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एक संत की फ्रीजर में समाधि का क्या है राज?

अंतर्ध्यान या फिर विज्ञान? कौन सच है? ये सवाल इसलिए क्योंकि इन्हीं दोनों के बीच जालंधर के आशुतोष जी महाराज की जिंदगी और मौत की पहेली पिछले एक हफ्ते से उलझी हुई है. डॉक्टर कह रहे हैं कि मेडिकल साइंस के हिसाब से महाराज की मौत हो चुकी है. उनके शरीर के तमाम अंगों ने काम करना बंद कर दिया. लेकिन महाराज के आश्रम के संचालकों का कहना है कि महाराज अंतर्ध्यान हैं. उन्होंने समाधि ले ली है. पर आखिर सच क्या है?

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आशुतोष महाराज की समाधि का राज
आशुतोष महाराज की समाधि का राज

अंतर्ध्यान या फिर विज्ञान? कौन सच है? ये सवाल इसलिए क्योंकि इन्हीं दोनों के बीच जालंधर के आशुतोष जी महाराज की जिंदगी और मौत की पहेली पिछले एक हफ्ते से उलझी हुई है. डॉक्टर कह रहे हैं कि मेडिकल साइंस के हिसाब से महाराज की मौत हो चुकी है. उनके शरीर के तमाम अंगों ने काम करना बंद कर दिया. लेकिन महाराज के आश्रम के संचालकों का कहना है कि महाराज अंतर्ध्यान हैं. उन्होंने समाधि ले ली है. पर आखिर सच क्या है?

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नूरमहल जालंधर के आशुतोष जी महाराज खुद तो खामोश हैं पर उनकी हर चर्चा हर तरफ हो रही है. चर्चा इस बात की कि महाराज जिंदा हैं, उनकी मौत हो चुकी है या फिर वो अपनी मर्जी से समाधि में चले गए हैं. हालांकि डाक्टरों का कहना है कि मेडिकली महाराज की मौत हो चुकी है. उनके शरीर का कोई हिस्सा काम नहीं कर रहा है. पर भक्त कह रहे है कि वो समाधि में हैं. इसलिए उनका अंतिम संस्कार नही किया जा सकता और वो जल्द ही उन्हें फिर से दर्शन देंगे.

लिहाजा पिछले एक हफ्ते से आशुतोष महाराज की समाधि और मौत पर बस यही कशमकश जारी है. मामाल इस कदर बढ़ गया है कि अब अदालत को बीच में आना पड़ा है. अब अदालत ही ये तय करेगी कि महाराज समाधि में हैं या फिर डाक्टर सच कह रहे हैं.

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क्लिनकली डेड और समाधि के बीच फंसकर रह गया है नूरमहल जालंधर के आशुतोष जी महाराज का सच. कौन सच्चा और कौन झूठ बोल रहा है ये समझ पाना मुश्किल हो रहा है. विज्ञान कहता है कि क्लिनिकली डेड का मतलब तकरीबन मौत. लेकिन अध्यात्म विज्ञान की बात मानने को तैयार नहीं है. आशुतोष जी महाराज के अनुयायी कह रहे हैं कि वो समाधि में लीन हो गए हैं. और समाधि में लीन होने वाले योगी इतनी शक्तियां के ज़रिए दिल धड़कनों और नब्ज़ पर काबू कर सकता है.

डॉक्टर इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि आशुतोष महाराज जिंदा और भक्त ये मानने को तैयार नहीं कि उनके महाराज अब उन्हें कभी दर्शन नहीं देंगे.

तीन तरह के लोग और तीन तरह की बातें. यूं तो महाराज के जिंदा होने और न होने पर तमाम तरह की बातें हो रही हैं. कोई कहता है कि महाराज समाधि में हैं. कोई उन्हें मरा हुआ मान चुका है. और कोई इन सब के पीछे गद्दी और सम्पत्ति को वजह मान रहा है.

इतना ही नहीं 29 तारीख को डॉक्टरों ने उन्हें क्लिनिकली डेड घोषित किया उसके बाद से लेकर अब तक 7 दिन गुज़र चुके हैं और एक के बाद एक हर रोज़ नया सवाल खड़ा होता जा रहा है.

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आशुतोष जी महाराज की मौत के सात दिन बाद उनसे और उनकी मौत से जुड़े 7 सवाल.
पहला सवाल- क्या है आशुतोष महाराज की असली कहानी?
दूसरा सवाल- किल्निकली डेड का मतलब क्या होता है?
तीसरा सवाल - क्यों बदल रहा है महाराज की बॉडी का रंग?
चौथ सवाल- क्या कोई किल्निकली डेड होकर भी समाधि में जा सकता है?
पांचवा सवाल- एक बंद कमरे में फ्रीज़र के अंदर ये कैसी समाधि है?
छठा सवाल- आशुतोष महाराज का ड्राइवर क्यों कर रहा है समाधि की बात से इंकार?
सांतवा सवाल- क्या मौत के पीछे हैं उत्तराधिकार या संपत्ति की लड़ाई

ये सात सवाल आशुतोष महाराज की मौत के बाद से ही उठने लगे हैं.. और इन सवालों का ठीक ठीक जवाब उनके संस्थान से या उनके अनुयायियों से मिल नहीं पा रहा है.. और इसी वजह से दिन ब दिन आशुतोष जी महाराज की मौत का राज़ गहराता जा रहा है.

महाराज की पहेली से जुड़े सवाल कई हैं. लेकिन माकूल जवाब अभी तक किसी सवाल का नहीं मिल पाया है. कोई कहता है महाराज अंतर्ध्यान हैं.. तो कोई कहता है कि उनके इस अंतर्ध्यान होने की बात के पीछे गहरी साज़िश है. अब सवाल ये है कि अगर ये साजिश है तो क्यों हैं और इसके पीछे कौन लोग हैं?

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अंर्तध्यान और विज्ञान की इस लड़ाई में आशुतोष महाराज की मौजूदा स्थिति का न तो पता चल पा रहा है और न ही कोई नतीजा अभी तक निकल पाया है. लिहाज़ा दिव्या ज्योति जाग्रति संस्थान के मुखिया आशुतोष महाराज को लेकर पहेली और उलझ गयी है.

चार अलग अलग लोग और चारों अलग अलग तरह के तर्क दे रहे हैं. हम आपको अंर्तध्यान और विज्ञान के हर पहलू की पड़ताल करने की कोशिश करेंगे और इस बात को समझने की कोशिश करेंगे की आखिर क्या है आशुतोष महाराज की पहेली?

संस्थान का सच विज्ञान और वास्तविक से बिलकुल अलग है. लेकिन जब धर्म और अध्यात्म की बात हो तो चमत्कारों से इंकार नहीं किया जा सकता है. संस्थान के नुमाइंदे ये दावा कर रहे हैं कि आशुतोष महाराज समाधि में लीन हैं और उन्हें इस बात की कोई दरकार नहीं कि उनकी समाधि पर विज्ञान अपना तर्क क्या देता है.

डॉक्टर तो आज भी वही बात कह रहे हैं जो एक हफ्ते पहले उन्होंने नूरमहल में आशुतोष महाराज का चेकअप करने के बाद कही थी. महाराज क्लिनिकली डेड हैं.. अब इसे अध्यात्म में डेड माना जाए या कुछ और ये मानने वाले के ऊपर है. लेकिन विज्ञान में तो क्लिनिकली डेड का मतलब तकरीबन मौत ही होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि क्योंकि एक बार कोई अगर क्लिनिकली डेड हो गया तो फिर दोबार उसके शरीर में कोई हलचल होना नामुमकिन है.

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धर्म में चमत्कार होना कोई नई बात नहीं है. और खासकर योगियों के लिए तो ये उनके वश की बात है. इतिहास में पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है जब योगी इस तरह की कंडीशन में भी समाधि ले चुके हैं.

आशुतोष महाराज के पूर्व ड्राइवर पूर्ण सिंह का कहना है की महाराज की हज़ारो करोड़ की संपत्ति है और इसे संसथान के कुछ लोग हडपना चाहते है.. इसीलिए महाराज के खिलाफ संस्थान में षड्यंत्र रचा गया है.. महाराज की मौत होने की आशंका जताते हुए कर्ण सिंह ने हाईकोर्ट में मामले की जांच करवाने के लिया याचिका भी दायिर की है.

धर्म गुरू आशुतोष महाराज पर पंजाब सरकार ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट को जो रिपोर्ट दी है उसमें उन्हें क्लीनिकली डेड बताया गया है. कई डॉक्टर्स की राए लेने के बाद पंजाब सरकार ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में ये रिपोर्ट पेश की.

इतना ही नहीं आशुतोष महारज के पूर्व ड्राइवर की 'हैबियस कॉरपस' याचिका पर पंजाब सरकार ने कहा कि जब वो जिंदा ही नहीं तो उन्हें कोर्ट में कैसे पेश किया जा सकता है.. हैबियस कॉरपस के तहत दरअसल लापता इंसान को कोर्ट में पेश किया जाता है.

डॉक्टरों का कहना है कि एक बार किसी के क्लिनीकली डेड होने के बाद उसके दोबारा जिंदा होने की कोई गुंजाइश नहीं बचती है. आशुतोष महाराज के समाधि में जाने की बात से डॉक्टर इसलिए भी इंकार कर रहे हैं क्योंकि अब उनके शरीर का रंग भी बदलने लगा है.

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मृत घोषित न करने के पीछे संपत्ति विवाद?
आशुतोष महाराज की पहेली जैसे जैसे उलझली जा रही है वैसे वैसे नए नए सच सामने आते जा रहे हैं. महाराज के पुराने ड्राइवर ने आरोप लगाया है कि आशुतोश जी को मृत घोषित न करने के पीछे संपत्ति विवाद है.

बताया जा रहा है इसकी वजह संस्थान के दो बड़े धड़ों के बीच उत्तराधिकार के लिए छिड़ी जंग है. और इसीलिए जब तक इसका फैसला नहीं हो जाता कि महाराज का उत्तराधिकारी कौन है उनकी मौत का ऐलान नहीं किया जाएगा.

कर्ण सिंह आशुतोष महाराज का पुराना ड्राइवर था और उनके साथ कई सालों से था. लेकिन जब महाराज बीमार पड़े तो फौरन संस्था के संचालकों ने उन्हें नौकरी से चलता कर दिया. कर्ण सिंह इस संस्थान औऱ उसके संचानकों को अरसे से जानते हैं ऐसे में उनके आरोपों को हलके में लेना भी ठीक नहीं होगा.

हालांकि इन आरोपों को संस्था के संचालक कोरी कोरी बकवास बता रहा है और इन लोगों के मुताबिक आश्रम के अंदर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है.

बेशक आशुतोष महाराज की हालत को लेकर डॉक्टरों और उनके भक्तों के बीच में मतभेद हो लेकिन 11 फरवरी को इसकी सच्चाई सामने आ जाएगी. क्यों पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने संस्था के संचालकों को आशुतोष महाराज की हालत पर छाए पर्दे को उठाने के लिए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.

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महाराज आशुतोष का शरीर फ्रीजर में है. लेकिन उनका शरीर कब तक फ्रीजर में रहेगा इसका जवाब संस्थान में किसी के पास नहीं है. बताया जा रहा है कि महाराज को मृत घोषित न करने के पीछे असल वजह संपत्ति विवाद है. लेकिन संस्थान के लोग इसे कोरी बकवास बता रहे हैं.

लाइटों वाले बाबा के नाम से मशहूर आशुतोष महाराज का असली नाम महेश कुमार झा है. और उनका जन्म बिहार के दरभंगा जिले के नखलोर गांव में 1946 में हुआ था. वो 1983 में पंजाब के नकोदर ज़िले के हरिपुर गांव में रहने लगे. यहीं उन्होंने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की.

तकरीबन 70 साल के आशुतोष महाराज के पंजाब में 65 समेत देश भर में 350 आश्रम हैं तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे कई अन्य देशों में भी कई आश्रम हैं.

करोड़ो श्रद्धालु और करोड़ों की संपत्ति
इतना ही नहीं स्वामी जी के श्रद्धालुओं की गिनती करोड़ो में पहुंच चुकी है और इन्हीं श्रद्धालुओं की मदद से देशभर में इन आश्रमों की स्थापना की गई. भारत के अलावा कई देशो में भी फैली आशुतोष जी की संपत्ति करोड़ों में है. आशुतोष जी के पुराने ड्राइवर के मुताबिक दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के पास इस समय 1000 करोड़ रूपये से ज्यादा की सम्पत्ति है.. सिर्फ नूर महल में संस्थान के हेड क्वार्टर में 350 करोड़ रूपये कैश पड़ा है.

आशुतोष महाराज की यही संपत्ति विवाद की जड़ भी बनी हुई है. ड्राइवर के मुताबिक महाराज कि इसी हज़ारों करोड़ की संपत्ति को हडपने के लिए उनके आश्रम के संचालक साजिश रच रहे हैं. हालांकि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संचालाक इसे झूठ बताते है और अब भी आशुतोष महाराज की समाधि के तर्क पर अड़े है.

 

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