scorecardresearch
 

अफगानिस्तानः तालिबान और फौज की जंग में पिस रहे हैं आम लोग, ताबड़तोड़ हमले जारी

भूख, बेबसी, लाचारी, बीमारी और हर पल सिर पर मंडराता मौत का साया. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान और क्या औरतें, सबका एक ही हाल है. अफगानिस्तान के लाखों बेगुनाह शहरियों के लिए अब यही उनकी तक़दीर और यही उनका मुस्तकबिल है.

Advertisement
X
तालिबान की वजह से हजारों लोग अवैध रूप से मुल्क छोड़कर भाग रहे हैं
तालिबान की वजह से हजारों लोग अवैध रूप से मुल्क छोड़कर भाग रहे हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • करीब 2 लाख 70 हज़ार लोग घर छोड़कर भागे
  • बेगुनाह भी बेमौत मारे जा रहे
  • अफ़गानिस्तान में ही भुखमरी, दहशत और बेबसी का माहौल

अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी फौज (American Army) की विदाई के बाद तालिबान (Taliban) को एक बार फिर काबुल में सत्ता की उम्मीद नजर आने लगी है. लेकिन वहां सरकार और तालिबान के बीच चल रही लड़ाई (War) की वजह से अफगानिस्तान के लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं. जनवरी से लेकर अब तक करीब पौने तीन लाख लोग बेघर हो चुके हैं. कांधार के बाहर तो और भी बुरे हालात हैं. वहां हजारों लोग रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर हैं. किसी को नहीं पता कि सत्ता की ये लड़ाई कब तक चलेगी.

Advertisement

भूख, बेबसी, लाचारी, बीमारी और हर पल सिर पर मंडराता मौत का साया. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान और क्या औरतें, सबका एक ही हाल है. अफगानिस्तान के लाखों बेगुनाह शहरियों के लिए अब यही उनकी तक़दीर और यही उनका मुस्तकबिल है. सरकार और तालिबान के बीच जारी लड़ाई में आम लोग बुरी तरह पिस रहे हैं. इस मुल्क के हालात कितने नाज़ुक हैं, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनवरी से लेकर अब तक पूरे अफगानिस्तान में करीब 2 लाख 70 हज़ार लोगों को अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ा है. 

ताबड़तोड़ हमले और अंधाधुंध कत्ल-ए-आम

अगर तालिबान की शुरुआत से लेकर अब तक लेखा-जोखा निकाला जाए ये आंकड़ा 30 लाख 50 हज़ार के भी पार चला जाता है. अफगानिस्तान में अमन लौटा तो था, लेकिन उसकी उम्र काफ़ी छोटी साबित हुई. 20 साल बाद जैसे ही जैसे ही अमेरिकी और नाटो फ़ौज ने अफगानिस्तान से वापसी की राह ली, तालिबान के आतंकियों की तो मानों लॉटरी खुल गई. लूटे और बटोरे गए अस्लहों, बख्तरबंद गाड़ियों और गोला-बारुद को हथियार बना कर उन्होंने वही शुरू कर दिया, जिसके लिए वो जाने जाते हैं, ताबड़तोड़ हमले और अंधाधुंध कत्ल-ए-आम.

Advertisement

इसे भी पढ़ें-- राजस्थान: दो विदेशी महिलाओं ने ATM से निकाले 32 लाख, देश में नए तरह से हैकिंग का पहला मामला

वहां बम धमाके हो रहे हैं. शहरों में रॉकेट बरस रहे हैं. लोग जान बचा कर भाग रहे हैं. यही तालिबान का सच है. शहरी इलाक़ों में जारी इस लड़ाई का असर ये है कि वहां बेगुनाह भी बेमौत मारे जा रहे हैं. अगर वे खुशकिस्मती से इन हमलों में बच भी गए, तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उन्हें तालिबान की बुरी नज़र नहीं लगेगी. तालिबान कब कहां से आ जाएं, लूटपाट करें और जाते-जाते सिर क़लम कर जाएं, ये कोई नहीं जानता. अकेले कांधार के पास स्पिन बोल्डक इलाक़े में पिछले दिनों तालिबानी आतंकियों ने जिस तरह एक ही झटके में सौ से ज़्यादा बेगुनाहों की जान ली, वो उनकी फितरत को दिखाता है. लिहाज़ा फिलहाल पूरे अफ़गानिस्तान में ही भुखमरी, दहशत और बेबसी का माहौल है.

रिफ्यूजी कैम्प में करीब 11 हज़ार से ज़्यादा परिवार

अब कांधार की दहलीज़ पर मौजूद रिफ्यूजी कैंप की बात करें तो वहां करीब 11 हज़ार से ज़्यादा परिवार शरण लिए हुए हैं, जो अपने-आप में तालिबान की ज़्यादतियों का जीता जागता सबूत है. घर बार छोड़कर आए लोगों के पास इस भीषण गर्मी में सिर छुपाने को एक अदद छत नहीं है, भूख से हर किसी का बुरा हाल है. सबसे बुरा हाल तो बच्चों का हैं, जिनके लिए इस मुश्किल हालात का सामना करना नामुमकिन हो रहा है. तो बड़ों की फिक्र ये है कि ये दिन तो वो फिर जैसे-तैसे गुज़ार लेंगे, लेकिन उनका आगे क्या होगा? ये कोई नहीं जानता. कहने का मतलब ये कि तालिबान और सरकार की ये जंग कब खत्म होगी, देश फिर से अमन के रास्ते पर कब चलेगा, स्कूल फिर से कब खुलेंगे, लोगों की ज़िंदगी फिर से पटरी पर कब लौटेगी, इन सवालों का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.

Advertisement

कांधार से सांसद सैय्यद अहमद सैलाब की मानें तो तालिबान ने ईद के बाद अफ़गानी फ़ौज पर हमले फिर से तेज़ कर दिए हैं और इसका असर सबसे ज़्यादा आम लोगों पर हुआ है. पूरे के पूरे कांधार प्रोविंस में आम लोग तालिबान और फ़ौज के बीच जारी संघर्ष के बीच फंस गए हैं. हालत ये है कि सैकड़ों गांवों से हज़ारों लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में घर से भागने को मजबूर हैं. 

ज़रुर पढ़ें-- पत‍ि की हत्या करवाकर कुएं में शव डालकर लगा द‍िया पौधा, क्राइम पेट्रोल से सीखा तरीका

चोरी-छिपे नई ज़िंदगी की तलाश

सांसद सैय्यद अहमद सैलाब का कहना है कि हमने यहां लोगों के लिए दिन में दो बार भोजन की व्यवस्था करने का फैसला किया है. इस कैंप में वो लोग हैं, जो लड़ाई की वजह से अपने गांव घर छोड़ कर कांधार की ओर चले आए हैं. लड़ाई से बेघर हुए ऐसे लोग सिर्फ़ अफ़गानिस्तान में ही भटकने को मजबूर नहीं हैं. बल्कि अब तो ऐसे लाचार लोग चोरी-छिपे नई ज़िंदगी की तलाश में दूसरे देशों की तरफ़ भागने को भी मजबूर हो गए हैं. तुर्की के पूर्वी इलाके वान में ईरान के रास्ते घुस आए दर्जनों अफ़गान नागरिकों को पकड़ा गया है. साथ ही ग्यारह ऐसे मानव तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है, जो अफ़गानी नागरिकों को गलत तरीके से तुर्की में घुसपैठ कराने की कोशिश कर रहे हैं. 

Advertisement

तुर्की के गृह मंत्रालय की मानें तो हाल के दो हफ्तों में 1600 अफगान नागरिकों को वान प्रोविंस में पकड़ा गया है. और ये सब के सब अफगानिस्तान में तालिबान और फौज के बीच जारी आमने-सामने की जंग से बेघर हुए लोग हैं. वैसे आपको बता दें कि तुर्की इस दुनिया में सबसे ज़्यादा विदेशी शरणार्थियों को पनाह देनेवाला मुल्क है. यहां 40 लाख से ज़्यादा शरणार्थी रहते हैं और इनमें ज़्यादातर सीरिया के हैं.

सूत्रों की मानें तो अमेरिकी फ़ौज की वापसी के बाद तालिबान खुद तो सक्रिय हुआ ही है, पाकिस्तान के बलूचिस्तान और सिंध के रास्ते से करीब 10 हज़ार आतंकी तालिबान की मदद के लिए अफ़गानिस्तान में घुस आए हैं और बंदूक के दम पर कोहराम मचाने में लगे हैं. ये आतंकी चुन चुन कर फ़ौजियों को निशाना बना रहे हैं और चेक पोस्ट्स पर कब्ज़े की कोशिश कर रहे हैं, ताकि कांधार और काबुल जैसे शहरों में ज़रूरी चीज़ों की किल्लत पैदा की जा सके.

पढ़ें-- अलग रहकर घरों में काम करती थी पत्नी, पति ने किया था मर्डर, 9 साल बाद गिरफ्तार


2 लाख 70 हजार लोगों ने छोड़ा अपना घर

संयुक्त राष्ट्र संघ का कहना है कि अफगानिस्तान में लड़ाई की वजह से हाल के महीनों में 2 लाख 70 हजार लोगों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा है. ऐसा खासतौर पर देश के उत्तरी हिस्से में हुआ है, जहां तालिबान लगातार अपनी मज़बूती बढ़ा रहा है. इन हालात के बीच तालिबान ने देश 85 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने का दावा किया है. तालिबान अब कांधार और राजधानी काबुल पर कब्ज़ा करना चाहता है, ताकि वो सरकार को सत्ता से हटा कर खुद राज कर सके. 

Advertisement

हालांकि इन हालात के बीच अमेरिका ने तालिबान पर हवाई हमले जारी रखने का अपना फैसला दोहराया है. अमेरिकी फ़ौज की वापसी के साथ ही तालिबान की बढ़ती हरकतों को देख कर अमेरिका पिछले कई दिनों से तालिबान के अलग-अलग ठिकानों पर जमकर बम बारी कर रही है. अमेरिका के साथ-साथ इन हमलों में अफ़गान एयर फोर्स भी शामिल है. आपको याद होगा पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान से अपनी फ़ौज की वापसी का ऐलान करते हुए कहा था कि सितंबर तक अमेरिकी फौज पूरी तरह  से अफगानिस्तान से हट जाएगी. ऐसे में अब तक तो अफगान सरकार और अफगानी फ़ौज को अमेरिकी मदद मिल रही है, लेकिन आगे क्या होगा, ये कोई नहीं जानता.

 

Advertisement
Advertisement