तालिबान की वापसी की वजह से पहले ही अफगानिस्तान में भागमभाग थी. अब आईएसआईएस खुरासान ने डर का लेवल और बढ़ा दिया है. तालिबान के खौफ से काबुल एयरपोर्ट की ओर भागने वालों पर आईएसआईएस खुरासान का कहर बरपा है. जिसकी वजह से काबुल ही नहीं, बल्कि पूरे अफगानिस्तान में डर और दहशत का माहौल है. वहां रहने वालों की जिंदगी कुछ ऐसी हो गई कि है कि उनके एक तरफ मौत का कुआं है और दूसरी तरफ आतंक की गहरी खाई.
काबुल में गुरुवार की शाम एक बाद एक दो धमाकों से कोहराम मच गया. सीरियल ब्लास्ट के पीछे आतंकी संगठन आईएसआईएस खुरासान का नाम आया है. ये बात अमेरिका भी जानता था और ब्रिटेन को भी पता था. ऑस्ट्रेलिया भी इस बारे में कह चुका था और तो और काबुल पर काबिज तालिबान भी जानता था. सबके जानते हुए, खतरे को भांपते हुए भी आखिरकार गुरुवार की शाम काबुल में वो हो गया, जिसे टालने के लिए दुनिया की बड़ी ताकतें लगी हुई थीं.
जी हां, काबुल एयरपोर्ट के बाहर डबल ब्लास्ट. जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. डेढ़ सौ से ज्यादा लोग जख्मी हो गए और इन सबके पीछे है सिर्फ एक नाम है- आईएसआईएस खुरासान. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आईएसआईएस खुरासान का नाम लिया तो तालिबानी प्रवक्ता ने भी इसी तरफ इशारा किया. इस्लामिक स्टेट के खुरासान ग्रुप ने खुद एक आत्मघाती हमलावर की तस्वीर जारी हमले की जिम्मेदारी ले ली. दावे के मुताबिक अब्दुल रहमान अल लोघरी नाम के आईएसआईएस आतंकी ने खुद को काबुल एयरपोर्ट पर धमाके से उड़ा लिया.
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इस बात की जानकारी खुद तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने भी दी. जो लोग तालिबान और खुरासान में अंतर नहीं समझ पा रहे, उन्हें ये रहस्य की तरह लग सकता है कि जिस देश की सत्ता पर तालिबान जैसा आतंकी संगठन काबिज हो वहां किसी और आतंकी संगठन ने ब्लास्ट को कैसे अंजाम दे दिया? अगर आपके मन में भी ये पहेली है तो आइये हम इस पहेली को सुलझा देते हैं.
तालिबान- खुरासान. भाईजान या दुश्मन? कहते हैं चोर-चोर मौसेरा भाई. लेकिन तालिबान और आईएसआईएस खुरासान के मामले में रिश्ता कुछ अलग है. दोनों आतंकी संगठन हैं लेकिन बताया जाता है कि दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं. जानकारों के मुताबिक कट्टर सुन्नी इस्लामी आतंकी संगठन होते हुए तालिबान और आईएसआईएस खुरासान में भारी आपसी मतभेद हैं. दोनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते. आईएसआईएस खुरासन तालिबान की इस बात से खफा है कि उसने सत्ता के लिए जिहाद और जंगे-ए-मैदान से किनारा कर लिया और दोहा के पॉश होटलों में शांति समझौते में लग गया.
डिफेंस एक्सपर्ट की मानें तो तालिबान और आइसिस खुरासान के बीच भारी मतभेद है. जब से तालिबान दोहा शांति वार्ता में शामिल हुआ आईएसआईएस ने तालिबान को अपना दुश्मन बना लिया. आईएसआईएस का आरोप है कि तालिबान ने जंग-ए-मैदान की जगह दोहा के पॉश होटलों का रास्ता पकड़ लिया. इसी बात से आइसिस आतंकी तालिबान को नुकसान पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश में लग गए हैं.
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तालिबान और आईएसआईएस खुरासान भले ही एक दूसरे के दुश्मन नजर आते हों लेकिन दोनों का चरित्र ऐसा जैसा है. तालिबान जितना बर्बर है, बर्बरता में उससे कई हाथ आगे है आईएसआईएस खुरासान. तालिबान और आइसिस खुरासान के बीच एक और कनेक्शन है. तालिबानी कमांडर मुल्ला उमर की मौत के बाद तालिबान के बहुत से खूंखार आतंकवादी आईएसआईएस खुरासान में शामिल हो गए थे. इस तरह ये इसे तालिबान से ही निकला ग्रुप कहा जा सकता है. जिसका मकसद खुरासान राज्य की स्थापना करना है.
आईएसआईएस खुरासान को अफगानिस्तान में रहने वाले पाकिस्तानी तालिबान से जुड़े दहशतगर्द फंडिंग करते हैं. पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरु होने के बाद पाकिस्तानी तालिबान के आतंकी अफगानिस्तान में शिफ्ट हो गए थे. अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक आईएसआईएस खुरासन में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया, उजबेकिस्तान के आतंकी शामिल हैं. इसका मुख्यालय अफगानिस्तान का नांगरहार राज्य है जो पाकिस्तान के बेहद नजदीक है.
चार साल पहले अमेरिका ने बमबारी कर इसके ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. लेकिन काबुल पर हमला कर खुरासान ने ये जतलाने की कोशिश की है कि वो एक बार फिर से जिंदा हो गया है. काबुल में हुए सीरियल ब्लास्ट खतरे की बड़ी घंटी हैं. क्योंकि अफगानिस्तान अलग-अलग आतंकी संगठनों का केंद्र बन चुका है. जो आने वाले वक्त में पूरी दुनिया के लिए नासूर साबित हो सकता है. और इसमें सबसे बड़ा नाम है आईएसआईएस खुरासान का.