उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में 15 साल पहले अवैध संबंधों के चलते हुई तांत्रिक की हत्या का मामला पुलिस ने सुलझा लिया है. पुलिस ने एक हत्यारोपी को भी गिरफतार कर लिया है. जबकि तीन हत्यारोपी अभी फरार हैं.
मामला रामपुर के थाना अजीमनगर क्षेत्र का है. जहां जटपुरा गांव में जय सिंह नामक व्यक्ति झाड़ फूंक का काम करता था. इसी दौरान तांत्रिक जय सिंह के पैगम्बरपुर गांव की युवती सुमंगला के साथ अवैध संबंध हो गए. युवती की शादी होने के बाद भी जय सिंह और सुमंगला का संबंध नहीं टूटा.
सुमंगला शादी के बाद भी अक्सर बीमारी का बहाना करके तांत्रिक जय सिंह को अपने घर बुलाती थी. ऐसे उसके नाजायज संबंध परवान चढ़ते रहे. एक दिन उसके पति रामप्रसाद के सामने ये राज़ खुल गया. रामप्रसाद ने इस बात का विरोध किया. लेकिन जयसिंह और सुमंगला नहीं माने. रामप्रसाद ने एक दिन जय सिंह पर तमंचा तानकर उसे ये संबंध खत्म करने की धमकी दी लेकिन सबकुछ वैसा ही चलता रहा.
इस बात से परेशान होकर राम प्रसाद ने जय सिंह को रास्ते से हटाने की योजना बना ली. उसने इस काम के लिए एक अज्ञात औरत का सहारा लिया. उसने जय सिंह को बताया कि एक महिला का इलाज करना है. जिसके जलते 24 अगस्त 2001 को रामप्रसाद अपने तीन साथियों के साथ जय सिहं झाड़ फूंक के बहाने कोसी नदी के किनारे पसियापुरा के जंगल में ले गया और वहां चारों ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी.
इस वारदात के बाद 3 सितम्बर को जय सिंह का शव कोसी नदी के किनारे जंगल से बरामद किया गया था. इसके बाद मृतक तांत्रिक जय सिंह के भाई अमर सिंह ने रामप्रसाद और अन्य तीन लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था, लेकिन दो बार सबूतों के अभाव में इस मामले में एफआर लगा दी गई.
इस दौरान हत्यारोपी राम प्रसाद अक्सर हत्या की बात कहकर जय सिंह के भाई अमर सिंह को हतोत्साहित करता रहा. अमर सिंह की अर्जी पर आखिरकार अदालत ने दो बार एफआर लगने के बावजूद एक बार फिर इस कत्ल की तफ्तीश के लिए पुलिस अधीक्षक को लिखा.
विवेचना के दौरान पुलिस के हाथ एक ऐसा गवाह लगा, जिसने जय सिंह को हत्या से पहले राम प्रसाद और अन्य तीन लोगों के साथ कोसी नदी के किनारे झाड़ फूंक के लिए मुर्गा ले जाते हुए देखा था. गवाह ने उन्हें टोका भी था. जिस पर राम प्रसाद ने कहा था कि लोग पूजा भी नहीं करने देते.
एसपी संजीव त्यागी ने बताया कि जयसिंह की हत्या के छह माह बाद सुमंगला की भी संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई थी. तब से लेकर अब तक यह मामला अदालत में विचाराधीन है. पुलिस ने रामप्रसाद को 15 साल बाद हिरासत में ले लिया है. उसके खिलाफ पर्याप्त सुबूत भी इकटठा किए गए हैं. पुलिस बाकी आरोपियों की तलाश कर रही है.