किडनी रैकेट मामले में मेट्रोपोलिटन न्यायाधीश ने गुरुवार को एल.एच. हीरानंदानी अस्पताल के पांच चिकित्सकों को कई कड़ी शर्तों के तहत जमानत दे दी. अस्पताल के सीईओ सुजीत चटर्जी, चिकित्सा निदेशक अनुराग नाइक, डॉक्टर मुकेश सेतिया, प्रकाश शेट्टी और मुकेश शाह को 9 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था.
अदालत ने इन सभी को 30 हजार रुपये की जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए 26 सितंबर तक हर सोमवार पुलिस स्टेशन में शाम को रिपोर्ट करने का आदेश दिया है. अदालत की अनुमति बिना देश छोड़ने पर भी रोक लगा दी. पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद 13 अगस्त को पांचों चिकित्सकों को अदालत के सामने पेश किया गया था.
पिछले शनिवार को न्यायाधीश के निर्देशानुसार आरोपी चिकित्सकों के वकील आबद पोंडा, सुबीर कुमार, प्रणव बधेका, ब्रायन डी लीमा ने 16 अगस्त को नियमित सुनवाई के दौरान जमानत याचिका दायर की थी. बचाव पक्ष ने कहा कि पुलिस के अदालत से कहे जाने के बाद कि आरोपियों की आगे पूछताछ के लिए हिरासत की जरूरत नहीं है.
उनके द्वारा कोई वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा रहा है. वे एक प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं. वे फरार नहीं होंगे या सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे. इन चिकित्सकों का गुर्दा देने की मंजूरी में कोई भूमिका नहीं थी. दूसरे मुख्य आरोपियों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है. इसमें गुर्दादाता, प्राप्तकर्ता और समन्वयक शामिल हैं.
सरकारी वकील ने रैकेट की जांच जारी रहने और दो अन्य अस्पतालों के चिकित्सकों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के साथ, मामले में सबूतों से छेड़छाड़ के खतरे का हवाला देकर जमानत दिए जाने का विरोध किया. पिछले शुक्रवार, न्यायालय ने दो चिकित्सकों सुवीन शेट्टी और वीना सेलकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
पुलिस अत्यधिक संदिग्ध गुर्दा प्रत्यारोपण मामले की जांच कर रही है और पहले ही अस्पताल से ज्यादा गिरफ्तारियों के संकेत दे चुकी है. हीरानंदानी अस्पताल में 12 अगस्त को एक बाहरी फर्म अर्नस्ट एंड यंग को बीते एक साल में हुए सभी गुर्दा प्रत्यारोपण मामले की जांच के लिए नियुक्त किया गया है. यह मामला बीते 14 जुलाई को सामने आया था.