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20 साल पहले 14 साल की नाबालिग लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंका जाता है. पलभर में ही वो तेजाब लड़की का चेहरा जला देता है. गुनहगार सामने था, बस एक पुलिस कम्प्लेंट की ज़रूरत थी. मगर पीड़ित लड़की और उसके परिवार के सामने हालात कुछ ऐसे बन गए कि वो पुलिस के पास नहीं जाते. और इसी तरह 20 साल बीत जाते हैं. 20 साल बाद वो लड़की अचानक एक रोज एक कैफे में एक आला पुलिस अफसर से मिलती है और यहीं शुरू होती है एक नई कहानी.
जिस्म को अंदर से जला देती है तेजाब की तपन
कहते हैं नफरत की शक्ल में जब तेजाब की तपन किसी के जिस्म में उतरती है, तो ये जिस्म के साथ-साथ रूह को भी छलनी कर जाती है. खाल के साथ-साथ तेजाब का शिकार बननेवाले की आत्मा भी गलने लगती है. तभी तो तेजाब की टीस से बेगुनाहों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक ने सख्त कायदे कानून बना रखे हैं. यहां तक कि किसी पर तेजाबी हमला करने के गुनहगारों को क़त्ल के बराबर की सजा यानी आजीवन कारावास तक दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद कई बार ऐसा होता है, जब सिस्टम से उलझ कर या हालात से हार कर तेजाब की टीस झेलनेवाली कुछ लडकियां भी इंसाफ से महरूम रह जाती हैं. ये कहानी कुछ ऐसी ही लड़कियों और उनके दर्द भरे तजुर्बों की है.
कैफे में काम करती हैं रुकैया
रुकैया की उम्र करीब 34 साल है. वो आगरा के शीरोज हैंगआउट कैफे में काम करती हैं. एक ऐसा कैफ़े जिसमें काम करनेवाले सभी के सभी लोग एसिड अटैक सरवाइवर हैं. एसिड अटैक सरवाइवर यानी खुद पर तेजाबी हमला झेल कर भी बच निकलनेवाले लोग. तेजाबी हमले की टीस से उबर कर रुकैया अब अपनी जिंदगी में आगे तो बढ़ने लगी है, लेकिन सच्चाई यही है कि रुकैया के साथ हुए एसिड अटैक के वाकये को 20 सालों का लंबा वक्त गुजरने के बावजूद उसे अब भी इंसाफ़ का इंतज़ार है.
ये और बात है कि अब ये इंतज़ार ख़त्म होने की उम्मीद बंधने लगी है, क्योंकि इंसान आम तौर पर इंसाफ की आस में जिस पुलिस के पास जाता है, वही पुलिस अब रुकैया को इंसाफ दिलाने खुद उसके दरवाजे पर आ खड़ी है. रुकैया पर हुए तेजाबी हमले और उसके 20 सालों के दर्द को समझने के लिए हमें इस कहानी को शुरू से समझने की जरूरत है.
6 दिसंबर 2022, शीरोज कैफे, आगरा
यही वो तारीख थी, जब आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण शहर के शीरोज कैफे पहुंचते हैं. वो कैफे में कुछ एसिड सरवाइवर से बातचीत कर रहे थे, उनका हाल-चाल ले रहे थे. इसी बीच उन्हें पता चलता है कि कैफे में रुकैया, मधु और उस जैसी कई और ऐसी लड़कियां हैं, जो एसिड सरवाइवर होने के बावजूद सालों से इंसाफ की राह तक रही हैं. इन लड़कियों की इन कहानियों ने पुलिस की वर्दी के अंदर छुपे एक संवेदनशील इंसान को मानों झिंझोड कर रख दिया.
ये वो एसिड सरवाइवर थीं, जिन्होंने अपने परिवार के दबाव में या फिर किसी दूसरी वजह से अब तक इंसाफ के लिे पुलिस में शिकायत ही नहीं की थी. यानी जिस तेजाब ने उनकी हंसती खेलती जिंदगी झुलसा कर रख दी, इन लड़कियों ने उसी तेजाबी हमले को अंजाम देनेवाले गुनहगारों का हिसाब तक करने की हिम्मत तक नहीं जुटाई और तभी उन्होंने ये फैसला कर लिया कि अब वो ऐसी लड़कियों को इंसाफ दिला कर रहेंगे.
एडीजी ने पुलिस कमिश्नर को सुनाया फरमान
एडीजी राजीव कृष्ण ने फौरन ही आगरा के पुलिस कमिश्नर डॉ प्रितिंदर सिंह से बात की और रुकैया, मधु और बाकी लड़कियों को इंसाफ़ दिलाने का हुक्म दिया. अब पुलिस कमिश्नर ने इन लड़कियों को अपने दफ्तर में बुलाया, उनकी कहानी सुनी और अपने मातहत पुलिस अफसरों को इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज करने का हुक्म दिया. रुकैया की जिस दर्द भरी कहानी ने बड़े से बड़े और धाकड़ पुलिस अफसरों को भी हिला कर रख दिया, वो कहानी आपको भी सुननी चाहिए.
रुकैया की दर्दभरी दास्तान
रुकैया बताती है, "वो 7 सितंबर 2002 की बात थी. इस तारीख को भला मैं कैसे भूल सकती हूं? मेरे चेहरे पर तेजाब डालनेवाला कोई और नहीं बल्कि मेरी बड़ी बहन का अपना देवर था. जो मुझसे शादी करने की जिद पर अड़ा था. उस समय मेरी उम्र महज 14 साल की थी. मैं नाबालिग थी. पढ़ना चाहती थी. घरवाले भी मेरी शादी नहीं करना चाहते थे और ना ही मैं इस शादी के लिए तैयार थी. उस रोज मैं अपनी मां के साथ दीदी की ससुराल अलीगढ़ गई थी. उस समय दीदी का मिसकैरेज हुआ था. इसलिए हम दोनों उनकी मदद के लिए गए थे. उसी समय मेरे जीजा के छोटे भाई ने मुझे शादी का प्रस्ताव दिया. तब खुद उसकी उम्र 24 साल की थी. इस शादी के लिए मेरी मां ने भी मना कर दिया और मैंने भी. मेरी उम्र ही क्या थी उस समय?"
बहन के देवर ने किया था तेजाब से हमला
वो कहती है "बस, यही बात उस शख्स को इतनी नागवार गुजरी कि उसने मेरी जिंदगी ही खराब कर दी. तब हल्का सा अंधेरा छाया था. मैं घर के आंगन में चारपाई के पास थी. उसी समय अचानक उसने मेरे चेहरे पर कुछ फेंका, जिससे मेरा पूरा चेहरा बुरी तरह जलने लगा. शुरू में मुझे लगा कि उसने मेरे चेहरे पर गर्म चाय फेंक दी है, लेकिन जल्द ही जलन की शिद्दत ने मुझे इस बात का अहसास दिला दिया कि ये हमला तेजाब का है."
बड़ी बहन की खातिर नहीं की शिकायत
रुकैया बताती है कि इस वारदात के बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां उसकी हालत लगातार खराब हो रही थी. उसे काफी दर्द हो रहा था. एक दिन बाद उसे अलीगढ़ से आगरा लाया गया. जहां अस्पताल में करीब एक महीने तक उसका इलाज चलता रहा. इस दौरान बात पुलिस से शिकायत करने की भी आई. खुद रुकैया और उसकी मां चाहती थी कि गुनहगार को सजा मिले. पुलिस उस पर एक्शन ले, लेकिन तब उसकी दीदी के ससुरालवालों ने साफ कर दिया कि अगर वो पुलिस के पास गई तो फिर अपनी बड़ी बहन को भी ससुराल से हमेशा-हमेशा के लिए लेकर चले जाए. बस, यही रुकैया की जिंदगी का अफसोसनाक मुकाम साबित हुआ.
गुनहगार को सजा ना दिलवा पाने का अफसोस
रुकैया बताती है कि उस समय दीदी के दो बच्चे थे. उसके ससुरालवालों के इस फरमान से वो डर गई. उसकी मां भी डर गई. उसके पिता पहले ही दुनिया से जा चुके थे और तब उन्होंने सोचा कि अब किसी तरह से चेहरे का इलाज कराया जाए और इस हादसे को भूलने की कोशिश की जाए, क्योंकि अगर उन्होंने पुलिस केस किया तो बहन की जिंदगी भी बर्बाद हो जाएगी. उसकी जिंदगी तो काफी हद तक बर्बाद हो ही रही है. हालांकि रुकैया की मानें तो उसे इस बात का अफसोस हमेशा रहा कि उसे इतना तड़पाने वाले और उसके चेहरे पर कभी ना मिटनेवाले दाग लगानेवाले शख्स को वो अब तक सजा नहीं दिला सकी. बल्कि सजा तो दूर पुलिस में एक शिकायत भी नहीं कर पाई. इस तरह वक्त गुजरता गया. झुलसे हुए चेहरे के साथ ही रुकैया बड़ी हुई. उसकी भी शादी हुई. उसे अब एक बेटा भी है और फिलहाल वो पिछले कई सालों से आगरा के एसिड अटैक सर्वाइवर कैफे में नौकरी कर रही है.
खुशहाल जिंदगी जी रहा है आरोपी
सितम देखिए कि रुकैया की दीदी के जिस दरिंदे देवर ने रुकैया पर तेजाब फेंका था, वो आज गाजियाबाद में एक खुशहाल जिंदगी जी रहा है. उसकी शादी हो चुकी है, उसे तीन बच्चे भी हैं. उस शायद इस बात का कोई अफसोस भी नहीं होगा कि उसने किसी की जिंदगी बर्बाद कर दी. उसका दिया हुआ जख्म उस लड़की के लिए ताउम्र नासूर बनकर रहेगा.
मधु की खौफनाक कहानी
कुछ ऐसी ही दर्द भरी कहानी आगरा की रहनेवाली मधु की भी है. वारदात 22 साल पहले की है. एक रोज़ मधु आगरा के राजा की मंडी से ताजगंज के रास्ते पर थी. तभी कुछ मनचलों ने अचानक ही उसके ऊपर तेजाब फेंक दिया और उसकी जिंदगी हमेशा-हमेशा के लिए बदल गई. असल में उन्हीं दिनों मधु की सगाई हुई थी. मधु शादी कर नई जिंदगी की शुरुआत करनेवाली थी. लेकिन इसी बीच एक सिरफिरे ने मधु के नजदीक आने की कोशिश की, जिससे मधु ने मना कर दिया और बदले में उस हैवान ने मधु को कभी ना भुला पाने वाला जख्म दे दिया. इस वारदात ने मधु और उसके घरवालों को इतना डरा कर रख दिया कि उसने कभी पुलिस से शिकायत करने की हिम्मत ही नहीं जुटाई. लेकिन एक वो दिन था और एक आज का दिन, मधु को अब भी इंसाफ का इंतज़ार है.
उम्मीद है कि आगरा पुलिस की इन कोशिशों से रुकैया और मधु जैसी एसिड अटैक सरवाइवरों को भी अब इंसाफ मिल ही जाएगा. लेकिन अब जब बात तेजाबी हमलों का शिकार बननेवाली लड़कियों की ही हो रही है,
दिल्ली की नाबालिग लड़की पर हुआ था एसिड अटैक
तो आइए दिल्ली की उस लड़की का हाल भी जान लेते हैं, जिसे पिछले साल यानी 14 दिसंबर 2022 को कुछ सिरफिरों ने तेजाबी हमले का शिकार बना डाला था. 17 साल की वो लड़की उस रोज़ सुबह अपनी छोटी बहन के साथ स्कूल जा रही थी, लेकिन तभी दूसरी तरफ से बाइक पर आए दो नकाबपोश लड़कों ने उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया और फरार हो गए. लड़की दर्द से तड़पने लगी और उसका चेहरा और उसकी आंखें बुरी तरह जलने लगीं.
पकड़े गए थे तीनों गुनहगार
तब तो किसी को ये माजरा समझ में नहीं आया, लेकिन जब मौका ए वारदात के साथ-साथ उसके पहले के भी कई सीसीटीवी फुटेज एक-एक कर सामने आए तो लड़की और उसकी बहन ने हमलावरों को पहचान लिया. वैसे इस मामले में दिल्ली पुलिस ने गजब की फुर्ती दिखाई और एक-एक कर इस सिलसिले में एक-एक कर तीनों गुनहगारों को धर दबोचा और फिलहाल ये सभी के सभी जेल में हैं. लेकिन तेजाब की इस टीस से उबरना इस बच्ची और उसके घरवालों के इतना आसान भी नहीं था.
बहरहाल, यूपी के मामलों में देर से ही सही तेजाबी हमले का शिकार बनी लड़कियों को इंसाफ मिलने की उम्मीद बनी है. जबकि दिल्ली में दरिंदे पुलिस के शिकंजे में हैं. कानून पर लोगों का भरोसा तभी कायम रहेगा, जब ऐसे हैवानों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.
एसिड अटैक पर क्या कहता है कानून?
अब आपको बताते हैं कि पहले एसिड अटैक को लेकर देश में अलग से कोई कानून नहीं था. यानी ऐसे हमलों पर आईपीसी की धारा 326 के तहत गंभीर रूप से जख्मी करने का केस ही दर्ज होता था. लेकिन बाद में आईपीसी में धारा 326 ए और बी जोड़ी गईं. जिसके तहत तेजाबी हमला करने के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया और गुनहगार को कम से कम दस साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा देने का प्रावधान किया गया. इसके अलावा उससे जुर्माना वसूल कर पीड़िता की मदद करने का नियम भी बनाया गया. इसी तरह आईपीसी की धारा 326 बी के तहत अगर किसी को तेजाब से हमला करने की कोशिश करने का गुनहगार पाया जाता है, तो भी उसके खिलाफ गैरजमानती मुकदमा दर्ज कर उस पर कार्रवाई किेए जाने का प्रावधान है. हमले की कोशिश करने पर भी कम से कम पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
कम नहीं होते एसिड अटैक के मामले
यानी इस लिहाज से देखा जाए, तो कानून काफी सख्त है, लेकिन शायद लोग इतनी आसानी से सुधरनेवाले नहीं हैं. आइए अब आंकडों के जरिए एसिड अटैक के मामलों को समझने की कोशिश करते हैं. देखते हैं कि देश में हर गुजरते साल के साथ एसिड अटैक के मामले बढ़ रहे हैं या कम हो रहे हैं या फिर जस के तस हैं. तो जवाब है कि तमाम सख्ती और कायदे कानून के बावजूद एसिड अटैक के मामले कम नहीं हो रहे हैं. देश में साल 2014 में 203, 2015 में 222, 2016 में 283, 2017 में 252 और 2018 में 228 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए थे. इसी तरह साल 2019 में कुल 249 मामले सामने आए, जबकि 2020 में 182 ऐसे केस रजिस्टर किए गए. यानी एसिड अटैक के मामलों में कोई कमी नहीं आई है.
राज्यों में एसिड अटैक के मामले
अगर राज्यवार आंकडों की बात करें तो एसिड अटैक के मामलों में पश्चिम बंगाल का नंबर पूरे देश में सबसे ऊपर है. यानी ऐसे मामलों में बंगाल सबसे ज्यादा बदनाम है. साल 2021 के आंकडों के मुताबिक देश में 30 वारदातों के साथ पश्चिम बंगाल नंबर एक पर, 18 मामलों के उत्तर पदेश नंबर 2 पर, 8 मामलों के साथ दिल्ली नंबर 3 पर, सात मामलों के साथ असम नंबर 4 पर और 6-6 मामलों के साथ गुजरात और हरियाणा पांचवें नंबर पर हैं. ये आंकडे कहीं ना कहीं इन राज्यों की लचर कानून व्यवस्था की तरफ भी इशारा करते हैं.
10 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने बनाए थे नियम
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक के बढते मामलों को देखते हुए करीब 10 साल पहले तेजाब की खरीद बिक्री को लेकर कुछ नियम बनाए थे. लेकिन सच्चाई यही है कि इनमें से ज्यादातर नियम कागजों पर ही हैं. यानी पुलिस और दूसरी एजेंसियां इन नियमों की रखवाली के मामले में ढीली हैं. इन नियमों के पालन में लोगों का रवैया भी काहिली भरा है.
रखना पड़ता है तेजाब खरीदने-बेचने का रिकॉर्ड
नियम के मुताबिक, 18 साल से कम उम के किसी भी इंसान को तेजाब की बिक्री नहीं की जा सकती. दुकानदार को तेजाब बेचने के लिए ग्राहक का रिकॉर्ड रखना जरूरी है. तेजाब बेचते वक्त खरीददार के आई कार्ड की कॉपी रखना जरूरी है. इसमें उसके घर का पता भी होना चाहिए. ग्राहक से तेजाब खरीदने की वजह पूछना भी जरूरी है. उसे रजिस्टर पर दर्ज करना है. दुकानदार के पास तेजाब का कितना स्टॉक मौजूद है, इस बात की जानकारी भी प्रशासन के पास होनी चाहिए. इसके अलावा जिन अस्पतालों, एडुकेशनल आर्गेनाइजेशन और लैबरोटरीज में तेजाब का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनके लिए इसके इस्तेमाल का लेखा जोखा रखना भी जरूरी है.
(साथ में सुनील मौर्य का इनपुट)