पिछले तीन दिनों की सारी उम्मीदें खत्म हो गईं. वही हुआ जिसका डर था. 162 लोगों को लेकर रविवार सुबह इंडोनेशिया के शहर सुराबाया से सिंगापुर के दो घंटे के सफर पर निकला एयर एशिया का विमान QZ 8501 हादसे का शिकार हो गया. तीन दिन की तलाश के बाद आखिरकार मंगलवार को विमान के मलबे का कुछ हिस्सा बोरनियो द्वीप के करीब जावा सी में मिला. ये जगह इंडोनेशिया के उस सुराबाया शहर से करीब 1200 किलोमीटर की दूरी पर है जहां से विमान ने रविवार सुबह को उड़ान भरा था. आखिर क्यों लापता हो जाते हैं विमान?
विमान के लापता होने के बाद उसकी खोज के लिए बनी टीम इंडोनेशिया नेशऩल सर्च एंड रेस्क्यू टीम के डायरेक्टर एसबी सुप्रियादी ने मंगलवार को इंडोशियन नेशनल टीवी पर एयर एशिया के इस विमान के क्रैश होने की पुष्टि की. उनका कहना था कि बोरनिया द्वीप के करीब समंदर से शुरूआत में कुल दस टुकड़े मिले थे. इनक शुरूआती जांच से ही ये साबित हो गया कि ये टुकड़े एयर एशिया की उड़ान संख्या QZ 8501 के ही हैं.
सबसे पहले मिला एक टुकड़ा और लाइफ जैकेट
विमान की तलाश में निकली खोजी टीम को सबसे पहले लाल और सफेद रंग का एक टुकड़ा दिखाई दिया. इसके बाद कुछ दूरी पर ही एक लाइफ जैकेट मिला. वहीं पास में एक अर्धनग्न मगर फूली हुई एक लाश तैरती मिली. लाश के शऱीर पर लाइफ जैकेट नहीं थी. इससे ये साफ हो जाता है कि विमान में सवार मसाफिरों को कोई मौका नहीं मिला और विमान अचानक क्रैश हो गया. बाद में रेस्कयू टीम को उसी जगह से दो और लाशे भी मिलीं.
विमान के मलबे की जांच के फौरन बाद ही एयर एशिया के सीईओ ने भी विमान में सवार मुसाफिरों के रिश्तादारों के नाम शोक संदेश जारी कर दया. इससे भी साफ हो गया है कि जो मलबा मिला है वो एयर एशिया के उसी विमान का है.
31 जहाज और 20 विमान लगे थे खोज में
एयर एशिया के लापता विमान को ढूंढने के लिए, इंडोनेशिया और संगापुर के अलावा, चीन, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के 31 पानी के जहाज़ औऱ 20 विमान लगातार तीन दिनों से लगे हुए थे. खोज का काम खास तौर पर जावा सी में उस जगह हो रहा था जहां से विमान का संपर्क आखिरी बार टूटा था. और आखिरकार वो जगह बोरनिया द्वीप का करीबी इलाका निकला.
इंडोनेशिया ने मुसाफिरों की लाशें ढूंढने और उन्हें वापस लाने के लिए सेना के कई शिप और हेलीकॉप्टर मौके पर भेजे हैं. सरी लाशें ढूंढने में अभी काफी वक्त लग सकता है. लाशों को ढूंढ कर इंडोनेशिया ले जाया जाना है. क्योंकि विमान में सवार ज्यादातर मुसाफिर इंडोनशिया के ही थे.
पर विमान का मलबा मिलने के बाद अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर विमान क्रैश कैसे हुआ? तो शुरूआती जांच के बाद इसके बी जवाब मिल गए हैं.
खराब मौसम थी वजह या कुछ और?
सुराबाया शहर से उड़ान भरने के ठीक 42 मिनट बाद पायलट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट गया था. और उससे ठीक मिनट भर पहले पायलट ने खराब मौसम की जानकारी दी थी. जिस जावा सी से विमान का मलबा और लाशें मिल रही हैं ये वही जगह है जहां विमान को आखिरी बार राडार पर देखा गया था. तो क्या विमान खराब मौसम की वजह से क्रैश हो गया? या वजह कुछ और है?
नहीं मिली विमान को और ऊंचा ले जाने की इजाजत
उड़ान भरने के पहले 40 मिनट तक सब कुछ ठीक था. पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी एटीसी के बीच बराबर संपर्क बना हुआ था. मगर 40 मिनट बाद सुबह 6:10 बजे एयर एशिया विमान के पायलट ने अचानक एटीसी को खराब मौसम की सूचना दी. तब विमान 38 हजार फीट की ऊंचाई पर था. विमान के वेदर राडार सिस्टम से पायलट को पता चला कि इस ऊंचाई पर बादलों का खतरनाक जमावड़ा है और एयर प़ॉकेट भी खतरा है. लिहाज़ा पायलट ने एटीसी से विमान क ऊंचाई 40 हजार के ऊपर ले जाने क इजाजत मांगी.
मगर एटीसी ने एयर एशिया के पायलट को विमान को 40 हजार फीट से ऊपर ले जाने की इजाजत देने से मना कर दिया. एटीसी ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उस वक्त उस ऊंचाई पर एयर ट्रैफिक ज्यादा थी. और ऐसे में विमान के आपस में टकराने का अंदेशा था. और इसके ठीक एक मिनट बाद ही एयर एशिया के विमान से एटीसी का संपर्क टूट गया और विमान राडार से लापता हो गया.
जिस वक्त एटीसी से विमान का संपर्क टूटा तब विमान इंडोनेशिया के सुराबाय शहर से करीब 1200 किलोमीटर की दूरी पर था. खराब मौसम को लेकर पायलट विमान के अंदर बने वेदर राडार सिस्टम पर ही पूरी तरह से निर्भर होता है. वेदर राडार सिस्टम लगातार स्क्रीन पर तूफान और बादलों के बारे में अपडेट देता रहता है. इससे कॉकपिट में मौसम के बारे में पायलट और क्रू मेंमबर्स को लगातार जानकारी मिलती रहती है.
ब्लैक बॉक्स से खुलेगा रहस्य
तो क्या एयर एशिया का ये विमान खराब मौसम की वजह से क्रैश कर गया? क्या विमान को ऊंचाई पर ले जाने की इजाजत मिल जाती तो वो कैश होने से बच सकता था? या फिर हादसे की वजह कोई और तकनीकी खराबी है? या फिर इंसानी गड़बड़ी? सवाल सारे हैं पर इंडोनेशियाई अधिकारी फिलहाल इसका जवाब देने से बच रही है. उसका कहना है कि जब तक विमान का मलबा और ब्लैक बाक्स नहीं मिल जाता और उसकी जांच नहीं हो जाती, कुछ भी कहना मुश्किल है.
हालांकि एक्सपर्ट की मानें तो फिलहाल यही लग रहा है कि विमान खराब मौसम की वजह से ही क्रैश किया है. इसके लिए वो दो दलील देते हैं पहला ये कि पायलट ने जो आखिरी बाचतीच की थी उसमें खराब मौसम का जिक्र किय़ा और विमान की ऊंचाई बढ़ाने की इजाजत मांगी थी. और दूसरी ये कि जिस जगह विमान का मलबा मिला है वो करीब-करीब वही जगह है जहां से उस वक्त गुजर रहा था.
वैसे मौसम और तकनीकी खराबी के अलावा इंसानी गड़बड़ी या आतंकवादी कार्रवाई के मद्देनजर भी मामले की जांच की जा रही है. लेकिन हादसे का सच क्या है ये तभी जमाने के सामने आएगा जब विमान का ब्लैक बाक्स मिल जए. क्योंकि ब्लैक बाक्स में विमान अंदर की सारी बातचीत रिकार्ड होती है. और आपको बता दूं कि ब्लैक बाक्स ना आग में जल कर खराब हो सकता है, ना पानी में बर्बाद और ना ही ये टूटता है.