इसे नफरत की इंतेहा कहें या मजहब का मजाक या फिर दिमागी सनक ...ISIS अब जिंदा इंसानों के साथ-साथ बेजान और बेजुबान शहरों पर भी बम बरसा रहा है. इस आतंकवादी संगठन ने सीरिया के पास बसे 35 सौ साल पुराने एक शहर को सिर्फ इसलिए मटियामेट कर दिया, क्योंकि वहां पुराने जमाने की मूर्तियां रखी हुई थीं. सितम ये देखिए कि ड्रिल से लेकर बमों के धमाके तक से आईएसआईएस ने जिस शहर को बर्बाद किया, उसकी ऐतिहासिक विरासत को देखते हुए यूनेस्को ने उसे वर्ल्ड हैरीटेज साइट के तौर पर चिह्नित कर रखा था.
आईएसआईएस के आतंकियों ने अपने आका के इशारे पर उत्तरी इराक में उसके कब्जे वाले इलाके के एक ऐतिहासिक शहर निमरुद को जमींदोज कर दिया है. निमरुद को तबाह और बर्बाद करते वक्त उन्होंने तबाही की इस पूरी कवायद को बाकायदा पहले तो एक वीडियो में कैद किया और फिर उसके बाद उस वीडियो को दुनियाभर में रिलीज़ कर दिया. इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे आईएसआईएस के कट्टरपंथी इराक की सदियों पुराने ऐतिहासिक धरोहर पर बड़ी ही बेरहमी से हथौड़े चला रहे हैं. कैसे वो इराक की 3500 साल पुराने इतिहास को जमींदोज करने में लगे हुए हैं. सबसे बड़ी बात ये कि उन्हें इस तरह एक पूरे शहर को बर्बाद करने का ज़रा भी मलाल नहीं है.
आईएसआईएस के आतंकियों का दिल सिर्फ हथौड़े से नहीं भरा तो उन्होंने शहर के चप्पे-चप्पे पर बारूद बिछा दिया और उसके बाद पूरे के पूरे शहर को एक के बाद एक कई धमाके कर उड़ा दिया. कुछ देर बाद जब धूल और धुएं का गुब्बार थमा तो पूरा निमरुद शहर ज़मींदोज़ हो चुका था. वैसे आपको बता दें कि निमरुद शहर मोसुल से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर बसा था और हजारों साल पुराना ये शहर यूनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स की लिस्ट में शुमार था. इससे पहले आईएसआईएस के आतंकी मोसुल के एक अजाबघर में हजारों साल पुरानी मूर्तियों को भी तोड़ चुके हैं. आईएसआईएस ने उत्तरी इराक के मोसुल शहर में मौजूद ऐसे ही एक ऐतिहासिक अजायबघर पर फरवरी 2015 में धावा बोला था और देखते ही देखते वहां रखी एंटिक यानी पुरातन मूल्य की बेशकीमती मूर्तियों को ज़मींदोज़ कर दिया था.आतंकवादी ऐसा करने के लिए भारी-भरकम हथौड़ों के साथ-साथ ड्रिल मशीनें भी लेकर पहुंचे थे.
इसके बाद बारी आई उन मजारों की, जिनकी दुनिया भर में बहुत बड़ी मजहबी अहमियत थी.लेकिन आईएसआईएस का कहर इसके बाद भी शांत नहीं हुआ और उन्होंने एक पब्लिक लाइब्रेरी में रखी तकरीबन 10 हज़ार किताबों और सात सौ दुर्लभ पांडुलिपियों को भी आग के हवाले कर दिया. कहने की जरूरत नहीं है कि आईएसआईएस अब उन इलाकों में पूरी तरह मनमानी पर उतर आई है, जहां उसका कब्जा हो चुका है. जिन बुर्कानशीं औरतों ने कभी घर से बाहर कदम भी ना रखा हो, अगर वही औरतें हाथ में एके 47 जैसे खौफनाक हथियार थाम कर सड़कों पर उतर आए, तो उस मुल्क के हालात का अंदाजा आप आसानी से लगा सकते हैं. नए दौर के सीरिया की तस्वीर कुछ ऐसी ही है. यहां दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के जुल्मो-सितम से ऊब कर अब औरतों ने अपनी फौज बना ली है. सीरिया में आईएसआईएस के जुलमो-सितम के खिलाफ एक महिला ब्रिगेड ने हथियार थाम लिए हैं और अब ये महिला ब्रिगेड आईएसआईएस के आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देगी. दरअसल इस महिला ब्रिगेड की मुखिया के मुताबिक उन्होंने अपने जमीन, घरबार कि हिफाजत के लिए आईएसआईएस के खिलाफ हथियार उठाए हैं. इनके मुताबिक ये सभी जरूरत पड़ने पर आईएसआईएस के खिलाफ जंग लड़ने के लिए तैयार हैं.
देश की पहली महिला पायलट से खौफ खाते हैं आईएस आतंकी
अब बात एक ऐसी लड़की की, जिसका नाम भर सुनने से आईएसआईएस से ख़ूंखार आतंकवादियों के पसीने छूटने लगते हैं, जान हलक में अटक जाती है. क्योंकि वो है UAE के एयरफोर्स की पहली महिला पायलट, जो जब आसमान में उड़ती है, तो ऊपर आसमान से आतंकवादियों पर बस मौत बरसाती है.
मेजर मरियम अल मंसूरी यूएई यानि यूनाइटेड अरब अमीरात वायुसेना की पहली महिला पायलट हैं जिनका नाम सुनते ही आईएसआईएस के आतंकियों के पसीने छूट जाते हैं. गुरुवार को मरियम एफ -16 फेल्कन लड़ाकू विमान में बैठ सीरिया में छिपे आईएसआईएस के आतंकियों पर बम बरसा कर उन्हें और उनके ठिकानों को बर्बाद कर रही हैं. और यही वजह है कि आईएसआईएस का बड़ा से बड़ी आतंकी भी उनका नाम सुन कर खौफ खाता है.
साल 2007 में अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद मरियम यूएई की वायुसेना में भर्ती हो गईं. और जल्द ही अपनी काबलियत के बूते वो देश की वायुसेना की पहली लड़ाकू विमान उड़ाने वाली महिला बन गई. मरियम के मुताबिक वो हाई स्कूल से ही पायलट बनाना चाहती थीं. लेकिन तब यूएई में महिलाओं के वायुसेना में भर्ती होने पर पाबंदी थी.
इसलिए वो स्कूल पूरा होने के बाद आर्मी में शामिल हो गईं. और जल्द ही यूएई सरकार ने औरतों के वायुसेना में शामिल होने पर लगी पाबंदी हटा ली और उस रोक के हटते ही उन्होंने पायलट बनने के लिए प्रशिक्षण लेना शुरु कर दिया था. आज आलम ये है कि मरियम को जो भी मिशन दिया जाता है वो उसमें कामयाब होकर सही सलामत वापिस अपने एयर बेस पहुंचती हैं.