मोकामा गैंगवार केस में पूर्व विधायक अनंत सिंह ने सरेंडर कर दिया. वो पूरे लाव-लश्कर के साथ पटना के बाढ़ कोर्ट में पहुंचे. वहां से उनको 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में बेउर जेल भेज दिया गया. इस केस में सोनू सिंह के सरेंडर के बाद अनंत सिंह पर दबाव बढ़ गया था. विपक्ष भी लगातार नीतीश सरकार को घेर रही थी. चौतरफा दबाव के बाद अनंत सिंह को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा.
पटना के एसएसपी अवकाश कुमार ने बताया, "पूर्व विधायक अनंत सिंह ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. उन्हें बेउर जेल भेज दिया गया है." उन्होंने बताया कि इस गैंगवार के संबंध में पुलिस ने तीन केस दर्ज किया है. बुधवार की शाम को मोकामा में अनंत सिंह के काफिले पर हमला हुआ था. सोनू-मोनू गैंग ने अंधाधुंध गोलीबारी करते हुए हमला किया, जिसके बाद अनंत के समर्थकों ने जवाबी कार्रवाई की थी.
प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि इस गैंगवार के दौरान 60 से 70 राउंड गोलियां चलीं. हालांकि पुलिस ने 16-17 राउंड गोलियां चलने का दावा किया. इस घटना के बाद शुक्रवार को मोकामा के पंचमहल थाना अंतर्गत हमजा गांव में फिर से गोलीबारी की खबर मिली. वहां से पुलिस को तीन कारतूस बरामद हुए. ये गोलीबारी मुकेश सिंह के घर के सामने हुई, जिसने अनंत सिंह के पास जाकर मदद मांगी थी.
कौन है मुकेश सिंह, आखिर क्यों हुआ सोनू-अनंत में विवाद?
मोकामा के जमालपुर नौरंगा पंचायत के नौरंगा गांव रहने वाले सोनू-मोनू की मां उर्मिला सिन्हा मुखिया हैं. उनका ईंट-भट्ठे का भी कारोबार है. मुकेश सिंह उनके वहां मुंशी का काम करता था. उनके बीच पैसे को लेकर विवाद चल रहा था. मुकेश पर 60 लाख रुपए के गबन का आरोप था. इसी सिलसिले में 4 दिन पहले सोनू-मोनू ने उसके घर पर ताला जड़ दिया. मुकेश इसकी शिकायत करने थाने पहुंचा.
थाने मुकेश सिंह की कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद वह एसएसपी ऑफिस पहुंचा. यहां भी उचित कार्रवाई का आश्वासन नहीं मिला. इसके बाद वो अनंत सिंह के पास पहुंचा. उन्होंने सोनू-मोनू से फोन पर बात की, लेकिन दोनों के बीच तीखी बहस हो गई. इसके बाद अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ हमजा गांव पहुंचे. अपनी मौजूदगी में मुकेश के घर का ताला खुलवाया. फिर सोनू-मोनू के गांव नौरंगा पहुंचे.
सोनू-मोनू के गांव पहुंचते ही अनंत के काफिले पर चली गोली
अनंत सिंह के नौरंगा पहुंचते ही दोनों ओर से गोलियां चलने लगीं. इस मामले में अनंत सिंह ने बताया, ''हम सोनू-मोनू के गांव पहुंचे. उनके घर के बाहर ही गाड़ी रुकवा दी. अपने दो समर्थकों को उनको बुलाकर लाने को कहा, लेकिन लोग जैसे ही उनके पहुंचे, उन लोगों ने गोलीबारी शुरू कर दी. इससे बचने के लिए हमारे लोगों ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद हम वहां से निकल गए थे.''
अनंत सिंह बिहार की सियासत में बड़े नाम हैं. छोटे सरकार कहे जाते हैं. हनक ऐसी कि मोकामा में तूती बोलती है. रसूक ऐसा कि वोट बरसनने लगते हैं. यही कारण है कि उनकी पत्नी आरजेडी से चुनाव से जीती. अनंत सिंह खुद मोकामा से चार बार विधायक रह चुके हैं. दूसरी तरफ सोनू-मोनू का परिवार भी सियासत से जुड़ा हुआ है. लेकिन अनंत सिंह उनको ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं.
कौन हैं सोनू-मोनू, अनंत सिंह से अदावत की वजह क्या है?
मोकामा के रहने वाले सोनू-मोनू दुर्दांत अपराधी हैं. इन पर हत्या, अपहरण, लूटपाट, फिरौती और रंगदारी के कई केस दर्ज हैं. इन पर ट्रेनों में लूटपाट कराने का भी आरोप है. अनंत सिंह से इनकी कभी सीधी दुश्मनी नहीं रही है. लेकिन दोनों लंबे समय तक विवेका पहलवान के लिए काम करते रहे हैं. विवेका अनंत सिंह के चाचा लगते हैं, लेकिन दोनों के बीच बहुत पुरानी दुश्मनी है.
बिहार के पलटीमार सियासत में सियासी समीकरण मुश्किल
बिहार की पलटीमार सियासत में उनके जैसे बाहुबली के लिए भी सियासी समीकरण बिठाना मुश्किल हो जाता है. साल 2022 में जब एके-47 केस में उनकी विधायकी गई तो उनकी पत्नी नीलम सिंह ने आरजेडी के टिकट पर उपचुनाव जीता. लेकिन फरवरी 2024 में जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गए तो नीलम भी पलटी मार कर जेडीयू विधायकों के साथ जा बैठीं. फिलहाल वो सरकार के साथ हैं.
साल 2024 में हाईकोर्ट ने अनंत सिंह को एके-47 केस में बरी कर दिया. अब वो फिर से मोकामा सीट से विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं. उन्होंने साल 2005 में जेडीयू के टिकट पर मोकामा से पहला चुनाव जीता था. साल 2015 में जब नीतीश ने आरजेडी का दामन थामा तो अनंत सिंह को ये पसंद नहीं आया. उन्होंने इसका विरोध किया, तो नीतीश उनसे नाराज हो गए.
नीतीश कुमार-अनंत सिंह की दोस्ती और अदावत की कहानी
हालांकि, अगले चुनाव में वो निर्दलीय जीतने में कामयाब रहे. साल 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ दिया, लेकिन अनंत सिंह के खिलाफ उनका रुख सख्त रहा. साल 2019 लोकसभा चुनाव में ललन सिंह के खिलाफ जब अनंत सिंह ने अपनी पत्नी नीलम देवी को कांग्रेस के टिकट पर उतारा तो ये नीतीश को पसंद नहीं आया. यही वजह है कि उनकी पुरानी फाइलों को खोल दिया गया.
16 अगस्त 2019 को अनंत सिंह के खिलाफ एके-47 रखने के आरोप में UAPA के तहत केस दर्ज किया गया. साल 2020 में जेल में रहते हुए भी अनंत सिंह आरजेडी के टिकट पर विधायकी का चुनाव जीत गए. लेकिन तब तक उनको ये भी समझ आ गया कि सत्ता के साथ चलना बेहतर होता है. इसलिए फरवरी 2024 में उनकी पत्नी ने आरजेडी विधायक होते हुए भी जेडीयू का साथ दिया था.