साल भर पहले बिहार से एक तस्वीर आई थी. ये तस्वीर यहां की शिक्षा के हालात बयां कर रही थी. इससे पता चला कि कैसे दसवीं या बारहवी के इम्तेहान में दीवारों, छतों, खिड़की, दरवाजों सबको लांघ कर पप्पुओं को पास कराने के लिए नकल कराया जा रहा था. अब जब आगाज ही ऐसा होगा तो अंजाम भी तो लल्लनटॉप जैसा ही होगा. और वही हुआ. बारहवीं के इम्तेहान में आर्ट्स और साइंस से पूरे बिहार में टॉप करने वाले दो लल्लनटॉप की ऐसी कहानी सामने आई कि बिहार बोर्ड को ना सिर्फ उनके रिजल्ट पर रोक लगानी पड़ी बल्कि दोबारा कॉपी मंगानी पड़ रही है.
क्या बिहार में टॉप करना आसान है?
बिहार से निकले ऐसे सैकड़ों-हजारों छात्र आज देश भर में आईएएस, आईपीएस और दूसरे फील्ड में अपने राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं. मगर उसी बिहार बोर्ड से निकले कुछ टॉपर ने बिहार की पूरी शिक्षा प्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या सचमुच बिहार से दसवी या बारहवीं का इम्तेहान पास करना या टॉप करना इतना आसान है?
अब देना होगा फिर से टेस्ट
क्या आपने कभी सुना है कि किसी इम्तेहान का नतीजा आ जाए. टॉपर का नाम आम हो जाए. उसके बाद उन्हीं टॉपर्स को बुला कर फिर से उनका टेस्ट लिया जाए? सिर्फ ये जानने के लिए कि क्या वाकई उन्होंने ईमानदारी से टॉप किया हैं? या फिर पप्पू को टॉप कराया गया है? बिहार बोर्ड के कुछ टॉपर्स की काबलियत पर शक और सवाल उठने के बाद बाकायदा यही होने जा रहा है. टॉपर का फिर से टेस्ट. और अगर वो टेस्ट में फेल हो गए तो टॉपर का ताज तो छोड़िए इम्तेहान में भी फेल किए जा सकते हैं.
ये हैं टॉपर नंबर 1
दो होनहार छात्र जिन्होंने बिहार बोर्ड से बारहवीं का इम्तेहान ना सिर्फ पास किया है बल्कि पूरे बिहार में टॉप भी किया. यानी दोनों टॉपर हैं. एक साइंस में दूसरी आर्ट्स साइड से. एक हैं रूबी राय. बिहार के हाजीपुर से हैं. उसी हाजीपुर से जहां से रामविलास पासवान एक बार लोकसभा का चुनाव इतने बड़े अंतर से जीते थे कि गिनीज बुक में उनका नाम दर्ज हो गया था. दो साल पहले रूबी दसवीं का इम्तेहान सेकंड डिवीजन से पास हुई थी. तब कुल पांच सौ में से उसे 276 नंबर आए थे. यानी करीब 55 फीसदी. पर दो साल बाद अब बारहवीं में रूबी राय आर्ट्स सब्जेक्ट में 500 में से 444 नंबर लाकर 89 फीसदी अंकों के साथ पूरे बिहार में टॉप कर गई.
ये हैं टॉपर नंबर 2
दूसरे सौरभ श्रेष्ठ हैं. ये भी हाजीपुर से हैं. और ऊपर से इत्तेफाक ये कि ये भी हाजीपुर के उसी स्कूल से हैं जहां से रूबी है. सौरभ ने साइंस सब्जेक्ट में 500 में से 426 नंबर लाकर 85 फीसदी अंकों के साथ पूरे बिहार में टॉप किया है.
टॉपर को नहीं पता- कितने में से मिले नंबर
बारहवीं के इम्तेहान की एक अहमीयत होती है. क्योंकि यहीं से स्कूल के बाद कालेज का सफर शुरू होता है. अब जाहिर है बारहवीं का इम्तेहान देने वाले पूरी तरह से बड़े नहीं तो बच्चे भी नहीं होते. फिर अगर बारहवीं का इम्तेहान टॉप करने वाले को यही पता ना हो कि उसका सब्जेक्ट क्या है, कितने नंबरों का है और उस सब्जेक्ट में क्या पढ़ाया जाता है तो इसे आप क्या कहेंगे?
विषय का नाम भी नहीं ले सकी टॉपर
जब रूबी राय से सवाल किए गए तो वो यह भी नहीं बता सकी कि उसे जो नंबर मिले हैं वो पांच सौ में से मिले या छह सौ में से. दूसरे टॉपर सौरभ श्रेष्ठ से जब एक आसान सा सवाल किया गया तो वो शांत हो गए. रुबी ने कौन-कौन से विषय पढ़े वो भी वह अच्छी तरह से नहीं बता पाई. पॉलिटिकल साइंस को वो प्रोडिकल साइंस बता बैठी, जिसमें उसके डिस्टिंक्शन मार्क्स आए हैं.