Israel Hamas War: इजरायल और हमास के बीच चल रहे जंग के आज 18 दिन होने वाले हैं. इजरायली सेना हमास के इलाकों में लगातार बमबारी कर रही है. आतंकियों के ठिकानों को टारगेट कर रही है. गाजा के चारों तरफ लाखों की संख्या में इजरायली सैनिक तैनात है. सैकड़ों टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां, आधुनिक घातक हथियार गाजा की तरफ आग के गोले उगल रहे हैं. इसी बीच इजरायल ने आयरन स्टिंग मोर्टार से आतंकियों पर हमला शुरू कर दिया है. इसके जबाव में हमास की मिलिट्री विंग 'अल कासिम' ब्रिगेड के लड़ाके भी बड़ी संख्या में मोर्टार से गोले दाग रहे हैं. इसका एक वीडियो जारी किया गया है.
इस वीडियो में दिखाया गया है कि 'अल कासिम' ब्रिगेड के लड़ाके मोर्टार से अपने दुश्मनों हमला कर रहे हैं. उनके हथियार, टैंक और तमाम सैन्य उपकरणों को नष्ट करके वापस अपने बेस पर लौट जा रहे हैं. 'अल कासिम' की तरफ जारी एक बयान में कहा गया है कि गाजा के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित खान यूनिस में उसके लड़ाकों ने इजराली सेना पर हमला बोल दिया. इस हमले में उनका एक जवान भी मारा गया है. इजरायली सेना ने भी इसकी पुष्टी की है. दरअसल, 'अल कासिम' ब्रिगेड गोरिल्ला युद्ध में माहिर है. इसके कमांडर मोहम्मद डाएफ के नेतृत्व में लड़ाके अपने दुश्मनों पर गोरिल्ला अटैक करके वापस आ जाते हैं.
इजरायली आयरन स्टिंग मोर्टार के जबाव में हमास का हमला
इजरायली सेना हवाई हमलों के बाद अब जमीन पर कार्रवाई के लिए बेचैन है. उसे बस अपनी सरकार के आदेश का इंतजार है. इधर गाजा के सरहदी इलाकों में उसकी सेना जमीनी हमले कर रही है. जहां भी आतंकियों के छुपे होने की संभावना है, वहां टैंक से गोले दागे जा रहे हैं. कई घातक हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें आयरन स्टिंग मोर्टार प्रमुख है. युद्ध के 17वें दिन इजरायल ने आयरन स्टिंग मोर्टार से हमला शुरु किया है. ये गाइडेड मोर्टार हैं जो तय आतंकी ठिकाने पर हमला करने में कोई चूक नहीं करते हैं. इसे युद्ध में अब गेमचेंजर कहा जा रहा है, क्योंकि इसमें रॉकेट वहीं गिरता है, जहां निशाना बनाया जाता है.
हमास ने अल-जवारी आत्मघाती ड्रोन का वीडियो जारी किया
'अल कासिम' ब्रिगेड की मीडिया विंग ने अल-जवारी आत्मघाती ड्रोन का एक वीडियो जारी किया है. इसमें अल-जवारी आत्मघाती ड्रोन के लॉन्च को दिखाया गया है. इसका उपयोग इजरायली बलों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. हमास के क़सम ब्रिगेड ने अपने आधिकारिक टेलीग्राम पर दावा किया है कि उन्होंने अल-जवारी के आत्मघाती ड्रोन तैनात किए हैं. यह पहली बार है कि उन्होंने इजरायली क्षेत्रों में गहराई तक हमला किया है. अल-जवारी ड्रोन को कामिकेज ड्रोन या विस्फोट करने वाला ड्रोन भी कहा जाता है. यह एक हवाई हथियार है. इसमें अंतर्निर्मित युद्ध सामग्री होती है. यह लक्ष्य क्षेत्र के चारों ओर घूम सकता है.
हमास ने आतंकियों को दिया लालच, 10000 डॉलर इनाम
हमास इजरायल की भीषण बमबारी और हमलों के बावजूद झुकने का नाम नहीं ले रहा है. उसने अपने आतंकियों को लालच दिया है. यदि उसके आतंकी एक भी इजरायली को बंधक बनाएंगे तो उनको 10 हजार डॉलर का इनाम मिलेगा. इसके अलावा एक घर भी दिया जाएगा. इजरायली सेना की गिरफ्त में आए एक हमास आतंकी ने ये खुलासा किया है. इस आतंकी से पूछताछ का वीडियो इजरायली सेना ने जारी किया है. हमास आतंकियों से कहा गया था कि पुरुषों को गोली मार देना और महिलाओं और बच्चों को अगवा करके गाजा में ले आना. इस आतंकी का नाम जिहाद फावजी मुहम्मद अल हमायदा है. पूछताछ का वीडियो सोमवार का है.
इजरायल ने हमास को आईएस से भी खतरनाक बताया
इजरायल हमास के आतंकियों को इस्लामिक स्टेट से भी खतरनाक बता रहा है. आईएसआईएस के खिलाफ कार्रवाई में भी सीरिया से लेकर इराक तक हजारों बेकसूर लोग मारे गए थे. वैसा ही नसीब इस बार गाजा के लोगों का है. इजरायल अपने हमलों से उन्हें ये एहसास दिला रहा है कि उन्होंने हमास को चुनकर बहुत बड़ी गलती की है. दूसरी तरफ इजरायल इस वक्त चार अलग-अलग मोर्चे पर अपने दुश्मनों से भिड़ रहा है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास का साथ दे रहे हिजबुल्लाह को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि हिजबुल्लाह युद्ध में कूदा तो ये उसकी और लेबनान की आखिरी गलती होगी. लेबनान सीमा पर बड़े पैमाने पर उनकी सेना तैनात है.
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हमास की 'अल कासिम' ब्रिगेड ने किया था कत्लेआम
7 अक्टूबर को इजरायल में कत्लेआम करने का जिम्मेदार हमास की मिलिट्री विंग 'अल कासिम' को माना जाता है. इसे इज अल-दीन अल-कसम ब्रिगेड के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी स्थापना साल 1991 में की गई थी. इसे गाजा में सक्रिय सबसे बड़ा और सबसे सुसज्जित समूह माना जाता है. इसने इजराइल के खिलाफ कई बड़े युद्ध लड़े हैं. हमास की मिलिट्री ब्रिगेड 'अल कासिम' की कमान मोहम्मद डाएफ के कंधों पर है. उसको बहुत ही खतरनाक कमांडर माना जाता है. वो मिलिट्री विंग का संस्थापक सदस्य है, लेकिन साल 2002 में सालेह शेहदा की इजरायल द्वारा हत्या के बाद इसे इसकी कमान सौंपी गई थी. डेफ का जन्म साल 1965 में गाजा के एक शरणार्थी शिविर में हुआ था.