सीरिया पर अमेरिकी हमले के बाद रूस और अमेरिका के बीच ठन चुकी है. जहां ट्रंप रूस को धमका रहे हैं. वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप को चुनौती दी है कि हिम्मत है तो दोबारा सीरिया पर हमला करके दिखाओ. दोनों नेताओं की ये जुबानी जंग कहां जाकर खत्म होगी ये तो पता नहीं. लेकिन रूस की धमकी ने अमेरिका को जरूर डरा दिया है और अमेरिका के इस डर की सबसे बड़ी वजह हैं खुद पुतिन. जानिए पुतिन इतने ताकतवर क्यों है. क्यों ट्रंप को पुतिन से डर लगता है.
दुनिया के चार बड़े राष्ट्राध्यक्ष
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग. उत्तर कोरिया के नेता मार्शल किम जोंग उन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. ये वो चार चेहरे या चार ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिनकी वजह से दुनिया में जंग के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि उत्तर कोरिया और अमेरिका के रिश्ते बातचीत की पटरी पर उतरते दिखाई दे रहे हैं.
गुस्से में व्लादिमीर पुतिन
लिहाज़ा चीन ने फिलहाल खामोशी अख्तियार कर रखी है. मगर सीरिया पर हमले के बाद ये दो चेहरे अब अचानक गुस्से में नज़र आ रहे हैं और इनमें से भी ज्यादा गुस्से में हैं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. उनके गुस्से के अंजाम से अमेरिका भी अच्छी तरह वाकिफ है.
65 की उम्र में रिंग का सुल्तान
नाम है व्लादिमीर पुतिन. रूस के राष्ट्रपति. एक ऐसा राष्ट्रपति जिसके नाम के आगे महामहिम ना लगा हो तो ये तय कर पाना मुश्किल हो जाए कि उसे कहा क्या जाए. 65 की उम्र में रिंग के सुल्तान हैं. या घुड़सवारी करने वाला कड़ियल जवान. बरफीले पानी से लड़ने वाला जियाला. या फिर मुसीबतों से लड़ने वाला लड़ाका.
एक इंसान, सौ खूबियां
दुनिया भर के नेता उससे रश्क कर सकते हैं. क्योंकि वो जो कर सकता है. उसे दुनिया का कोई और राष्ट्राध्यक्ष सोच भी नहीं सकता. ज़रा इनकी खूबियों पर नज़र दौड़ाइए. राजनेता, जासूस, मार्शल आर्ट मास्टर, पायलट, टैंक चलाने वाला सैनिक, अभेद निशाना लगाने वाला निशानेबाज़, स्पोर्ट्स कार चलाने वाला रेसर, बाइकर, आईस हॉकी का खिलाड़ी, पानी में शिकार करने वाला शिकारी, जंगली जानवरों से खेलने वाला जियाला, टाइगर को ज़मीन चटाने वाला जांबाज़, घुड़सवार, तैराक, पहाड़ों पर चढ़ने वाला क्लाइंबर, स्कूबा डाइविंग करने वाला डाइवर, फ्राइंग पैन को हाथों से मोड़ देने वाला बहादुर.
सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ था जन्म
पर आखिर ये पुतिन है क्या बला? ऐसी कौन सी चीज है जिससे ट्रंप तक पुतिन से घबराते हैं. वो कौन सी ताकत है, जो पुतिन को इतना ताकतवर बनाती है? 7 अक्टूबर 1952 को लेनिनग्राद जिसे अब सेंट पीटर्सबर्ग कहते हैं, के सोवियत परिवार में एक बच्चे ने जन्म लिया. नाम रखा गया व्लादिमीर पुतिन. पिता सोवियत नेवी का हिस्सा थे, तो मां एक फैक्ट्री वर्कर. मगर दोनों की कमाई के बाद भी घर जैसे तैसे ही चलता था. लिहाज़ा पुतिन बचपन में ही चूहों को पकड़ने लगे जिसके बदले उन्हें कुछ पैसे मिल जाते थे.
कम उम्र में जासूस बनने का फैसला
मगर कहां पता था कि बड़ा होकर यही बच्चा दुनियाभर में रूस के दुश्मनों को पकड़ेगा. जिस उम्र में बच्चे डॉक्टर इंजीनियर या खिलाड़ी बनने के ख्वाब देखते हैं, उस उम्र में ही इस बच्चे ने जासूस बनने का फैसला कर लिया. जितनी फुर्ती और मुस्तैदी चूहे पकड़ने में थी उतनी ही पढ़ाई करने में भी. क्लास में फर्स्ट आने से कम पर तो पुतिन ने कभी समझौता किया ही नहीं.
पुतिन का मूल मंत्र
मगर इसी दौरान पुतिन ने एक और हुनर सीखा. जूडो कराटे का. क्योंकि सेंट पीटर्सबर्ग में पुतिन जहां रहते थे वहां माहौल ऐसा था कि स्थानीय लड़कों के बीच मार-पीट होना आम बात थी और यहीं पुतिन ने अपनी ज़िंदगी के लिए एक मूलमंत्र तैयार किया. अगर लड़ाई होनी तय है तो पहला पंच मारो.
पुतिन ने लगाए थे KGB ऑफिस के चक्कर
चूहे पकड़ने वाला एक पढ़ा लिखा सड़कछाप इंसान पहले जासूस और फिर देश का राष्ट्रपति कैसे बना ये कहानी भी दिलचस्प है. स्कूल खत्म होते ही पुतिन अपने बचपन के ख्वाब यानी जासूस बनने के सपने को पूरा करने में जुट गए और रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के दफ्तर के चक्कर काटने लगे. पुतिन की चाहत थी कि वो केजीबी के अफसर बनें. मगर उन्हें ये नहीं पता था कि ये होगा कैसे.
जासूस बनने से पहले कानून की पढ़ाई
एक रोज़ उन्हें केजीबी की एक महिला अधिकारी मिली. जिसने उन्हें केजीबी को ज्वाइन करने से पहले कानून की डिग्री लेने की सलाह दी. लिहाज़ा कानून की डिग्री के लिए पुतिन ने लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया और साल 1975 में डिग्री. डिग्री मिलते ही पुतिन ने केजीबी में जासूस बनने के लिए अप्लाई कर दिया. अब फैसला करने की बारी केजीबी की थी.
पुतिन को जर्मनी में मिला था पहला मिशन
केजीबी दुनिया की सबसे खतरनाक खुफियां एजेंसियों में से एक है. केजीबी के जासूसों के कारनामों की कहानियां दुनिया भर में सुनी और सुनाई जाती हैं और उसी केजीबी का जासूस बनने के लिए पुतिन ने पूरी तैयारी कर रखी थी. जुनून ऐसा था कि पहली ही कोशिश में पुतिन केजीबी के लिए चुन लिया गया. इसके बाद उन्हें पहले मिशन पर जर्मनी भेजा गया. फिर शुरू हुआ पुतिन का केजीबी के जासूस से रूस के राष्ट्रपति बनने का सफऱ.