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शिल्‍पी बोलेगी, आसाराम के राज खोलेगी!

आसाराम की सबसे खास राजदार शिल्पी जब कानून के दरवाजे पर पहुंची, तो खुद को और आसाराम को बेकसूर बताने लगी लेकिन जैसे ही जोधपुर पुलिस से शिल्पी का सामना हुआ शिल्पी के सुर ही बदल गए.

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आसाराम की सबसे बड़ी राजदार है शिल्‍पी
आसाराम की सबसे बड़ी राजदार है शिल्‍पी

आसाराम की सबसे खास राजदार शिल्पी जब कानून के दरवाजे पर पहुंची, तो खुद को और आसाराम को बेकसूर बताने लगी लेकिन जैसे ही जोधपुर पुलिस से शिल्पी का सामना हुआ शिल्पी के सुर ही बदल गए.

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जोधपुर  पुलिस सूत्रों के मुताबिक शुरूआत में तो शिल्पी ने पुलिस को घुमाने की पूरी कोशिश की लेकिन इसके बाद जैसे ही पुलिस ने सबूतों को सामने रख कर सवालों के तीर छोड़े शिल्पी घायल होनी शुरू हो गई. इसके बाद तो शिल्पी ने जो शोले उगलने शुरू किए उसके बाद तो अब उसकी आंच की तपिश आसाराम को और भी जलाने वाली है.

शिल्पी खुद से पहले आसाराम को बेकसूर बता रही हैं. कह रही हैं कि आसाराम को फंसाया जा रहा है. अरे शिल्पी जी, अगर सचमुच आपको लगा था कि आसारम को फंसाया जा रहा है तो महीने भर तक बापू को इस हाल में क्यों छोड़ा? क्यों नहीं महीने भर पहले ही आकर सच बोला कि बापू पर लगे सारे आरोप गलत हैं जबकि आपके आसाराम के बाद सबसे बड़ा आरोप तो आप पर ही है. आरोप ये कि जिस लड़की का यौन शोषण हुआ उस लड़की को जोधपुर के एकांतवास में आसाराम तक आपने ही पहुंचाया. अगर आप सचमुच बेकसूर थीं और आसाराम बेगुनाह को महीने भर तक किससे मुंह छुपा रही थीं और क्यों?

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जाहिर है शिल्पी पूरा सच नहीं बोल रही है. मगर जोधपुर पुलिस की मानें तो सरेंडर के बाद पिछले चौबीस घंटे में शिल्पी ने पुलिस को जो कुछ बताया है वो शिल्पी के इस डायलाग से बिल्कुल अलग है. हरिद्वार से लेकर अहमदाबाद और अहमदाबाद से लेकर छिंदवाड़ा तक के गुरुकुल में पढ़ने वाली लड़कियों और बापू के एकांतवास का सच, शिल्पी सब बोल रही है, सब राज़ उगल रही है. ऐसे-ऐसे राज जो आसाराम को और ज्यादा मुसीबत में डालने वाले हैं.

ज़ाहिर है शिल्पी के पास राज कम नहीं हैं लेकिन कुछ राज ऐसे हैं, जिनके खुलने के साथ ही आसाराम के लिए मुसीबतें और बढ़नेवाली हैं. पुलिस ने शिल्पी से पूछा है कि वो आख़िर आसाराम के संपर्क में पहली बार कब आई? कब उसने आसाराम को अपनी जिंदगी समर्पित करने का फैसला किया और क्यों आसाराम ने उसे अहमदाबाद से हरिद्वार और फिर हरिद्वार से छिंदवाड़ा भेजा?

पुलिस के लिए ये सब जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस बार जिस लड़की ने आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया है, उस लड़की को पहली बार आसाराम ने हरिद्वार में ही देखा था.

आसाराम की राजदार शिल्पी का समर्पण कानून के कसते शिकंजे का कमाल था या फिर शिल्पी के समर्पण के पीछे कहानी कुछ और है? ये सवाल तब और ज्‍यादा अहम हो जाते हैं, जब शिल्पी के गुरु आसाराम की ज़मानत याचिका निचली अदालत में खारिज होने के बाद अब हाई कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार कर रही है लेकिन इससे पहले कि हाई कोर्ट का आसाराम की जमानत पर कोई फैसला आए, खुद उन्हीं के वकील राम जेठमलानी कुछ सुबूत जुटाने के लिए हाई कोर्ट से 15 दिनों की मोहलत ले लेते हैं जबकि आम तौर पर जमानत के मामलों में ऐसी मोहलत बचाव पक्ष नहीं, अभियोजन पक्ष की तरफ से लिए जाते हैं, ताकि जमानत को ज्‍यादा से ज्‍यादा वक़्त के लिए टाला जा सके लेकिन यहां मामला उल्टा है और मोहलत की मांग देश के सबसे बड़े वकीलों में से एक खुद राम जेठमलानी की तरफ़ से की जाती है.

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जाहिर है, मोहलत मांगते हुए जेठमलानी को इस बात का भी अहसास रहा होगा कि उनकी इस मांग से उनके मुवक्किल यानी आसाराम का कुछ और दिनों तक सलाखों के पीछे रहना तय हो जाएगा, लेकिन इसके बावजूद आसाराम अदालत से मोहलत की गुहार करते हैं और वो उन्हें मिल भी जाती है. इन मोहलत के दिनों में जेठमलानी क्या सुबूत जुटा रहे हैं ये तो नहीं पता लेकिन इसी मोहलत के बीच शिल्पी का हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्ज़ी लगाना और उसके खारिज होने के बाद उसका जोधपुर के सेशन कोर्ट में समर्पण करना अपने आप में काफी कुछ कहता है.

दरअसल, जोधपुर पुलिस के सूत्रों और कानून के जानकारों का मानना है कि इस तरह जेठमलानी पुलिस की तफ्तीश को और लंबा करने की बजाय उसे एक मुकाम तक पहुंचने देना चाहते हैं, ताकि शुरूआती तफ्तीश के बाद पुलिस इस मामले में जल्द से जल्द चालान दाखिल करे और उन्हें आसाराम के लिए जमानत की गुज़ारिश करने में और आसानी हो.

देश के इस नामचीन वकील की इस व्यू रचना से आगे शिल्पी के इतने दिनों तक गायब रहने के पीछे भी अपने-आप में एक लंबी कहानी है. जाहिर है, यौन शोषण के मामले में आसाराम ही मुख्य आरोपी हैं, जबकि शिल्पी पर उनकी मदद करने का आरोप है... लेकिन इतना होते हुए भी मुख्य आरोपी तो पुलिस की गिरफ्त में आ जाता है, लेकिन शिल्पी का कोई पता नहीं चलता. तो क्या ये मान लिया जाए कि शिल्पी अब तक खुद अपने दम पर ही फरार चल रही थी या फिर आसाराम के इशारे पर ही उसके लोगों ने शिल्पी को पनाह दे रखी थी?

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पुलिस सूत्रों की मानें तो ये आसाराम के लोग ही थे, शिल्पी अब तक जिनके पास छुप कर अपने गुरु के इशारे का इंतज़ार कर रही थी और जब लोअर कोर्ट से आसाराम के जमानत की अर्ज़ी खारिज होने के बाद ये हाई कोर्ट तक पहुंची और उनके वकील ने हाई कोर्ट से मोहलत ली, तो आसाराम ने ही शिल्पी तक समर्पण के लिए अपनी बात पहुंचाई और शिल्पी ने बिल्कुल उसी जोधपुर पुलिस की नाक के नीचे जोधपुर के सेशन कोर्ट में समर्पण कर दिया, जो जोधपुर पुलिस इतने दिनों तक हाथ धो कर उसके पीछे पड़ी थी.

जोधपुर सेशन कोर्ट में समर्पण के दौरान जो शिल्पी अपने आसाराम को हर तरह से बेकसूर बता रही थी, उसी शिल्पी ने कुछ रोज़ पहले कहा था कि वो आसाराम को जानती ही नहीं है.

ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि ये लिखा है शिल्पी की ओर से दी गई उस अग्रिम जमानत अर्ज़ी में जो उसने 4 सितंबर को जोधपुर की सेशन कोर्ट में दाखिल की थी लेकिन ये पहला मौका नहीं था, जबकि शिल्पी ने आसाराम से अपने संबंध ना होने की बात कही. इससे पहले भी जब 23 अगस्त को जोधपुर पुलिस ने शिल्पी से छिंदवाड़ा आश्रम में पूछताछ की, तब भी शिल्पी ने आसाराम से अपनी कोई मुलाकात नहीं होने की बात कही थी बल्कि तब तो उसने पुलिस से यहां तक कहा था कि उसने 15 मार्च को ही छिंदवाड़ा आश्रम में नौकरी ज्वाइन की है और उसे तो यहां सिर्फ छह महीने ही हुए हैं.

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लेकिन अब शिल्पी के बारे में पुलिस को जो बातें पता चल रही हैं, वो उसके इस झूठ से पर्दा हटाती हैं. शिल्पी उर्फ़ संचिता गुप्ता ना सिर्फ बचपन से आसाराम की भक्त थी, बल्कि उसके माता-पिता भी आसाराम के ही शिष्य़ थे. यहां तक कि अपने माता-पिता के साथ उसने भी आसाराम से दीक्षा ली और फिर ताउम्र आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में ही रहने का फ़ैसला कर लिया.

रायपुर से मनोविज्ञान में एमए करनेवाली शिल्पी शुरू से ही तेज तर्रार थी और उसने खुद को आसाराम के पास समर्पित कर दिया था. आसाराम को अपने राजदार के रूप में ऐसी ही किसी ल़ड़की की दरकार थी और शिल्पी को देखते ही उन्होंने उसे ना सिर्फ जिम्मेदारी बल्कि बहुत से अधिकार दे दिए. अब शिल्पी आसाराम के इशारे पर एक-एक कर लड़कियों को फांस कर आसाराम के सामने समर्पण के लिए भेजने लगी. इसके लिए वो अक्सर लड़कियों पर भूत-प्रेत होने की बात कहती और आसाराम से इलाज करवाने पर जोर देती.

पीड़ित लड़की ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि शिल्पी हमेशा एक कागज में भूत-प्रेतों के बारे में कुछ लिख कर रखती और दूसरी लड़कियों ने तरह ही शिल्पी ने उसे भी भूत-प्रेत का शिकार होने की बात कही थी और शिल्पी ने छिंदवाड़ा के गुरुकुल की एक लड़की को भी कुछ ऐसा ही झांसा दिया था जो इस मामले के सामने आने के बाद से ही फिलहाल फरार है.

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