Death Penalty by Nitrogen Gas: अमेरिका के रहनेवाले कत्ल के मुजरिम केनेथ इयूजीन स्मिथ को अलबामा में गुरुवार की शाम नाइट्रोजन गैस के जरिए सजा-ए-मौत दे दी गई. भारतीय समय के हिसाब से उसकी मौत शुक्रवार की सुबह हुई. इसके बाद नाइट्रोजन गैस मास्क से किसी को से मारने वाला दुनिया का पहला और इकलौता देश अमेरिका बन गया. खास बात ये थी कि 58 साल के केनेथ इयूजीन स्मिथ को पहले भी सज़ा-ए-मौत देने की कोशिश की गई थी, लेकिन तब वो बच गया था.
35 साल बाद मिली सजा
दरअसल, 35 साल पहले एक अमेरिकी महिला का कत्ल हुआ था. जिसे स्मिथ ने सुपारी लेकर अंजाम दिया था. इस वारदात को अब 35 बरस का वक़्त गुज़र चुका है. अब जाकर स्मिथ को उसके किए की सजा मिली है, वो भी बिल्कुल अलग अंदाज में. इससे पहले साल साल 2022 में उसे ज़हर वाले इंजेक्शन से मारने की कोशिश की गई थी, लेकिन तब डेथ सेल में डॉक्टर उसकी नस का ही पता नहीं लगा सके थे और कई बार इंजेक्शन लगाने की कोशिश के बावजूद उसकी जान बच गई थी.
पूरी दुनिया में स्मिथ की सजा पर चर्चा
इसके बाद अब अलाबामा की कोर्ट ने ये तय किया था कि स्मिथ को नाइट्रोजन गैस की मदद से मारा जाएगा और हुआ भी ऐसा ही. 25 जनवरी की देर शाम उसे नाइट्रोजन गैस के जरिए मौत की सजा दे दी गई. कहने की जरूरत नहीं है स्मिथ को दी गई इस मौत को लेकर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया भर में हलचल है, क्योंकि बेशुमार अमेरिकी नागरिकों के साथ-साथ मानवाधिकार की वकालत करने वाले लाखों लोग स्मिथ को दी जा रही इस मौत के खिलाफ़ थे और वो इसे बर्बरता बता रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी अपील
केनेथ स्मिथ की ओर से अलाबामा के सुप्रीम कोर्ट में खुद को मिली इस सज़ा के खिलाफ अर्जी दी गई थी और इसे बर्बरता और मानवाधिकारों के खिलाफ करार देते हुए माफी की अपील की गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अर्ज़ी को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि उसके साथ जो कुछ भी हो रहा है, वो कानून के मुताबिक है.
जिंदगी की दर्दनाक कहानी
सुपारी लेकर एक महिला का कत्ल करने के दोषी स्मिथ की ज़िंदगी की कहानी अपने-आप में काफी दर्दनाक है. स्मिथ के क़त्ल करने से लेकर उसके इस हाल में पहुंचने की पूरी कहानी हम आपको बताएंगे, लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए कि आखिर स्मिथ को नाइट्रोजन गैस से मौत कैसे दी जाएगी और उसका तरीक़ा क्या होगा? और सबसे अहम ये कि आखिर इस तरीके को लेकर पूरी दुनिया में इतना शोर क्यों है?
ऐसे मिली सजा-ए-मौत
नाइट्रोजन गैस से जान लेने के लिए स्मिथ को सबसे पहले डेथ चेंबर में ले जाया गया. जहां उसे एक स्ट्रैचर पर लिटाया गया और फिर उसके चेहरे पर एक एयरटाइट मास्क लगाया गया. ये मास्क काफी हद तक उसी तरह का था, जैसा किसी इंडस्ट्री में काम करनेवाले वर्कर्स को ऑक्सीजन सप्लाई के लिए लगाया जाता है. और जब सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गईं. तो फिर मास्क के सहारे उसे नाइट्रोजन गैस दी गई. ये गैस सीधे उसके शरीर के अंदर चली गई. मास्क लगे होने की वजह से इस दौरान उसे ऑक्सीजन बिल्कुल नहीं मिली और उसकी मौत हो गई.
चंद मिनटों में मौत
ऐसा उसके साथ कम से कम से 15 मिनट तक किया गया. कम से कम 15 मिनट तक उसे नाइट्रोजन गैस दी गई. डॉक्टरों की मानें तो नाइट्रोजन गैस अंदर जाने के कुछ ही सेकंड के अंदर वो बेहोश हो गया और अगले चंद मिनटों में उसकी मौत हो गई.
क्यों ख़तरनाक है नाइट्रोजन गैस
अब सवाल ये है कि आखिर ये नाइट्रोजन गैस इतना ख़तरनाक क्यों है? तो जवाब है कि वैसे तो हमारे वातावरण में ऑक्सीजन के साथ नाइट्रोजन गैस भी मिली होती है. लेकिन जब नाइट्रोजन, ऑक्सीजन गैस के साथ ली जाए, तो वो इतनी खतरनाक नहीं होती, लेकिन अगर किसी के शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाए और उसे सिर्फ और सिर्फ नाइट्रोजन ही मिले, तो फिर उसका बचना मुश्किल हो जाता है.
इस तरीके को सही बता रहे हैं अमेरिका के ज्यादातर राज्य
स्मिथ को नाइट्रोजन गैस से मौत दिए जाने का बेशक विरोध किया गया हो, लेकिन अमेरिका के ज्यादातर राज्य इसके पक्ष में हैं, क्योंकि बहुत से विशेषज्ञों को ये लगता है कि नाइट्रोजन से किसी की जान लेना सबसे तेज़, आसान और कम खौफनाक तरीका हो सकता है. असल में जिस जहरीले इंजेक्शन के अब तक अमेरिका में लोगों की जान ली जाती रही है, उसकी खरीददारी में कई मुश्किलें आती हैं. ऐसे में अमेरिका मौत के वैकल्पिक साधनों की तलाश में है.
मौत देने का आसान तरीका
नाइट्रोजन से मौत देने की हिमायत करने वाले लोगों का कहना है कि जिस तरह से प्लेन में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होते ही लोग बेहोश हो जाते हैं, ठीक वैसे ही किसी इंसान को ऑक्सीजन की जगह अगर नाइट्रोजन दी जाने लगे तो फिर वो फौरन बेहोश हो जाते हैं. और कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो जाती है और उसे पता भी नहीं चलता है.
स्मिथ ने किया था महिला का कत्ल
अब बात नाइट्रोजन से मौत की सजा पाने वाले दुनिया के पहले शख्स यानी इयूजीन केनेथ स्मिथ की. स्मिथ और उसके एक साथी को साल 1989 में एलिज़ाबेथ सेनेट नाम की एक महिला के क़त्ल का गुनहगार पाया गया था. सेनेट एक धर्म प्रचारक की पत्नी थी, जिनकी हत्या के लिए स्मिथ और उसके साथी को किसी ने 1 हजार डॉलर की सुपारी दी थी. जिसके बाद दोनों ने पहले महिला को पीट-पीट कर और फिर चाकुओं से गोद कर मौत के घाट उतार दिया था. दोषी पाए जाने के साथ ही उसे सजाए मौत दी गई और इसके बाद से लेकर अब तक स्मिथ अमेरिका के अलाबामा में मौजूद हॉलमैन करेक्शन होम यानी हॉलमैन सुधार गृह या यूं कहें कि हॉलमैन जेल में तीन दशकों से ज्यादा का वक़्त गुज़ारा था.
जेल में काफी परेशान था स्मिथ
तब से लेकर लगातार अपनी जिंदगी के दिन गिन रहे स्मिथ की हालत लगातार बिगड़ रही थी. उसे किसी मीडिया से बात करने की इजाजत तो नहीं थी, लेकिन हाल ही में उसने कुछ सवालों का लिखित में जवाब दिया था. जिसमें स्मिथ ने कहा था कि वो अब अंदर से टूट चुका है. उसका शरीर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, उसका वजन लगातार घट रहा है. उसका जी मचलता है और उसे लगातार पैनिक अटैक्स आते हैं. उसने अपनी इस मानसिक हालत को काफी तकलीफदेह बताया था.
पहले ऐसे बची थी जिंदगी
स्मिथ की कहानी इतनी भर नहीं है. स्मिथ इस दुनिया का इकलौता शख्स था, जिसे दूसरी बार मौत की सजा मिली. और वो भी एक दूसरे तरीके से. इससे पहले 2022 में उसे जहर के इंजेक्शन से मारने की कोशिश हुई थी. उसे हॉलमैन करेक्शन होम के डेथ चेंबर में स्ट्रेचर पर लिटा कर जहर का इंजेक्शन लगाने की कई बार कोशिश की गई. लेकिन इंजेक्शन लगाने वाले उसके शरीर में नस ही नहीं ढूंढ पाए और इस तरह रात के 12 बज गए और डेथ वारंट का वक़्त पूरा हो गया. तब स्मिथ करीब 4 घंटे तक स्ट्रेचर पर पल-पल मौत को अपनी ओर आता हुआ देख रहा था. लेकिन उसकी जिंदगी बच गई थी.
पहले भी बच गए थे तीन लोग
नाइट्रोजन गैस से मौत देने के तरीके का यूएन यानी संयुक्त राष्ट्र ने भी विरोध किया है. अमेरिका के एमोरी यूनिवर्सिटी के एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर जुएल ज़िवोट ने इस सिलसिले में यूएन को एक रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट में जुएल ने लोगों को मौत देने के मामले में अलाबामा शासन के ट्रैक रिकॉर्ड को काफी खतरनाक बताया है. अलाबामा में स्मिथ अकेला ऐसा शख्स नहीं है, जिसे सजा-ए-मौत देने की कोशिश एक बार नाकाम हो चुकी है. इससे पहले साल 2018 में भी तीन और लोगों को अलाबामा शासन ने जहरीले इंजेक्शन से मारने की कोशिश की थी, लेकिन वो बच गए थे. मगर हैरानी की बात ये है कि इन मामलों में हर बार शासन ने इस नाकामी का ठीकरा मरने वालों के सिर पर फोड़ दिया. यानी कहा कि उनकी गलती से शासन उनकी जान नहीं ले सका.
ऐसी सजा देने वाला अमेरिका बना पहला देश
लेकिन अब एक बार फिर स्मिथ को मौत दी की सजा दी गई और उसे मौत देने का ये तरीका बिल्कुल नया था. यही वजह है कि नाइट्रोजन गैस से किसी की जान लेने का विरोध करने वाले लोग कह रहे हैं कि स्मिथ के साथ ऐसा करना एक तरह का ह्यूमन एक्सपेरिमेंट है, जिसका विरोध होना चाहिेए. किसी को नाइट्रोजन गैस से मौत दिए जाने का ये दुनिया का पहला मामला है. हालांकि कई देशों में नाइट्रोजन गैस से मौत देने का नियम तो है, लेकिन अब तक किसी भी देश ने इसे अमल में नहीं लाया है. ऐसे में स्मिथ की जान लेने के साथ ही अमेरिका ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.
अमेरिका में आम हैं सजा के तीन तरीके
अमेरिका में इससे पहले लोगों को तीन और तरीकों से सजा-ए-मौत दी जाती रही है. जिनमें फांसी, इलेक्ट्रोक्यूशन यानी बिजली का झटका और जहरीला इंजेक्शन शामिल हैं. अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में मौत के इन तरीकों को लेकर अलग-अलग नियम हैं. इनमें जहरीले इंजेक्शन से जान लेने का तरीका काफी चलन में है, लेकिन इसके साथ दिक्कत ये है कि अमेरिकी शासन ये ज़हर आसानी से हासिल नहीं कर सकता.
बार-बिटू-रेत ज़हर का चलन
असल में जिस जहर से मुजरिमों को मारे जाने का नियम है, वो जहर अमेरिका में बनता ही नहीं है. इसके लिए अमेरिका पूरी तरह से कुछेक यूरोपीय देशों पर निर्भर है. लेकिन बार-बिटू-रेत नाम के इस ज़हर के डोज़ को सजा-ए-मौत के लिए इस्तेमाल करने पर कई देशों ने पाबंदी लगा दी है. ऐसे में अमेरिका को अब ये दवा मिलने में मुश्किल होती है. खास कर जब भी किसी विक्रेता को ये पता चलता है कि बार-बिटू-रेत का इस्तेमाल किसी की जान लेने के लिए किया जाने वाला है, वो इसकी सप्लाई रोक देते हैं. ऐसे में अमेरिका को अब वैकल्पिक तरीकों की तलाश है.
अलग-अलग देशों में मौत की अलग सजा
अब सजा-ए-मौत देने वाले कुछ देशों में अपनाए जाने वाले तरीकों के बारे में भी जान लेते हैं. मसलन... फायरिंग, फांसी या पत्थर मार कर सूडान और अफगानिस्तान में जान लेने का नियम है. बांग्लादेश, कैमरून, सीरिया, युगांडा, कुवैत, ईरान और मिस्र में फांसी के साथ-साथ लोगों की गोली मार कर भी जान ली जाती है. इसी तरह भारत, मलेशिया, बारबाडोस, बोत्सवाना, तंजानिया, जाम्बिया, ज़िबाब्वे और दक्षिण कोरिया वो देश हैं, जहां सिर्फ फांसी के ज़रिए लोगों को सजा-ए-मौत मिलती है. यमन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, थाईलैंड, बहरीन, चिली, इंडोनेशिया, घाना और आर्मेनिया में सिर्फ गोली मार कर जान लेने का नियम है. जबकि चीन में इंजेक्शन से और फायरिंग से सजा ए मौत दी जाती है. फिलीपींस में सिर्फ जहरीले इंजेक्शन से ही लोगों की जान ली जाती है. जबकि नाइट्रोजन वाली मौत के बाद अमेरिका दुनिया का इकलौता ऐसा देश बन गया, जहां चार तरीकों से मौत दी जाती है.