिया अपने दूसरे ओवर में 14 रन दे चुका था.

इस एक ओवर के लिए मैच से पहले चंदेलिया को 40 लाख में से पेशगी के तौर पर 20 लाख मिल चुके थे. पर चंदेलिया से एक गलती हो गई थी. ओवर शुरू करने से पहले वो शर्त के मुताबिक अपनी टी-शर्ट उठा कर बुकी को सिगनल देना भूल गया था. अब चूंकि उसने सिनल नहीं दिया लिहाजा बुकी ने उस ओवर पर सट्टे का भाव खोला ही नहीं. क्योंकि बुकी को लगा कि शायद चंदेलिया सौदा भूल गया है या कुछ और गड़बड़ी हो गई है. लिहाज़ा चंदेलिया को पैसे लौटाने पड़े. पर ये तो शुरुआत थी. अब बारी अगले मैच की थी. अगले खिलाड़ी की. अगली डील भी 40 लाख की थी.

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पहला ओवर 40 लाख में निपट चुका था. अब डील दूसरे ओवर की होनी थी. फिर से 40 लाख में डील हुई. पर इस बार बॉलर बदल गया. अबकी सौदा टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज एस श्रीशांत के साथ हुआ था. श्रीशांत को अपने दूसरे ओवर में 14 रन देने थे और वो 14 रन दे रहा है ये इशारा करने के लिए उसे अपनी पैंट में टॉवेल लगाना था. ताकि बुकी डील पक्की समझे. पढ़िए 40 लाख में बिका हुआ श्रीशांत का ये दूसरा ओवर.

9 मई, मोहाली, पंजाब बनाम राजस्थान- इस बार भी टीम राजस्थान की थी. पर मुकाबला पंजाब से था. मैच से पहले इस बार बुकी चंदेलिया को नहीं बल्कि टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज एस श्रीसंत को फोन करता है. पहली बार की तरह ही इस बार भी बॉलर के दूसरे ओवर को फिक्स करने की डील होती है. इस बार भी एक ओवर में कम से कम 14 रन लुटाने का सौदा होता है. इस बार भी ओवर शुरू होने से पहले बॉलर को इशारा देने का हुक्म सुनाया जाता है. बुकी दो बातें कहता है. पहली ये कि श्रीशांत अपने दूसरे ओवर का इशारा पैंट में टॉवेल लपेट कर देगा और दूसरी ये कि ओवर फेंकने से पहले वो एक्सरसाइज वगैरह कर थोड़ा टाइम लेगा ताकि बुकी को भाव खोलने का वक्त मिल सके. श्रीशांत ऐसा ही करता है. पहला ओवर वो बिना टॉवेल के करता है.

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मगर इसके बाद मैच का चौथा ओवर आता है. यानी श्रीसंत का दूसरा ओवर. वही ओवर जो बुक है. 40 लाख में. श्रीशांत को इस ओवर में 14 या उससे ज्यादा रन देने हैं. सौदे के तहत श्रीशांत दूसरा ओवर जब डालने आता है तो पैंट में टॉवेल लटका कर. यानी वो बुकी को इशारा कर चुका था. बुकी भाव खोल चुका था.

श्रीसंत के फिक्स दूसरे ओवर की पहली गेंद. ऑफ स्टंप के बाहर शॉट बॉल. श्रीशांत ने मौका दिया था पर बल्लेबाज ठीक से खेल नहीं पाया. इसलिए कोई रन नहीं बन पाया. दूसरी गेंद. ओवरपिच. आसान गेंद. चार रन. तीसरी गेंद. ये भी ऑफ स्टंप के बाहर. पर बल्लेबाज इसका फायदा नहीं उठा पाया. चौथी गेंद. शॉर्ट उठती हुई. पर बल्लेबाज़ फिर ठीक से पुल नहीं कर पाया. लिहाजा छक्का या चौके की जगह सिर्फ एक रन मिले. श्रीशांत अपने बाल नोच रहा है. पांचवीं गेंद. अबकि लेग साइड पर. खराब गेंद. चार रन. पांच गेंद पर अब तक नौ रन बन चुके थे. छठी गेंद पर चौका. सौदा 14 रन का था. पर रन गए 13. क्योंकि बल्लेबाज श्रीसंत की कोशिश के बावजूद रन ही नहीं ले पाए.

पर सौदे के मुताबिक श्रीशांत को 40 लाख फिर भी मिले. क्योंकि बुकी का काम हो चुका था. और इसके साथ ही अब काम हो चुका था दिल्ली पुलिस का. मगर पुलिस चाहती थी कि खिलाड़ी कुछ और गलती करें ताकि वो उन्हें आसानी से पकड़ सकें. और इत्तेफाक से इस मैच के छह दिन बाद यानी 15 मई को एक तीसरे खिलाड़ी ने दिल्ली पुलिस को ये मौका दे ही दिया. तीसरी डील 60 लाख की थी. और खास बात ये था कि इस बार ये डील खुद एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी के साथ कर रहा था. बुकी के कहने पर.

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तो 80 लाख रुपए में बिके दो ओवर आपने देखे. अब बारी तीसरे बिकाऊ ओवर की थी. पर ये तीसरा ओवर इस बार 60 लाख में बिका. दरअसल ये तीसरा ओवर भी अजित चंदेलिया ही फेंकता. मगर मैच से ऐन पहले पता चला कि चंदेलिया टीम में नहीं है. उसकी जगह अंकित चौहान खेल रहा है. लिहाजा इस बार बुकी ने चंदेलिया से अंकित की डील की. अब 60 लाख रुपए का तीसरा ओवर अंकित फेंकने जा रहा था. 

15 मई, वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई, मुंबई बनाम राजस्थान- प्लेऑफ में टॉप टू पोज़ीशन पर रहने के लिए राजस्थान और मुंबई दोनों के लिए ये मैच बेहद अहम था. पर इस मैच में अजित चंदेलिया नहीं खेल रहा था. उसकी जगह नए स्पिनर अंकित चौहान को मौका मिला था. ये बात बुकी को भी पता थी. लिहाजा बुकी ने अजित चंदेलिया को अपना मोहरा बनाया और उसे अंकित चौहान का एक ओवर फिक्स करने की जिम्मेदारी सौंपी. चंदेलिया ने अंकित से डील किया. अंकित मान गया. इस बार सौदा एक ओवर के एवज में 60 लाख का था. पर ये 60 लाख चंदेलिया और अंकित दोनों में बंटने थे.

इस,बार भी खेल वही था. अंकित को अपने दूसरे ओवर में कम से कम 13 रन देने थे. और ओवर फेंकने से पहले वैसे ही इशारा करना था. अंकित ने अपना पहला ओवर बेहद शानदार फेंका था. उस ओवर में सिर्फ दो रन दिए थे. अब बारी थी मैच के तीसरे ओवर की. यानी अंकित का दूसरा ओवर. वही ओवर जो बिका हुआ है और जिसमें कम से कम 13 रन लुटाने हैं.

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अंकित नया खिलाड़ी था. मौदान का भी और इस धंधे का भी. लिहाज़ा उससे सब्र ही नहीं हुआ. पहली ही गेंद शॉर्ट डाली और छह रम गए. दूसरी गेंद भी ढीली लेग साइड पर. बैट्समैन ने दौड़ कर दो रन लिए. तीसरी गेंद ऑफ स्टंप की तरफ ऊपर से ओवर पिच. सीधे छक्का. अंकित ने पहली तीन गेंद पर ही 13 रन लुटा कर शर्त पूरी कर दी थी. लिहाजा इसके बाद उसने फिर से अपनी गेंदबजी दिखाई और अगली तीन गेंदों पर सिर्फ एक रन दिए.

बुकी के हिसाब से ओवर फेंका जा चुका था. अब मैच के बाद चंदेलिया बुकी को फोन करता है. और कहता है कि सामान यानी ओवर फिक्सिंग के 60 लाख वो अंकित के हाथों में नहीं बल्कि उसे देंगे. अब दिल्ली पुलिस के पास सारे सबूत भी थे. खिलाड़ी भी. और बुकी भी. लिहाजा रात को मैच खत्म होते ही ऊपर से जरूरी इजाजत मिलते ही पुलिस की टीम सुबह होने से पहले ही श्रीसंत, चंदेलिया और अंकित के साथ कुल 11 बुकियों को गिरफ्तार कर लेती है. फिर दोपहर होते-होते उन्हें दिल्ली लाया जाता है.

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