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सबसे बड़ी सोने की लूट से हड़कंप, जेल में बंद था घटना में शामिल एक बदमाश!

क्या आपने ऐसे किसी लुटेरे के बारे में सुना है, जो जेल में बंद भी हो और देश की सबसे बड़ी लूट को अंजाम भी दे. क्या ये मुमकिन है कि जेल में बैठे-बैठे कोई लुटेरा 22 करोड़ से भी ज़्यादा की कीमत का 55 किलो सोना ले उड़े और पुलिस को पता भी ना चले.

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पुलिस मामले की छानबीन कर रही है
पुलिस मामले की छानबीन कर रही है

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  • बिहार में देश का सबसे बड़ा 'सोना लूट कांड'
  • 22 करोड़ की लूट से बिहार में मचा हड़कंप
  • स्ट्रॉन्ग रूम से लूटा गया 55 किलो सोना
  • जिसने सोना लूटा वो जेल में बंद था!

अपने देश में कुछ भी मुमकिन है. बिहार में एक नामी फाइनेंस कंपनी के दफ्तर में सोने की लूट हो जाती है. करीब 55 किलो सोना लुटेरे लूट कर ले जाते हैं. देश में सोने की शायद ये सबसे बड़ी लूट है. वारदात के बाद जब पुलिस सीसीटीवी कैमरे खंगालती है, तो लुटेरों में से एक लुटेरे का चेहरा देख वो दंग रह जाती है. जो लुटेरा लाइव लूटपाट करते हुए कैमरे में कैद नजर आ रहा था, वो सोने की ही एक दूसरी लूट के बाद पकड़ा गया था और जेल में बंद था.

क्या आपने ऐसे किसी लुटेरे के बारे में सुना है, जो जेल में बंद भी हो और देश की सबसे बड़ी लूट को अंजाम भी दे. क्या ये मुमकिन है कि जेल में बैठे-बैठे कोई लुटेरा 22 करोड़ से भी ज़्यादा की कीमत का 55 किलो सोना ले उड़े और पुलिस को पता भी ना चले.

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23 नवंबर 2019, दिन के 12 बजे

बिहार के हाजीपुर की बैंक लेन. क्योंकि देश के तमाम बड़े बैंक और फाइनेंस कंपनियों के दफ्तर वहां एक ही लेन में हैं. लिहाजा उसका लेन का नाम बैंक लेन है. इसी लेन में जगदम्बा स्टेट अपार्टमेंट में गोल्ड लोन कंपनी मुथूट फाइनेंस का दफ्तर भी है. जहां 17 साल का एक नाबालिग़ लड़का ग्राहक की शक्ल में इस फाइनेंस कंपनी के दफ्तर पहुंचता है. दरवाजे में दाखिल होने से पहले बाकायदा सुरक्षा गार्ड ने पूरी तलाशी ली. और तसल्ली के बाद ही लड़के को अंदर जाने की इजाजत मिली.

बदमाशों ने ऐसे बोला धावा

मगर अंदर जाने के बजाए ये लड़का फाइनेंस आफिस के गेट पर इस तरह खड़ा हो जाता की गार्ड गेट बंद न कर सके. और तभी इस दफ्तर में धड़ाधड़ दाखिल होते हैं 6 बदमाश. जब तक गार्ड कुछ समझ पाता. तब तक ये बदमाश उसे अपने कब्जे में ले लेते हैं. और एक-एक कर सब दफ्तर के अंदर दाखिल हो जाते है. सभी के हाथों में पिस्टल थी. पिस्टल लहराते हुए ये अंदर मौजूद गार्ड और कंपनी के कर्मचारियों के साथ-साथ ग्राहकों को भी पिस्टल की नोक पर लेकर खामोश रहने के लिए मजबूर कर देते हैं. और फिर शुरू होती है बिहार में देश की सबसे बड़ी लूट की वारदात.

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20 मिनट में 55 किलो सोना साफ

सीसीटीवी की तस्वीरें ना होती तो इस सबसे लूट की वारदात का अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल था. मगर इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है की कैसे बेख़ौफ़ बदमाश गोल्ड फर्म के स्ट्रॉन्ग रूम से सोने के पैकेट निकाल-निकालकर बैग और झोले में भर रहे हैं. पूरे 20 मिनट तक ये लुटेरे कंपनी के दफ्तर के अंदर लूट की वारदात को अंजाम देते रहे और पुलिस को इसकी खबर भी नहीं लगी. आखिर में जब इन लुटेरों के बैग सोने से भर गए तो खुद इन लुटेरों ने वहां से निकलने का फैसला किया. जब ये निकले तो पता चला कि पिछले 20 मिनट में ये बदमाश 55 किलो सोना लेकर भागे हैं.

जेल में बंद बदमाश वारदात में शामिल!

हाजीपुर पुलिस ने सीसीटीवी से कुछ बदमाशों की शिनाख्त कर भी ली. मगर इस शिनाख्त में जो सामने आया वो यकीन से भी परे था. इस लूट में शामिल कुल 7 लुटेरों में जिन तीन लोगों को पहचाना गया. उनमें से एक अपराधी मुकुल कुमार रॉय तो पहले से ही जेल में बंद था. 17 साल के मुकुल को तीन महीने पहले ही पुलिस ने सोना लूट के ही एक दूसरे मामले में गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह में डाला था. तो सवाल ये कि अगर मुकुल जेल में था तो हाजीपुर की सिनेमा रोड में हुई फाइनेंस कंपनी की लूट के बाद सामने आए सीसीटीवी में दिख रहा ये लड़का कौन है. ये कैसे मुमकिन है कि एक ही वक्त में जेल में भी बंद हो और लूट की वारदात को अंजाम देता हुआ सीसीटीवी में कैद भी हो जाए.

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मुकुल का राज़ खोलना चाहती थी पुलिस

एक ही वक्त में किसी अपराधी का दो जगह होना नामुमकिन है. इसलिए इस रहस्य को सुलझाए बिना देश के इस सबसे बड़े लूट कांड की जांच एक कदम भी आगे बढ़ना मुश्किल थी. लिहाज़ा इस मामले के लिए राज्य पुलिस की स्पेशल टीम बनाई गई ताकि इस लूट को और लूट में शामिल मुकुल के राज़ को सुलझाया जा सके.

कैसे बाहर आया जेल में बंद नाबालिग बदमाश

हाजीपुर में हुई सोने की इस सबसे बड़ी लूट से ठीक 10 महीने पहले बिहार के ही मुज़फ्फरपुर में 32 किलो सोने की लूट हुई थी. लूट का तरीका भी बिल्कुल यही था. मगर तब भी पुलिस लुटेरों को नहीं पकड़ पाई थी. बाद में बड़ी मुश्किल से बस एक लुटेरा हाथ आया, जो नाबालिग था. मुज़फ्फरपुर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेज दिया था. तभी से वो वहीं बंद था. तो फिर वो बाहर कैसे आ गया?

लूट के लिए बनाया गया खास प्लान

दिन दहाड़े फाइनेंस आफिस में देश की सबसे बड़ी लूट को अंजाम देने के लिए लुटेरों ने बेहद शातिराना प्लान बनाया था. कौन क्या करेगा. कंपनी में घुसना कैसे है और घुसने के बाद स्ट्रांग रूम से सोने के पैकेट निकालने कैसे हैं. ये सब पहले से तय प्लान के मुताबिक ही हो रहा था. जिस तरह लुटेरे कंपनी में एक साथ घुसे उसी तरह लूट के बाद वो एक साथ नहीं भागे. बल्कि एक-एक करके थोड़ी-थोड़ी देर बाद निकलते रहे. ताकि सड़क पर किसी को ये अंदाज़ा भी ना लगे कि कंपनी के अंदर डाका पड़ चुका है.

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CCTV में कैद हो गई सबसे बड़ी सोने की लूट

सीसीटीवी से मिली तस्वीरों में लूट के बाद टोपी लगाए हुआ पहला एक शख्स निकला. जिसने अपनी पीठ पर सोने से भरा बैग लाद रखा था. फिर करीब 10 सेकेंड के बाद गुलाबी शर्ट में ये दूसरा लुटेरा नज़र आया. इसके भी पीठ पर सोने से भरा बैग टंगा हुआ है. इस तीसरे लुटेरे ने तो हद ही कर दी. दो बैग इसने अपने हाथ में पकड़ रखे हैं. दूसरा भारी भरकम बैग इसने अपने सिर पर लाद रखा है. फिर नज़र आया ये चौथा लुटेरा. इन्होंने अपने बैग को इस तरह भर रखा है कि उसे उठा पाना भी इनके लिए मुश्किल हुआ जा रहा है. पीठ पर बैग लादे और मुंह छुपाते हुए पांचवा लुटेरा भी निकला. उसके बाद ये तीन और लुटेरे नज़र आए. मगर इन्होंने सामने से किसी और को आते देखा तो पहले अपना रास्ता बदला मगर फिर सीधे निकल गए. इन तीन में से सिर्फ दो ने बैग टांग रखा है. जबकि तीसरा खाली हाथ है. इनके निकलते ही कंपनी के अंदर हड़कंप मच गया.

बदमाशों ने नहीं की पहचान छुपाने की कोशिश

ऐसा माना जा रहा है कि सीसीटीवी में भले 7 से 8 अपराधी दिख रहे हों मगर लूट की इस वारदात को करीब 15 से 20 अपराधिओं ने अंजाम दिया होगा. जिसमें सात से आठ अंदर दाखिल हुए और बाकी बाहर पहरा दे रहे थे. पुलिस अब तक इनमें से सिर्फ 3 की पहचान कर पाई है. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इन बेखौफ लुटेरों में से किसी ने भी अपनी पहचान छुपाने की कोशिश नहीं की. CCTV में लूटेरों के चेहरे साफ़-साफ़ दिख रहे है. लिहाज़ा पुलिस को लुटेरों की पहचान करने या उनके स्केच बनवाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. इसी वजह से अगले ही दिन पुलिस ने दावा किया की लुटेरों की पहचान कर ली गई है और उनके पोस्टर भी जारी कर दिए गए.

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लूट का सरगना निकला मुकुल राय!

सीसीटीवी में कैद तस्वीरों से पता चला कि फाइनेंस कंपनी के अंदर जिस लूटेरे ने लूट को लीड किया. वो मुकुल राय उर्फ़ प्रियरंजन है. जो पहले से ही लूट के एक मामले में जुवेनाइल जेल में बंद है. 17 साल का मुकुल फरवरी 2019 में मुज्जफ्फरपुर में 32 किलो सोने की लूट में शामिल था. इसके अलावा लूट के मामले में फरारी काट रहा वीरेंद्र शर्मा और समस्तीपुर का कुख्यात विकास झा भी इस वारदात में शामिल था. ये दोनों भी मुज्जफ्फरपुर में 32 किलो सोने की लूट में शामिल थे. मगर बड़ा सवाल ये था कि एक ही वक्त में मुकुल नाम का अपराधी दो जगह कैसे मौजूद था. इसका खुलासा अभी बाकी था.

जेल में बंद था मुकुल राय!

पुलिस ने बदमाशों का पोस्टर जारी कर दिया. पता बताने वाले को इनाम देने का एलान किया. लेकिन जांच जैसे ही आगे बढ़ी तो एक ऐसा खुलासा हुआ, जिस पर खुद पुलिस को यकीन कर पाना मुश्किल था. जिस मुकुल राय उर्फ़ प्रियरंजन को लूट का टीम लीडर बताकर पुलिस ने पोस्टर जारी किया था. वो तो जेल के अंदर था. जिस लुटेरे को पकड़ने के लिए पूरा पुलिस महकमा दिन रात एक किए हुए था. वो सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 3 महीने से मुज्जफ्फरपुर रिमांड होम में बंद था.

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मुकुल को छुड़ा ले गए थे उसके साथी

रिमांड होम में बंद मुकुल की तस्वीर सामने आने के बाद पुलिस मुज्जफरपुर पहुंची. यहां खुला मुकुल के डबल रोल का राज़. यहां पुलिस के हाथ जो जानकारी लगी उससे बिहार पुलिस के होश उड़ गए. पता चला की लूट के ठीक 17 दिन पहले शातिर लुटेरे मुकुल को उसके साथी छुड़ा ले गए थे. खुलासा हुआ की 6 नवंबर को एक मामले में पेशी के लिए पुलिस मुकुल को हाजीपुर कोर्ट लेकर पहुंची थी. तभी हाजीपुर से मुज्जफ्फरपुर लौटने के दौरान मुकुल के साथियों ने बीच सड़क पर पुलिस की गाडी रोकी और पिस्टल की नोक पर मुकुल को छुड़ा ले गए थे. पुलिस के सामने बड़ा सवाल ये था कि आखिर जिस लुटेरे को पूरी बिहार पुलिस तलाश रही थी. उसकी खबर पुलिस को क्यों नहीं थी. सिर्फ इतना ही नहीं इस मामले की कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं हुई.

लूट से 15 दिन पहले बना था प्लान

दरअसल लूट की इस वारदात की प्लानिंग के तहत ही मुकुल के साथियों ने लूट के करीब 15 दिन पहले उसे पुलिस के चंगुल से निकालने की प्लानिंग की थी. पुलिस के जो 4 जवान उसे पेशी के लिए ले गए थे. वो चुपचाप मुज्जफ्फरपुर लौट आए. और मुज्जफ्फरपुर रिमांड होम के सुपरिटेंडेंट ने भी मुकुल के फरार होने को लेकर वैशाली पुलिस को एक चिट्ठी लिखकर डाक में डाल दी और अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. मगर डाक जब तक वैशाली पुलिस को मिलती और मुकुल की फरारी का पता चलता, तब तक मुकुल और उसके साथियों ने इस सबसे बड़ी लूट की वारदात को अंजाम दे डाला.

पुलिस की बड़ी लापरवाही का खुलासा

बिहार पुलिस की लापरवाही की दास्तान यहीं खत्म नहीं होती है. लूट में शामिल दूसरा लूटेरा वीरेंद्र शर्मा भी फरवरी में हुई मुज्जफ्फरपुर लूट के बाद से ही फरार था. मगर वक्त के साथ पुलिस उसकी खोज खबर लेना ही भूल गई थी. जबकि तीसरा मास्टरमाइंड किसलय भी मुज्जफ्फरपुर लूट में शामिल था और वो भी फरारी काट रहा था.

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