इधर आसाराम इंतज़ार करते रह गए और उधर, बहस-दलीलों में सारा दिन निकल गया. जमानत की आस लिए बैठे बंदी बाबा आसाराम को निराशा हाथ लगी. लेकिन जेल की चारदिवारी के पीछे आसाराम के 24 घंटे कैसे गुज़रे, ये या तो खुद आसाराम जानते हैं या फिर उन पर नज़र रखनेवाले जेल के मुलाजिम. ध्यान और भक्ति से लोगों को खुश रहने का नुस्खा बतानेवाले आसाराम की सारी खुशी फकत एक रात में काफूर हो चुकी थी.
आसाराम के ठाठ-बाट की जेल में निकली हवा
आसाराम के ठाठ-बाट, शानो-शौकत, ऐशो आराम, सबकी हवा निकल चुकी है. दूध में सोना डालकर पीने वाले बाबा, दूध बादाम का नाश्चा करने वाले बाबा, लज़ीज़ और उम्दा खाना खाने वाले बाबा, मखमली बिस्तरों पर थकान मिटाने वाले बाबा, प्रवचनों और आस्था की आड़ में कंलक का खेल खेलने वाले बाबा की जोधपुर सेंट्रल जेल में बत्ती गुल हो गई. जेल की चारदीवारी में बैरक नंबर एक में आसाराम कैदी बने तो जेलर भी सख्त और कानून भी सख्त. आसाराम बापू के जोधपुर जेल में एंट्री होते ही जेलर ने बाबा की ज़िंदगी में जेल का मैन्यू जोड़ दिया. वैसे आसाराम ने दो दिन में ही सत्य को स्वीकार कर लिया है. जेल की रोटी को अपना भी लिया. जेल में अभी बहुत दिन बाकी हैं. तीन दिन से थके-हारे बाबा को विश्राम का अवसर मिला तो छक कर सोए. लेकिन अभी डगर जेल की मुश्किल हैं, बाबा को जेल के कानून के नियम कायदों के मुताबिक अपने बर्तन खुद धोने होंगे, खाना बाकी कैदियों की लाइन में लगकर ही लेना होगा. सुबह नाश्ते का वक्त तय है. गुड़ चना नाश्ते में मिलेगा. दोपहर 2 बजे खाने का वक्त भी मुकर्रर है. दाल, रोटी के साथ सब्ज़ी मिलेगी. शाम 5 बजे एक चाय और रात को 8 बजे खाने में फिर वही दाल रोटी और सब्ज़ी.
कैसे गुजरी जेल में रात
सोमवार यानी 2 सितंबर को शाम पौने पांच बजे आसाराम जेल पहुंचे और बाबा को जोधपुर सेंट्रल जेल की बैरक नंबर एक में भेज दिया गया. वही बैरक जिसमें सलमान खान और महिपाल मदेरणा भी रह चुके हैं. जेल के नियम के हिसाब से आसाराम की जांच हुई. थोड़ी देर के बाद आसाराम टहलने के लिए जेल में निकले. चेहरे पर शिकन और उड़ती हवाइयों के बीच रात के खाने का वक्त हो गया और बाबा ने आश्रम के खाने की ख्वाहिश जताई. पहला दिन था जेलर ने मान लिया और आसाराम ने अपना लज़ीज़ खाना खाया और रात के 10 बजे सोने चले गए. लेकिन बाबा को रातभर नींद नहीं आयी. आंखों की खिड़कियां रातभर खुली रहीं और भोर हो गई. रात में उठ उठकर 3-4 बार पानी पिया.
बाबा की बैरक खुली और जेल में ही टहलने लगे. कैदियों से मुलाकात करने लगे. एक कैदी ने आसाराम से क्या कहा, 'बाबा आप लाल टोपी में ओशो की तरह लग रहे हैं'. बाबा ने कहा- सही कह रहे हो ओशो को भी तो जेल जाना पड़ा था. सुबह 7 बजे आसाराम को नाश्ते में गुड़ और चना दिया गया. लेकिन बाबा ने गुड़ और चना खाने से मना कर दिया और जेल की डिस्पेंसरी नंबर 12 की तरफ जाकर अखबार देखने लगे.
सुबह 11.30 बजे के आस-पास आसाराम ने खाना खाया. लेकिन आश्रम का नहीं बल्कि जेल का. लज़ीज़ नहीं बल्कि दाल-रोटी और सब्ज़ी और उसके बाद बाबा आसाराम करने के लिए चले गए और देर कर खर्राटे भरते रहे. मखमली बिस्तर पर चैन की नींद लेनेवाले आसाराम की नींद जेल जाते ही हवा हो गई. बैरक की सख्त खाट ने ना तो उन्हें सोने लायक छोड़ा और ना ही मच्छरों के डंक ने जागने लायक. हालत ये हो गई कि आसाराम को लेटने के मुकाबले गीता पढ़ कर वक़्त गुज़रना ही ज़्यादा ठीक लगा.
जेल जाते ही हवा हुई आसाराम की नींद
बाबा की ज़िंदगी ने ऐसा यू टर्न लिया कि जोधपुर जेल में सुकून से सो भी ना सके. क़ैदी बाबा रात भर बैरक की कड़ियां गिनते गिनते निकल गई. आंखों की पलकें झपकना भूल गईं. कभी इस करवट, कभी उस करवट. नींद किस बला का नाम है, वो तो उड़ती चिड़िया की तरह फुर्र हो गई.
रात भर आसाराम को एक ही ख्वाब सताता रहा होगा. 14 दिन जेल में कैसे कटेंगे. जेलर आगे कौन सा फरमान सुनाएगा. तभी तो रातभर करवटें बदलते रहे बापू. वो आसाराम जिनके गले में गंगाजल से नीचे का पानी नहीं उतरता था. अब जेल की टोंटी का पानी भी गटक रहे हैं. जी हां 2 सितंबर की रात कैदी बाबा थोड़ी थोड़ी देर में पानी पीते रहे. हलक की मजबूरी ने आसाराम की हवाबाज़ी की ऐसी हवा निकाली है कि नगर निगम का पानी भी मीठा अमृत लग रहा है.
आसाराम के सोने का वक्त तय होता था. बाबा कहते थे कि वो ज़्यादा देर तक नहीं जगते. अब सोने का वक्त भी जेल के हिसाब से तय हुआ है. सुबह 8 बजे उठने वाले आसाराम को आंखें भी जेल के नियमों के हिसाब से खोलनी होंगी. जिन मखमली बिस्तरों पर आसाराम को नींद आती थी. अब वो ख्वाबों में आ रहे होंगे. क्योंकि आसाराम को जेल में सोने के लिए एक पलंग, एक दरी और एक कंबल दिया है.
बताया जाता है कि आसाराम को रात भर मच्छरों ने भी खूब सताया. बैरक नंबर एक में मच्छरों ने भी ना जाने बाबा से कौन जन्म का बदला निकाला. सूत्रों के मुताबिक आसाराम ने पहली रात जेल प्रशासन से मन्नत की, जिसके बाद उन्हें डिस्पेंसरी के बेड पर सुलाया गया
लेकिन यहां आसाराम को सुकून नहीं मिला. यहां पर वो रातभर बदबू की शिकायत करते रहे, और अपने थैले से गीता निकालकर पढ़ते रहे.
आसाराम को मिला जेल का एकांतवास
बार बार आसाराम अज्ञातवास का हवाला देते रहे. लोगों को पुलिस को एकांतवास का ज्ञान देकर इंतज़ार की घड़ियां लंबी करवाते रहे. अब आसाराम को ऐसा एकांतवास मिला है कि खत्म भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत के बाद होगा. उसके बाद भी आरोप मुंह बाए खड़े हैं. अदालत है, पुलिस की चार्जशीट है. यकीनन भक्ति के इस स्वयंभू भगवान का कानून से ऊपर होने होने का सारा गुमान ध्वस्त हो चुका होगा.