महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर सीबीआई का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. उन पर आरोप गंभीर हैं, ऐसे में जांच भी उसी आधार पर होती दिख रही है. कुछ दिन पहले ही उनके नागपुर वाले घर पर सीबीआई की रेड भी हो चुकी है. अब इन तमाम कार्रवाई के बीच महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका के जरिए इस मामले की जांच सीबीआई के बजाय SIT से करवाने की अपील की गई है.
देशमुख मामले में SIT जांच की मांग
दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने तर्क दिया है कि वर्तमान में सीबीआई अधिकारी सुबोध जासवाल, अनिल देशमुख मामले की जांच कर रहे हैं. राज्य सरकार की नजरों में सुबोध जासवाल 'फोन टैपिंग और आंकड़े लीक' वाले मामले से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. उस समय वे मुंबई पुलिस में महानिदेशक हुआ करते थे. इसी वजह से महाराष्ट्र सरकार चाहती है कि अनिल देशमुख मामले में निष्पक्ष जांच को ध्यान में रखते हुए ये केस SIT को सौंप दिया जाए.
राज्य सरकार की क्या है दलील?
याचिका में राज्य सरकार ने कोर्ट को सुझाव दिया है कि इस मामले में SIT जांच को हाई कोर्ट या फिर कोई पूर्व हाई कोर्ट जज द्वारा मॉनिटर करवाया जा सकता था. वैसे ये पहली बार नहीं है जब इस केस में कोई ऐसी याचिका दायर की गई हो. सिर्फ तर्क बदले हैं, लेकिन कई मौकों पर केस को ट्रांसफर से लेकर सीबीआई जांच नहीं होने तक याचिका दायर की गई हैं. एक बार फिर राज्य सरकार ने वहीं प्रयास किया है.
राज्य सरकार की इस याचिका पर 20 अक्टूबर को सुनवाई तय की गई है. जस्टिस नितिन जामदार और एस वी कोतवाल इस मामले की सुनवाई करने जा रहे हैं. वैसे जानकारी के लिए बता दें कि इस साल अप्रैल में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही इस मामले में सीबीआई जांच शुरू की गई थी.
क्या है ये पूरा मामला?
केस की बात करें तो अनिल देशमुख पर आरोप है कि उन्होंने कई दूसरे पुलिस अधिकारियों की मदद से बड़े व्यापारियों से पैसों की वसूली करवाई थी. अनिल देशमुख पर मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह और बर्खास्त किए गए पुलिस अफसर सचिन वाजे ने गंभीर आरोप लगाए थे. कहा गया था कि देशमुख ने वाजे को मुंबई के बारों/पब से 100 करोड़ रुपये की उगाही करने को कहा था.