मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बाहरी इलाके में जेल तोड़कर भाग रहे सिमी के आतंकियों को पुलिस ने मार गिराया. इस मुठभेड़ के बाद एक बार फिर SIMI यानी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का नाम चर्चाओं में आ गया. भारत में प्रतिबंधित इस सगंठन के सदस्य कई वारदातों में शामिल रहे हैं. भोपाल में मारे गए आठ में से चार सिमी आतंकी कुख्यात अपराधी थे. जिन्होंने लूट, हत्या और भारत विरोधी कई घटनाओं को अंजाम दिया था.
एनआईए ने रखा था इनाम
राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने पकड़े जाने से पहले इन चार आतंकियों पर लाखों रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा था. ये चारों आतंकी वर्ष 2013 में खंडवा जेल से फरार हो गए थे. उस वक्त एनआईए ने इनकी गिरफ्तारी के लिए तस्वीरों समेत पोस्टर जारी किए थे. जिनमें इनका हुलिया और इनकी जारी चस्पा की गई थी.
इन चार आतंकियों के नाम दर्ज हैं कई मामले
1. मोहम्मद खालिद अहमद पुत्र मोहम्मद सलीम, निवासी 460, विजय नगर, शोलापुर, महाराष्ट्र
2. जाकिर हुसैन सादिक उर्फ विकी डॉन उर्फ विनय कुमार पुत्र बदरुल हुसैन निवासी खंडवा, मध्य प्रदेश
3. महबूब उर्फ गुड्डू पुत्र इस्माइल निवासी खंडवा, मध्य प्रदेश
4. अमजद पुत्र रमजान खान निवासी खंडवा, मध्य प्रदेश.
इनके साथ मारे गए ये सिमी आतंकी
1. मोहम्मद अकील खिलजी निवासी खंडवा, मध्य प्रदेश
2. अब्दुल माजिद पुत्र मोहम्मद यूसुफ निवासी शोलापुर, महाराष्ट्र
3. मोहम्मद सलीक उर्फ सल्लू पुत्र दिवंगत अब्दुल हकीम निवासी खंडवा, मध्य प्रदेश
4. मुजीब शेख उर्फ अकरम उर्फ वसीम उर्फ नावेद पुत्र जमील अहमद निवासी ए/28, जाकिर पार्क जुहापुरा, अहमदाबाद, गुजरात
इसी साल पकड़े गए थे अमजद, जाकिर, महबूब और खालिद
फरवरी 2016 में इन चारों को ओडिशा और तेलंगाना पुलिस की तीन घंटे चली संयुक्त कार्रवाई के बाद गिरफ्तार किया था. सूत्रों के मुताबिक, इन चारों ने राउरकेला के कुरैशी मोहल्ला में किराए पर एक फ्लैट लिया हुआ था. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, तेलंगाना पुलिस और राउरकेला पुलिस ने मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था. इन चारों की गिरफ्तारी से पहले रिहायशी इलाके में मुठभेड़ हुई थी, लेकिन राहत की बात यह थी कि किसी को चोट नहीं आई थी.
अमजद, जाकिर, महबूब और खालिद के खिलाफ कई मामले लंबित हैं. जिनकी जांच अभी भी चल रही है.
2013 में की थी एटीएस कांस्टेबल की हत्या
सिमी के सदस्य अमजद, जाकिर, महबूब और खालिद 2013 में मध्यप्रदेश की खंडवा जेल से फरार हो गए थे. आरोप है कि खंडवा में इन लोगों ने एटीएस के एक कांस्टेबल को मौत के घाट उतार दिया था. तभी से पुलिस की इनकी तलाश कर रही थी. इनके बारे में सभी राज्यों को अलर्ट किया गया था.
बिजनौर में किया था धमाका
एनआईए के मुताबिक वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक विस्फोट कांड हुआ था. जिसमें सिमी आतंकियों अमजद, जाकिर, महबूब और खालिद का हाथ था. पुलिस को शुरूआती जांच से पता चला था कि बिजनौर के कोतवाली क्षेत्र में यह विस्फोट उस समय हुआ था, जब एक किराए के कमरे पर कुछ युवक बम बना रहे थे. ये सभी लोग सिमी के सदिग्ध आतंकी थे. जो किसी वारदात को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे. सिमी पर उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगे कराने के आरोप भी हैं.
सिमी आतंकी पर था बैंक डकैती का आरोप
इन चारों के अलावा भोपाल जेल से भागा खंडवा निवासी मोहम्मद अकील खिलजी भी कई मामलों में वांछित रहा था. उसने मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में मौजूद कैनरा बैंक में एक बड़ी डैकती की वारदात को अंजाम दिया था. इस वारदात के कुछ माह बाद ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था
सिमी के चलते सर्च ऑपरेशन
भोपाल मुठभेड़ की इस वारदात से करीब 27 दिन पहले यानी 3 अक्टूबर को हाई अलर्ट के बीच गुजरात के पंचमहल जिले में पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया था. क्योंकि जिले के पावागढ़ इलाके में सिमी के आतंकी ट्रेनिंग कैंप भी लगा चुके हैं. पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की सीमा से जुड़े सभी राज्य हाई अलर्ट पर हैं. तभी पंचमहल जिले में आने वाले पावागढ़ के जंगलों में पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया था. वहां पावागढ़ में मां काली की शक्तिपीठ स्थापित है. जहां हर साल नवरात्रि के मौके पर तकरीबन एक लाख श्रद्धालु हर रोज आते हैं. बता दें कि पावागढ़ एक ऐसी जगह है, जहां साल 2008 में सिमी आतंकी ट्रेनिंग का कैंप लगा चुके हैं. ये इलाका जंगली होने की वजह से काफी घना और क्षेत्रफल के लिहाज से काफी बड़ा है. अहमदाबाद ब्लास्ट में शामिल इंडियन मुजाहिद्दीन के सभी आतंकियों के पावागढ़ में ट्रेनिंग लेने की बात भी सामने आ चुकी है.
सिमी की स्थापना
स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में की गई थी. इस संगठन का संस्थापक प्रोफेसर मोहम्मद सिद्दीकी को बताया जाता है. जो खुद अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में कार्यरत् हैं. लेकिन उनका दावा है कि वे बहुत समय पहले ही इस संगठन से अलग हो गए थे. सिमी की स्थापना का मकसद मूल रूप से जमात-ए-इस्लामी (JIH) के लिए छात्रों को एकजुट कर 1956 में स्थापित इस्लामी छात्र संगठन (SIO) को पुनर्जीवित करने के लिए किया गया था. 1981 में सिमी कार्यकर्ताओं पीएलओ नेता यासिर अराफात की भारत यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और उन्हें नई दिल्ली में काले झंडे दिखाए थे.
सिमी पर प्रतिबंध
स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) का मकसद पश्चिमी भौतिकवादी सांस्कृतिक प्रभाव को एक इस्लामिक समाज में रूपांतरित करना था. मगर जानकारों और भारत सरकार की मान्यता है कि सिमी अपने मकसद से भटकर आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ गया था. सिमी भारत में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था. इसी वजह से 2002 में भारत सरकार ने इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया गया था. हालांकि, अगस्त 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण में सिमी से प्रतिबंध हटा लिया गया था. लेकिन बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 6 अगस्त 2008 को इस प्रतिबंध बहाल कर दिया था. तभी से यह संगठन भारत में प्रतिबंधित है.