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एक बार फिर सुर्खियों में अमेठी का राजघराना

अमेठी का राजघराना एक बार फिर सुर्खियों में हैं. सुर्खियों में इसलिए, क्योंकि उस घराने की विरासत पर हक को लेकर जो संघर्ष शुरू हुआ, अब वो महल की चाहरदीवारी को लांघकर सड़क पर आ गया है.

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अमेठी का राजघराना एक बार फिर सुर्खियों में हैं. सुर्खियों में इसलिए, क्योंकि उस घराने की विरासत पर हक को लेकर जो संघर्ष शुरू हुआ, अब वो महल की चाहरदीवारी को लांघकर सड़क पर आ गया है.

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कैसा अजीब इत्तेफाक है कि जिस महल की तरफ कोई आंख उठाकर देखना भी महल की शान के खिलाफ समझता था, आज उसी महल की तरफ हजारों आंखें इसलिए लगी हुई है कि आखिर राजा और राजकुमार के बीच छिड़ी जंग न जाने कौन सी शक्ल अख्तियार करे, क्योंकि अभी दो दिन पहले वहां जो कुछ भी हुआ उसने राजशाही खानदान के झगड़े में एक सिपाही की जान ले ली.

राजा, रानी और काल्पनिक कहानी के न जाने कितने किस्से और कहानियां आपने सुनी और सुनाई होंगी, लेकिन ये किस्सा-एकदम असली है.

ये कहानी दिल्ली से करीब 670 किमी दूर अमेठी के उस राजभवन से सामने आई है, जिसका नाम तो भूपति महल है, लेकिन इस भूपति महल का असली भूपति यानी मालिक कौन है. इस कहानी का सारा ताना बाना बस इसी के इर्द गिर्द ही घूम रहा है. ये कहानी उस राजा की है, जिसकी रानी ने राजा पर संगीन इल्जाम लगाए हैं. राजकुमार ने राजा के रिश्तों पर सवाल उठाए हैं, प्रजा अपने राजा के महल के सामने आकर खड़ी हो गई. अफरा-तफरी से महल में कोहराम मच गया और फिर जिस महल के आस पास आकर ऊंची आवाज बोलना भी बेअदबी मानी जा सकती थी. वो महल अचानक चीख पुकार से दहल गया.

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कभी ये महल रंगीनियों से जगमगाता रहता था. इस वक्त यहां मायूसी का अंधेरा छाया हुआ है. कभी शानो-शौकत इस महल की दासी हुआ करती थीं. ये फटेहाल हालात आज की बेबसी पर आंसू बहा रहे हैं. कभी इन महलों में रहने वाले लोग चांदी और सोने के बर्तनों में 56 भोज करते थे. ये पत्तल आज के हालात की कहानी खुद सुना रहे हैं.

इस राजमहल के राजा खुद अपनी प्रजा के सामने जब पहुंचे तो मंजर एकदम से बदल गया. जो प्रजा अपने राजा के सामने सिर उठाने की हिम्मत नहीं रखती थी. वो अपने हाथ आसमान में उठाकर उनकी हैसियत को ललकार रही है. आलम ये है कि खुद राजा और उनके महल की हिफाजत में लगी पुलिस को बीच में आना पड़ा. अमेठी पैलेस में राजा संजय सिंह और अमिता सिंह के घुसने को लेकर जबरदस्त घमासान हुआ, इस घमासान में इस कदर खूनखराबा हुआ कि एक पुलिसकर्मी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

अमेठी का जिक्र आते ही जेहन में गांधी नेहरू परिवार की तस्वीर उभरने लगती है, लेकिन इस संघर्ष का रिश्ता गांधी नेहरू परिवार और उसकी राजनीति से कतई नहीं है. बल्कि इस संघर्ष का नाता तो यहां के उस खानदान से है, जिसे यहां का राजा होने का रुतबा हासिल है. दरअसल, अमेठी के राजा डॉक्टर संजय सिंह और उनकी मौजूदा पत्नी अमिता सिंह पर किसी और ने नहीं खुद उनके ही बेटे अनंत विक्रम ने सवाल उठाए हैं और इन सवालों का ताल्लुक उनके हक़ और हुकूक से है.

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एक वक्त था जब इस रियासत में राजा रणन्जय सिंह की हुकूमत चला करती थी. अंग्रेजों के जाने के बाद आजादी आई और रिसायतों की हूकूमत खत्म हो गई. मगर इस भूपति भवन की शान तब भी जस की तस ही बनी रही. राजा रणन्जय सिंह के गुज़र जाने के बाद इस महल में राजा की हैसियत मिली राजा रणन्जय सिंह के बेटे डॉक्टर संजय सिंह को. सियासत में धुरंधर हो चुके डॉक्टर संजय सिंह की शादी सत्तर के दशक में उस दौर में सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी और राजा मांडा के नाम से मशहूर विश्वनाथ प्रताप सिंह की भतीजी गरिमा सिंह के साथ हुई थी. संजय सिंह और गरिमा सिंह ने भुवन-भवन को तीन चश्मोचिराग दिए. एक राजकुमार कुंअर अनंत विजय और दो राजकुमारियां शाव्या और महिमा.

साल 1988 तक सब कुछ ठीकठाक चलता रहा था तभी अचानक मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी का लखनऊ में कत्ल हो गया और अमेठी का ये राज परिवार दुश्वारियों में उलझ गया. दरअसल, सैयद मोदी को कत्ल करवाने में संजय सिंह और अमिता मोदी का भी नाम आरोपियों के तौर पर अदालत के सामने आया. संजय सिंह खुद अच्छे बैडमिंटन खिलाड़ी थे और अमिता मोदी उस वक्त राष्ट्रीय स्तर पर बैडमिंटन खेल रही थीं. वो सैयद मोदी की पत्नी भी थीं और संजय सिंह का इस परिवार के साथ बेहद नजदीकी रिश्ता था. एक लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार कोई सबूत न मिलने की वजह से संजय सिंह और अमिता मोदी को अदालत ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया. हालांकि इसी बात को अब इस भूपति भवन के राजकुमार ने चुनौती दी है.

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साल 1995 आते-आते संजय सिंह और अमिता मोदी की नजदीकियों के किस्से जब उजागर होने लगे तो संजय सिंह ने अपनी पत्नी गरिमा सिंह को छोड़ कर अमिता मोदी का हाथ थाम लिया. हालांकि इस बात पर कुंअर अनंत विजय का अपना दावा है. अमिता के साथ संजय के रिश्ते के इस खुलासे के बाद राजघराने में रिश्तों की एक जंग छिड़ गई. गरिमा सिंह अपने तीनों बच्चों को लेकर पिछले 18 सालों से संजय सिंह से दूर रह रहीं थी. हालांकि संजय सिंह का दावा है कि इस दौरान उन्होंने अपनी पहली पत्नी और बच्चों को पूरा ख्याल रखा.

भूपति भवन के राजा संजय सिंह के दावे के उलट गरिमा सिंह और उनके तीनों बच्चों ने राजपरिवार में मचे घमासान के लिए सीधे तौर पर अमिता मोदी को जिम्मेदार ठहराया है. इस राजपरिवार की सारी शानोशौकत उस वक्त तमाशा बन गई जब करीब दो महीने पहले अनंत विजय, उनकी मां गरिमा सिंह, उनकी पत्नी और बेटे के अलावा दोनों बहनें भी अपने हक की लड़ाई को लड़ने की गरज से सीधे राजभवन जा पहुंची और राजपरिवार में हक की लड़ाई दो महीने के अंदर ही महलों की दीवारों से निकलकर बीते शनिवार को सड़क पर आ गई. अनंत विजय का दावा सही है या नहीं. इसका फैसला तो अदालत को ही करना है, लेकिन अमेठी की प्रजा पहली बार अपने राजा के मुकाबले राजकुमार के हक में खड़ी नज़र आई. जिस अमेठी में राजा संजय सिंह का सिक्का चलता है.उसी अमेठी में उसी राजा के खिलाफ एक शख्स ने आवाज उठाई और उस शख्स की उठी हुई आवाज में वहां के सैकड़ों बाशिंदों ने भी अपनी आवाज मिला दी और वो शख्स कोई और नहीं. बल्कि उसी राजा का अपना खून है. राजकुमार अनंत विक्रम सिंह, लेकिन बात उस वक्त ज्यादा बिगड़ गई जब अनंत विक्रम अपनी शिकायत लेकर थाने तक जा पहुंचे. क्योंकि बाप बेटे की ये लड़ाई एक बार फिर तगड़ी होने के आसार बन गए हैं.

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