नोएडा के चर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तलवार दंपति को सजा देने में सीबीआई कोर्ट द्वारा आधार बनाई गई रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. आरुषि-हेमराज मर्डर केस की जांच में शामिल एक मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक इस हत्याकांड की वजह आरुषि और हेमराज के बीच शारीरिक संबंध था. इस दावे पर डॉक्टर नरेश राज ने अपने वैवाहिक अनुभव का हवाला दिया था, जिस पर इलाहाबाद कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट के मुताबिक फॉरेंसिक साइंस में व्यक्तिगत नतीजों की जगह नहीं होती.
हेमराज का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर नरेश राज ने बताया था कि उनकी रिपोर्ट के मुताबिक हत्या होने से पहले हेमराज ने शारीरिक संबंध बनाए थे. जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉक्टर के इस नतीजे पर पहुंचने की वजह जाननी चाही, तो नरेश राज ने बताया, 'अपने वैवाहिक अनुभव के आधार पर मैंने हेमराज के प्राइवेट पार्ट में आई सूजन का कारण बताया कि वो सेक्सुअल इंटरकोर्स के बीच था या फिर ऐसा करने वाला था.'
वहीं आरुषि का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर सुनील डोहरे ने ट्रायल कोर्ट को बताया था कि आरुषि के वजाइनल कैविटी में व्हाइट डिस्चार्ज की मौजूदगी से यौन उत्पीड़न के संकेत मिले. कोर्ट ने सवाल किया कि डोहरे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और दिए गए तीन बयानों में कहीं भी इंटरकोर्स का जिक्र नहीं किया गया था. कोर्ट को दिए गए डॉक्टर के चौथे बयान के आधार पर सीबीआई ने माना था कि आरुषि के माता-पिता ने हेमराज और आरुषि को आपत्तिजनक स्थिति में पाया और उनकी हत्या कर दी. कोर्ट की मानें तो व्यक्तिपरक निष्कर्षों की फॉरेंसिक साइंस में कोई वजह नहीं है.
हत्या की जगह पर जांच करने वाले फॉरेंसिक डॉक्टर मोहिंदर सिंह दहिया की रिपोर्ट के अनुसार आरुषि के बेडरूम में हेमराज का खून कहीं नहीं पाया गया. डीएनए एक्सपर्ट डॉक्टर बीके महापात्रा, सेरोलॉजिस्ट सुरेश कुमार सिंगला ने कोर्ट को साफ किया कि कमरे की चादर, तकिए और जगहों पर केवल आरुषि का खून ही पाया गया.
स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर उर्मिला शर्मा के मुताबिक आरुषि के वजाइनल कैविटी पर सफेद पदार्थ पाया जाना आम बात है, इसकी वजह है कि 13 से 14 साल की उम्र में हर लड़की में हार्मोनल बदलाव होते हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर भी सेक्सुअल इंटरकोर्स की थ्योरी पर संदेह होता है. वहीं हेमराज के प्राइवेट पार्ट में आई सूजन का कारण बताया गया कि उसकी लाश धूप में 24 घंटों तक पड़ी रही.